गोरखपुर डीएम के आदेश पर हुआ ट्रांसफर:नहीं मान रहे सचिव; पुरानी जगह रहने को नेताओं के दरबार में लगा रहे चक्कर
गोरखपुर में लगभग 20 दिन पहले डीएम के आदेश पर कुछ सचिवों का ट्रांसफर हुआ था लेकिन वे नई जगह ज्वाइन करने को तैयार नहीं हैं। आदेश मानने की बजाय वे नेताओं के यहां चक्कर काट रहे हैं कि उनका ट्रांसफर रुक जाए और वे पुरानी जगह जमे रहें। इस मामले में लगभग एक सप्ताह पहले खंड विकास अधिकारी भी रिमाइंडर दे चुके हैं लेकिन उनपर कोई असर नहीं हुआ है। केवल एक सचिव ने अपना चार्ज दिया है। लेकिन जहां उनकी नई तैनाती हुई है, वहां चार्ज नहीं मिला है। डीएम कृष्णा करुणेश ने 15 जनवरी को यह सूची अनुमोदित की थी। इसके बाद 30 जनवरी को जिला पंचायत राज अधिकारी (डीपीआरओ) नीलेश प्रताप सिंह ने भटहट ब्लाक में दो नए सचिवों की तैनाती की है ओर दो पुराने सचिवों के क्लस्टर में बदलाव किया है। लेकिन दो सप्ताह तक आदेश पर अमल नहीं किया गया। खंड विकास अधिकारी ने लिखा पत्र दो सप्ताह तक आदेश का पालन न होने पर खंड विकास अधिकारी ने सभी सचिवों को अपने नवीन तैनाती स्थल पर जवाइन करने का कहा गया। उनके पत्र के बाद एक सचिव जयनाथ मिश्र ने अपना चार्ज नए सचिव को दे दिया। लेकिन जहां उन्हें जाना था, वहां चार्ज नहीं मिला। इस मामले में अब आगे की कार्रवाई की तैयारी है। इनका हुआ है ट्रांसफर मनोज कुमार को ग्राम पंचायत लंगड़ी गुलरिहा, अशरफपुर, बूढ़ाडीह, हाफिजनगर, रसूलपुर झुंगिया से हटाकर जितेंद्र नाथ मिश्र को जिम्मेदारी दी गई है। जंगल डुमरी नंबर दो, आबादी सखनी, जंगल सखनी की जिम्मेदारी पिपरोली ब्लाक से आए जहीरुल हक को दी गई है। भटहट, अराजी चिलबिलवा व अतरौलिया की जिम्मेदारी निधि को दी गई है। नए सचिवों को कार्यभार न मिलने से ग्रामीणों को कामकाज में काफी दिक्कत हो रही है। जानिए क्या कहते हैं डीएम डीएम कृष्णा करुणेश ने कहा कि ट्रांसफर के आदेश का पालन करना होगा। इस मामले को दिखवाया जाएगा। आदेश का अनुपालन कराया जाएगा। आदेश न मानने वालों पर सख्त कार्रवाई की जाएगी।

गोरखपुर डीएम के आदेश पर हुआ ट्रांसफर: सचिव नहीं मान रहे, नेताओं के दरबार में लगा रहे चक्कर
गोरखपुर, एक ऐसा शहर जो हमेशा से नेताओं और अधिकारियों के लिए चर्चा का विषय बना रहता है। हाल ही में, गोरखपुर के जिलाधिकारी (डीएम) द्वारा सचिव के ट्रांसफर के आदेश दिए गए हैं। हालाँकि, यह ट्रांसफर आदेश अब राजनीतिक प्रसंगों का हिस्सा बन चुका है, क्योंकि सचिव इस आदेश को मानने से इनकार कर रहे हैं।
सचिव के विरोध का कारण
सचिव का पुरानी जगह पर वापसी का দাবি करना कई सवाल खड़े कर रहा है। ऐसे में, सचिव लगातार नेताओं के दरबार में जाकर अपने मामले को सुलझाने की कोशिश कर रहे हैं। यह स्थिति गोरखपुर के राजनीतिक माहौल को और भी जटिल बना रही है। अधिकारी की स्थिति के प्रति इस प्रकार का विरोध गोरखपुर प्रशासन में असमंजस की स्थिति उत्पन्न कर रहा है।
राजनीतिक दखल और उसकी प्रभावीता
राजनीति हमेशा से प्रशासन में दखल देती रही है, और इस मामले में भी यही हो रहा है। कई नेता इस विवाद में कूद पड़े हैं, जिससे उनकी व्यक्तिगत राजनीतिक महत्त्वाकांक्षाएँ उजागर हो रही हैं। क्या यह सचिव की स्थायी स्थिति को प्रभावित करेगा? यह एक बड़ा प्रश्न है।
सचिव का तर्क है कि उनका कार्य प्रदर्शन संतोषजनक था, और इसलिए उन्हें ट्रांसफर होने की आवश्यकता नहीं है। दूसरी ओर, डीएम का प्रशासनिक दृष्टिकोण भी महत्वपूर्ण है, जो विकास और प्रगति के लिए आवश्यक है।
समाज के लिए संदेश
इस मामले ने गोरखपुर के निवासियों में एक महत्वपूर्ण सवाल उठाया है कि क्या नेताओं का हस्तक्षेप हमेशा आवश्यक होता है? यदि कोई अधिकारी अपने कार्य में निष्पक्षता बरतता है, तो क्या उसे राजनीति के चश्मे से देखना सही है? यह मुद्दा आगामी चुनावों के लिए भी महत्वपूर्ण रहेगा, जहाँ मतदाता अपने अधिकारों के प्रति सजग रहेंगे।
इस मामले पर पूरी नजर रखने के लिए, समय-समय पर गोरखपुर की खबरों को देखते रहें। अधिक जानकारियों के लिए, कृपया indiatoday.com पर जाएं।
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