गुजरात की बेटी को अंतरिक्ष में भेजेगा कनाडा:शॉना पंड्या बोलीं- नवरात्रि-दिवाली मेरे पसंदीदा त्योहार, जलेबी मुझे पसंद है, कनाडा में बहुत भेदभाव सहा
'भले ही मैं कनाडा में रहती हूं, लेकिन मेरा पालन-पोषण बहुत साधारण तरीके से हुआ है। मैंने अपने पिता को घर पर प्रतिदिन 15 घंटे काम करते देखा है। मां ने भी बहुत मेहनत की है। कनाडा में भी घर पर पूरा दिन गुज्जू का माहौल रहता है। हर दिन पूजा-पाठ करती हूं, मंदिर जाती हूं, सभी भारतीय त्योहार मनाती हूं। अब, इससे पहले कि मैं अंतरिक्ष में जाऊं, मैं चाहती हूं कि सुनीता विलियम्स दीदी सुरक्षित धरती पर लौट आएं ताकि हम एक-दूसरे से मिल सकें। आखिर हम दोनों ही पंड्या बेटियां हैं...' ये शब्द हैं डॉ. शॉना पंड्या के जो कनाडा की पहली कमर्शियल महिला अंतरिक्ष यात्री हैं। शॉना पेशे से डॉक्टर (एम.डी., फिजीशियन) हैं और 2026 के अंत में अंतरिक्ष में उड़ान भरने जा रही हैं। वे सुनीता विलियम्स के बाद दूसरी गुजराती होंगी जो अंतरिक्ष में जाने वाली हैं। उनके पिता मूल रूप से गुजरात के कोडिनार के रहने वाले हैं। हमने उनसे बातचीत की... कोडिनार से मुंबई होते हुए कनाडा पहुंचा परिवार डॉ. शॉना ने गुजराती -अंग्रेजी लहजे में बातचीत शुरू की। उन्होंंने कहा में कनाडा में पैदा हुई, लेकिन मेरे पिता मूल रूप से गुजरात में गिर सोमनाथ जिले के कोडिनार से हैं और मेरी मां मुंबई से हैं। पिताजी ने मुंबई से ग्रेजुएशन किया। उसके बाद कोडिनार में फिजियोथेरेपिस्ट के रूप में काम किया, लेकिन कुछ समय बाद वे नौकरी के लिए मुंबई चले गए। तभी उनकी मुलाकात मेरी मां से हुई और दोनों की शादी हो गई। शादी के कुछ समय बाद ही मां को कनाडा में ऑफिस मैनेजर की नौकरी मिल गई, इसलिए वे दोनों कनाडा चले गए। पिताजी कनाडा आये और अपना फिजियोथेरेपी क्लिनिक शुरू किया। शुरुआत में वे जब कनाडा गए तो काफी कठिनाइयों का सामना करना पड़ा। शुरुआत में पिताजी सुबह 7 बजे से रात 10 बजे तक 15 घंटे काम करते थे। इसलिए मुझे बचपन से ही कड़ी मेहनत करना सिखाया गया है। मेरे माता-पिता दोनों ही कट्टर गुजराती हैं, इसलिए घर में हमेशा गुजराती माहौल रहा। हम अब भी हर पांच साल में मुंबई घूमने आते हैं। इसके अलावा, हम शादी जैसे किसी समारोह में शामिल होने के लिए भी गुजरात जाते हैं। यह मेरा सपना अंतरिक्ष यात्री बनने के बारे में शॉना कहती हैं, 'मेरा बचपन से ही एक सपना था। जब मैं छोटी था तब भी मैं अंतरिक्ष यात्रियों की जीवनियां और किताबें पढ़ा करती थी। उस समय, कनाडा की पहली महिला अंतरिक्ष यात्री रॉबर्टा बोंडार अंतरिक्ष में गयीं। मैं उनसे बहुत प्रेरित हुई। मैंने भी फैसला लिया कि मैं भी बोंडार की तरह मेडिसिन की पढ़ाई करूंगी न्यूरोसाइंटिस्ट बनूंगी, और फिर अंतरिक्ष यात्री बनूंगी। कॉलेज की पढ़ाई पूरी करने के बाद मैंने इंटरनेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ एस्ट्रोनॉटिकल साइंसेज से मास्टर डिग्री हासिल की। मास्टर्स के बाद मैंने यूरोपीय अंतरिक्ष एजेंसी में 3 महीने की इंटर्नशिप की। तभी मैंने फैसला लिया कि अब मैं केवल अंतरिक्ष चिकित्सा पर ही काम करूंगी। 'एक महिला होने के नाते मुझे बहुत कठिनाइयों का सामना करना पड़ा' हमने सुना है कि कनाडा में बहुत अधिक नस्लवाद है, तो क्या आपको कभी नस्लवाद का सामना करना पड़ा है? शॉना कहती हैं, 'मैं कनाडा में न केवल नस्लवाद, बल्कि सेक्सिज्म (महिलाओं के प्रति अन्याय) का भी शिकार रही हूं।' एक महिला के लिए इस क्षेत्र में इतना आगे बढ़ना बहुत कठिन है। आज भी मैं किसी से कहती हूं, 'नमस्ते, मैं डॉ. पंड्या तो लोग मुझे आश्चर्य से देखते हैं। हम 2025 में हैं और फिर भी लोग अभी भी यह विश्वास नहीं करते कि एक महिला डॉक्टर बन सकती है। इन सबके बीच, मैं 2026 से पहले 'वर्जिन गैलेक्टिक' के साथ अंतरिक्ष में जाऊंगी। मैं पांच अंतरिक्ष यात्रियों की टीम में एकमात्र महिला हूं। इसलिए यह मेरे लिए बहुत गर्व की बात है।' जब शॉनाबेन अंतरिक्ष में जाएंगी तो क्या करेंगी? आप जिस प्रोजेक्ट पर काम करने जा रही हैं उसका मुख्य उद्देश्य क्या है? इसके बारे में बात करते हुए शॉना कहती हैं, ‘हम 2026 के अंत तक IIAS (इंटरनेशनल इंस्टीट्यूट फॉर एस्ट्रोनॉटिकल साइंसेज) के साथ वर्जिन गैलेक्टिक के कमर्शियल स्पेसशिप 'डेल्टा-क्लास' में अंतरिक्ष जाएंगे। हम तीन अंतरिक्ष शोधकर्ता इस प्रोजेक्टपर काम कर रहे हैं। इस अंतरिक्ष यान में 2 पायलट और 6 शोधकर्ता जा सकते हैं। मुझे IIAS02 मिशन के लिए चुना गया है। मुझे वहां क्रू( चालक दल) की महिलाओं के स्वास्थ्य पर शोध करना है। हम उनके तंत्रिका विज्ञान और स्वास्थ्य प्रौद्योगिकी से संबंधित प्रयोग करेंगे। इससे भविष्य में अंतरिक्ष यात्रियों को स्वास्थ्य लाभ हो सकता है। एक शोध अंतरिक्ष यात्री के रूप में आपका दिन कैसा होता है? शॉना कहती हैं, 'मैं सारा दिन अंतरिक्ष चिकित्सा पर ध्यान केंद्रित करती हूं। लेकिन मेरे दो दिन एक जैसे नहीं होते। एक दिन आपको लैब में रिसर्च करना है, अगले दिन आपको अंतरिक्ष चिकित्सा पर काम करना है, अगले दिन आपको एक अंतरिक्ष यात्री के रूप में उड़ान के संचालन की जांच करनी है, और अगले दिन आपको एक चिकित्सक के रूप में रोगियों को देखना है। क्योंकि मैं एक डॉक्टर भी हूं। बहुत व्यस्त हूं लेकिन मुझे यह सब पसंद है। इन सभी अन्य उपलब्धियों के साथ-साथ, मैं वर्तमान में अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष विज्ञान संस्थान के अंतरिक्ष चिकित्सा समूह के निदेशक के रूप में कार्यरत हूं। जहां हमारा अंतरिक्ष चिकित्सा अनुसंधान चल रहा है। इसके साथ ही हम पहली बार अंतरिक्ष में मनुष्यों पर दवा का प्रयोग करने जा रहे हैं। इसके अलावा, मैं नेशनल रिसर्च इंस्टीट्यूट कनाडा के साथ भी काम कर रही हूं। मौजूदा दौर में अंतरिक्ष पर्यटन लोकप्रिय हो जाएगा? आप व्यावसायिक तौर पर भी लोगों को अंतरिक्ष की सैर कराने जा रहे हैं, तो क्या आपको लगता है कि मौजूदा दौर में अंतरिक्ष पर्यटन लोकप्रिय हो जाएगा? शॉना कहती हैं, "लोग अब किसी न किसी तरह से अंतरिक्ष में जा रहे हैं, क्योंकि वाणिज्यिक कंपनियां वहां जा सकती हैं।" कुछ लोग अंतरिक्ष के शून्य गुरुत्वाकर्षण का अनुभव करने और पृथ्वी को बाहर से देखन

गुजरात की बेटी को अंतरिक्ष में भेजेगा कनाडा
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शॉना पंड्या का अंतरिक्ष मिशन
गुजरात की मूल निवासी शॉना पंड्या को कनाडा द्वारा अंतरिक्ष में भेजे जाने की घोषणा की गई है। शॉना एक वैज्ञानिक और अंतरिक्ष अन्वेषक हैं, जिन्होंने अपने सामर्थ्य और अनुशासन के बल पर यह उपलब्धि हासिल की है। उनका यह मिशन न केवल व्यक्तिगत सफलता है, बल्कि भारतीयों के लिए भी गर्व का विषय है।
शॉना का पसंदीदा त्योहार
शॉना पंड्या ने नवरात्रि और दिवाली के अपने पसंदीदा त्योहारों के बारे में बताया। ये त्यौहार भारत की सांस्कृतिक विरासत को दर्शाते हैं और शॉना इन त्योहारों के दौरान अपने परिवार के साथ बिताए गए सुखद पलों को याद करती हैं। वह कहती हैं, "इन त्योहारों के दौरान घूमना, जलेबी खाना और अपने दोस्तों के साथ मिलकर मनाना मुझे बहुत पसंद है।"
कनाडा में भेदभाव के अनुभव
हालांकि, शॉना ने यह भी साझा किया कि कनाडा में रहते हुए उन्हें भेदभाव का सामना करना पड़ा है। उन्होंने बताया कि कभी-कभी उनके भारतीय मूल के कारण उन्हें विभिन्न प्रकार की चुनौतियों का सामना करना पड़ा। लेकिन उन्होंने इन कठिनाइयों को अपनी सफलता की सीढ़ी बनाने का निर्णय लिया और अपनी मेहनत से आगे बढ़ती रहीं।
भविष्य की योजनाएँ
शॉना पंड्या ने अपने भविष्य की योजनाओं के बारे में भी चर्चा की। वह न केवल अंतरिक्ष यात्रा को पूरा करने की उम्मीद रखती हैं, बल्कि युवा पीढ़ी को प्रेरित करने का भी प्रयास करेंगी। उनका उद्देश्य है कि वे भारतीय मूल की लड़कियों को विज्ञान और प्रौद्योगिकी में करियर बनाने के लिए प्रेरित करें।
इस तरह के प्रयासों से हम देख सकते हैं कि भारतीय महिलाएँ अंतरिक्ष विज्ञान जैसे क्षेत्र में भी अपनी पहचान बना रही हैं, और इससे पूरे देश को गर्व की अनुभूति होती है।
निष्कर्ष
शॉना पंड्या का अंतरिक्ष में जाना भारतीय युवाओं के लिए प्रेरणा का स्रोत है। वे न केवल अपने सपनों को पूरा कर रही हैं, बल्कि उन्होंने समाज में चल रहे भेदभाव के खिलाफ आवाज उठाने का साहस भी दिखाया है। यह कहानी हमें सिखाती है कि संघर्ष और मेहनत का फल मीठा होता है।
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