सीओ सहित 10 पुलिसकर्मियों पर बैठी जांच:भाजपा नेता की शिकायत पर निर्दोषों को भिजवाया था जेल, जांच में सच सामने आया

संभल में सीओ समेत 10 पुलिसकर्मियों के खिलाफ जांच के आदेश हुए हैं। यह जांच मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट अर्चना सिंह के निर्देश पर की जाएगी। जिसकी रिपोर्ट 13 जनवरी तक कोर्ट में पेश करनी होगी। मामला भाजपा नेता द्वारा झूठे गोलीकांड में तीन बेगुनाह लोगों को जेल भिजवाने का है। भाजपा नेता प्रेमपाल सिंह ने दावा किया था कि बहजोई से लौटते समय पतरौआ गांव में तीन लोगों ने उन्हें गोली मारकर घायल किया। उनकी शिकायत पर पुलिस ने तीन लोगों दिलीप, हेमंत और श्यामलाल को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया। आरोप है कि पुलिस ने उन्हें प्रताड़ित किया। झूठा जुर्म कबूल करवाने के लिए वीडियो बनाया और हथियार थमाया। इसके चलते तीनों को 40 दिन तक जेल में रहना पड़ा। पुलिसकर्मियों के खिलाफ जांच के आदेश यह मामला उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य तक पहुंचा। उनके निर्देश पर घटना की दोबारा जांच हुई। जिसमें भाजपा नेता प्रेमपाल सिंह को दोषी पाया गया और उन्हें जेल भेजा गया। इस प्रकरण में यूपी सरकार की मंत्री गुलाब देवी ने पीड़ितों से मुलाकात कर निष्पक्ष जांच की मांग की। इसके बाद तत्कालीन सीओ डॉ. प्रदीप कुमार का तबादला कर दिया गया। अब सीओ सहित अन्य 9 पुलिसकर्मियों के खिलाफ जांच के आदेश दिए गए हैं।

Jan 7, 2025 - 18:30
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सीओ सहित 10 पुलिसकर्मियों पर बैठी जांच:भाजपा नेता की शिकायत पर निर्दोषों को भिजवाया था जेल, जांच में सच सामने आया
संभल में सीओ समेत 10 पुलिसकर्मियों के खिलाफ जांच के आदेश हुए हैं। यह जांच मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रे

सीओ सहित 10 पुलिसकर्मियों पर बैठी जांच

भाजपा नेता की शिकायत पर निर्दोषों को भिजवाया था जेल

हाल ही में, एक भाजपा नेता द्वारा की गई शिकायत के बाद, एक गंभीर मामला सामने आया है जिसमें बताया गया है कि किस प्रकार से निर्दोष व्यक्तियों को जेल भेजा गया। जांच में यह सामने आया है कि सीओ सहित 10 पुलिसकर्मियों पर कार्रवाई की जा रही है। इस घटना ने न केवल स्थानीय प्रशासन की कार्यप्रणाली पर सवाल उठाए हैं, बल्कि इससे न्याय प्रणाली की निष्पक्षता पर भी ध्यान आकर्षित किया है।

जांच की विस्तृत जानकारी

सूत्रों के अनुसार, भाजपा नेता ने आरोप लगाया था कि पुलिस ने व्यक्तिगत दुश्मनी के तहत निर्दोष व्यक्तियों को गिरफ्तार किया। जब यह शिकायत उच्च अधिकारियों तक पहुंची, तो उन्होंने तुरंत जांच के आदेश दिए। इस मामले में संलग्न पुलिसकर्मियों की जिम्मेदारी और कर्तव्यों का गहन मूल्यांकन किया जा रहा है। घटनाक्रम की गंभीरता को देखते हुए मामले की जांच अब एक विशेष टीम द्वारा की जा रही है।

जांच में सामने आए तथ्य

जांच के दौरान, कई गवाहों के बयान और सबूतों के आधार पर यह स्पष्ट हुआ है कि पुलिस द्वारा किए गए गिरफ्तारियों में गंभीर अनियमितताएँ पाई गई हैं। कई लोगों ने पुलिस पर आरोप लगाते हुए कहा कि उन्हें बिना किसी ठोस सबूत के आरोपित किया गया। अब यह देखना रोमांचक होगा कि इस मामले में आगे क्या कार्रवाई की जाती है और क्या दोषी पुलिसकर्मियों को सजा मिलेगी।

इस मामले के सामने आने से न्याय व्यवस्था और पुलिस की कार्यशैली पर एक नई रोशनी पड़ी है। जनता की राय बनी हुई है कि क्या पुलिस अपनी शक्तियों का दुरुपयोग कर रही है या सही कार्रवाई कर रही है। साथ ही, यह भी महत्वपूर्ण है कि निष्पक्ष जांच के बाद सही नतीजे सामने आएं ताकि कानून व्यवस्था पर लोगों का विश्वास बना रहे।

निष्कर्ष

इस मामले में आगे की जांच और कार्रवाई पुलिस के कामकाज को लेकर एक महत्वपूर्ण मिसाल स्थापित कर सकती है। स्थानीय प्रशासन और सरकार की जिम्मेदारी है कि वे निष्पक्षता और पारदर्शिता के साथ इस मामले की जांच करें और सुनिश्चित करें कि किसी निर्दोष को अन्याय का शिकार न होना पड़े।
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