गौरैया संरक्षण के लिए कैंडल मार्च निकाल किया जागरूक:पेड़ों पर टंगवाए जाएंगे 21 घोसले, होगी दाना–पानी की व्यवस्था

कानपुर में जन जागृति मंच के अध्यक्ष विनोद मिश्र के नेतृत्व में विश्व गौरैया दिवस की पूर्व संध्या पर एक विशेष कार्यक्रम आयोजित किया गया। इस अवसर पर गौरैया के चित्र पर टीका लगाकर जन्मदिन मनाया गया और गौरैया के प्रति लोगों में जन जागरूकता लाने के लिए कैंडल मार्च निकाला गया। प्रदूषण के कारण विलुप्त हो रहीं गौरैया विनोद मिश्र ने कहा कि वातावरण में बढ़ रहे प्रदूषण और शहरीकरण के कारण गौरैया विलुप्त होने के कगार पर पहुंच रही है। उन्होंने बताया कि गौरैया पर्यावरण संतुलन बनाए रखने में अहम भूमिका अदा करती है और यह हमारे पारिस्थितिकी तंत्र का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है। उन्होंने आगे कहा कि गौरैया के आवास और दाना पानी की कमी की वजह से उनकी संख्या तेजी से घट रही है। इसलिए, हमें गौरैया के लिए घोसला बनाने और उनके रहने की व्यवस्था करनी चाहिए। दाना-पानी के लगवाए जा रहे पात्र जन जागृति मंच हर साल गौरैया दिवस पर जन जागरूकता के लिए कार्यक्रम आयोजित करता है और निशुल्क घोसला वितरण भी करता है। इस वर्ष भी संस्था की ओर से 21 पेड़ों पर गौरैया के दाना पानी पात्रों को लगवाया जा रहा है और उचित स्थान पर लकड़ी के निशुल्क 21 घोसला टंगवाए जाएंगे। इस मौके पर प्रकाशवीर आर्य, दीपक श्रीवास्तव, अनिल गुप्ता, अंशु गुप्ता, मुकेश शुक्ला मौजूद रहे।

Mar 19, 2025 - 19:59
 58  22363
गौरैया संरक्षण के लिए कैंडल मार्च निकाल किया जागरूक:पेड़ों पर टंगवाए जाएंगे 21 घोसले, होगी दाना–पानी की व्यवस्था
कानपुर में जन जागृति मंच के अध्यक्ष विनोद मिश्र के नेतृत्व में विश्व गौरैया दिवस की पूर्व संध्या

गौरैया संरक्षण के लिए कैंडल मार्च निकाला गया

सामाजिक संगठन और पर्यावरण प्रेमियों ने गौरैया संरक्षण के प्रति जागरूकता बढ़ाने के लिए एक बड़ा कैंडल मार्च आयोजित किया। इस मार्च में शहर के अनेक गणमान्य व्यक्तियों और नागरिकों ने भाग लिया। जागरूकता अभियान का मुख्य उद्देश्य गौरैया के प्रति हमारी जिम्मेदारियों को समझाना और इसकी संख्या में वृद्धि करना है।

21 घोसले पेड़ों पर टंगवाने का प्रयास

इस कार्यक्रम का एक महत्वपूर्ण हिस्सा यह है कि 21 घोसले पेड़ों पर टंगवाए जाएंगे, ताकि गौरैया को एक सुरक्षित स्थान मिल सके। इन घोसलों को स्थानीय स्कूलों और पार्कों में स्थापित किया जाएगा, जिससे बच्चों में भी पर्यावरण के प्रति प्रेम विकसित हो सके।

दाना-पानी की व्यवस्था

गौरैया की देखभाल सुनिश्चित करने के लिए विशेष दाना-पानी की व्यवस्था की जाएगी। समुदाय के सदस्यों को प्रेरित किया जाएगा कि वे अपने घरों में भी गौरैया को दाना दें और पानी की सुविधा रखें। यह छोटी-छोटी प्रतियोगिताएँ और जागरूकता कार्यक्रमों के माध्यम से किया जाएगा।

जागरूकता और शिक्षा का महत्व

इस कैंडल मार्च का उद्देश्य केवल गौरैया का संरक्षण नहीं है, बल्कि यह हमें यह सिखाना भी है कि कैसे हम अपने आस-पास के पर्यावरण की रक्षा कर सकते हैं। बच्चें इस प्रक्रिया में शामिल होकर खुद को एक जिम्मेदार नागरिक के रूप में देखेंगे।

सेमिनार और कार्यशालाएं भी आयोजित की जाएंगी, जहां विशेषज्ञ और पर्यावरणविद् अपने अनुभव साझा करेंगे। यह कार्यक्रम हर उम्र के लोगों को आकर्षित करेगा और उनके बीच पर्यावरण जागरूकता फैलाने में मदद करेगा।

गौरैया का विकास और संरक्षण न केवल एक परंपरा को जीवित रखने के लिए आवश्यक है, बल्कि यह हमारे पारिस्थितिकी तंत्र के सामंजस्य को बनाए रखने के लिए भी महत्वपूर्ण है।

समृद्ध भविष्य के लिए प्रयासरत

इस कैंडल मार्च के माध्यम से एक नया संदेश दिया गया है कि जब तक हम अपनी गौरैया को संरक्षित नहीं करेंगे, तब तक हमारा पर्यावरण सुरक्षित नहीं होगा। समुदाय के हर सदस्य से विनम्र याचना है कि वे इस मुहिम का हिस्सा बनें और गौरैया को बचाने के लिए आगे आएं।

आप सभी से अनुरोध है कि इस अभियान का समर्थन करें व अपने दोस्तों और परिवार के साथ इसे शेयर करें।

News by indiatwoday.com Keywords: गौरैया संरक्षण, कैंडल मार्च, दाना-पानी व्यवस्था, पर्यावरण जागरूकता, 21 घोसले, पेड़ों पर घोसले, गौरैया की देखभाल, सामुदायिक कार्यक्रम, पर्यावरण संरक्षण, समाजसेवी संगठन.

What's Your Reaction?

like

dislike

love

funny

angry

sad

wow