कुल्लू में बेटे ने किया पिता का अधूरा सपना पूरा:पहले अटेम्प्ट में एचएएस में चयन; 3 साल तक सोशल मीडिया से बनाई दूरी

कुल्लू जिले के निरमण्ड निवासी अंकुश कुमार ने एचएएस परीक्षा में 18वीं रैंक हासिल की है। उन्होंने एचएएस बनकर उस सपने को पूरा कर दिखाया है, जो कभी उनके पिता ने देखा था और उस वक्त आर्थिक तंगी के चलते पूरा नहीं कर पाए थे। अंकुश ने पहली बार में ही यह सफलता हासिल की है। उन्होंने 3 साल तक सोशल मीडिया से खुद को दूर रखा। अंकुश कुमार ने बताया कि एचएएस बनने के लिए जरूरी नहीं कि आप 15 घंटे पढ़ें, बल्कि हर दिन पढ़ें और बस लिखते जाएं। खुद में समान्य ज्ञान और देश दुनिया की सामान्य समझ को विकसित करके तैयारी की जाए। स्वास्थ्य विभाग में सुपरवाइज़र हैं पिता अंकुश कुमार के पिता अशोक कुमार स्वास्थ्य विभाग में मुख्य चिकित्सा अधिकारी कुल्लू के कार्यालय में बतौर सुपरवाइज़र अपनी सेवाएं दे रहे हैं। उन्होंने बताया कि वे मूलतः निरमण्ड के परशुराम मोहल्ले के रहने वाले हैं और वर्तमान में कुल्लू के बजौरा में सेटल हो गए हैं। जबकि माता कुसुमलता सफल गृहिणी है और बहन स्वाति ने ह्यूमन रिसोर्स में एमबीए किया है। कोरोना में छोड़ी इंजीनियर की जॉब पिता अशोक कुमार बताते हैं कि अंकुश कुमार की प्राथमिक शिक्षा मणिकर्ण के स्कूल से 2010 में हुई, उसके बाद 12वीं तक कि पढ़ाई नवोदय स्कूल कुल्लू (मंडी ) से 2016 में पूरी हुई। जबकि जेईई की परीक्षा पास करने के बाद अंकुश कुमार ने एनआईटी हमीरपुर से कंप्यूटर साइंस में 2020 तक बीटेक किया। जिसके बाद एक साल रिलायंस डिजीटल कंपनी में बतौर इंजीनियर जॉब कर रहे थे, जब कोरोना महामारी ने दस्तक दे डाली और अंकुश को जॉब छोड़कर घर वापस आना पड़ा।

Jan 7, 2025 - 18:30
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कुल्लू में बेटे ने किया पिता का अधूरा सपना पूरा:पहले अटेम्प्ट में एचएएस में चयन; 3 साल तक सोशल मीडिया से बनाई दूरी
कुल्लू जिले के निरमण्ड निवासी अंकुश कुमार ने एचएएस परीक्षा में 18वीं रैंक हासिल की है। उन्होंने ए

कुल्लू में बेटे ने किया पिता का अधूरा सपना पूरा

कुल्लू का एक युवक ने अपने पिता के अधूरे सपने को पूरा करने में सफलता प्राप्त की है। उसने पहले प्रयास में एचएएस (Himachal Administrative Service) में चयन हासिल किया है, जो उसकी मेहनत और संकल्प का प्रतीक है। इस सफलता ने न केवल उसे, बल्कि उसके पूरे परिवार को गर्वित किया है।

सोशल मीडिया से दूरी बनाने का निर्णय

इस युवक ने अपने लक्ष्य को पाने के लिए तीन साल तक सोशल मीडिया से दूरी बनाए रखी। इस अवधि में उसने अपनी पढ़ाई और तैयारी पर ध्यान केंद्रित किया। यह निर्णय एक महत्वपूर्ण कदम साबित हुआ, क्योंकि उसने अपने समय का सही उपयोग किया और अपने सपनों को साकार करने की दिशा में अग्रसर हुआ।

पिता का सपना और प्रेरणा

युवक के पिता हमेशा चाहते थे कि उनका बेटा प्रशासनिक सेवा में जाए, लेकिन परिस्थितियों के कारण वे अपने सपने को पूरा नहीं कर पाए। बेटे ने अपने पिता की इच्छाओं को ध्यान में रखते हुए एचएएस परीक्षा में सफलता प्राप्त करने का संकल्प लिया। यह पल न केवल बेटे के लिए, बल्कि उसके पिता के लिए भी गर्व का क्षण था।

बेटे की मेहनत और सफलता की कहानी

बेटे ने कठिन परिश्रम और समर्पण के साथ एचएएस परीक्षा की तैयारी की। उसने विभिन्न विषयों में गहन अध्ययन किया और अपने दिमाग को तरोताजा रखने के लिए नियमित रूप से योग और ध्यान भी किया। उसकी सफलता ने यह साबित किया कि मेहनत का फल मीठा होता है।

इस घटना ने कई युवाओं को प्रेरित किया है कि यदि वे अपने लक्ष्यों को हासिल करने के लिए गंभीरता से कार्य करें, तो कुछ भी असंभव नहीं है।

आज, कुल्लू के इस युवक का नाम सिर्फ उसके परिवार के लिए नहीं, बल्कि पूरे क्षेत्र के लिए प्रेरणा का स्रोत बन गया है।

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संक्षेप में

कुल्लू में एक बेटे ने अपने पिता के अधूरे सपने को पूरा करते हुए एचएएस में चुनावित हो कर एक नई मिसाल स्थापित की है। इसने यह दर्शाया कि संकल्प और मेहनत से किसी भी लक्ष्य को हासिल किया जा सकता है।

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