जिस फैक्ट्री में बायलर फटा वहां से रिपोर्ट:शवों के लोथड़े दीवारों पर चिपके मिले, अजय के पिता बोले- बेटे का सिर बच जाता तो दवाइयों से बचा देता
शुक्रवार ... सुबह 5 बजकर 50 मिनट का समय रहा होगा। गाजियाबाद के भोजपुर क्षेत्र का दतेड़ी गांव। रबर फैक्ट्री में तेज धमाके के साथ विस्फोट हुआ तो पूरे गांव में हड़कंप मच गया। बराबर के मुकीमपुर गांव में जैसे लोगों ने विस्फोट की आवाज सुनी तो योगेंद्र के घर में मानों मातम पसर गया। बायलर फटने आवाज इतनी तेज थी कि 4 किमी तक लोगों ने धमाके जैसी आवाज सुनी। योगेंद्र की पत्नी और भाभी लगा कि आज अनहोनी हो गई। गुरुवार शाम ही योगेंद्र रबड़ चढ़ाने की फैक्ट्री में ड्यूटी करने आया था। जैसे ही दतेड़ी और मुकीमपुर गांव के लोग मौके की तरफ दौड़े तो शवों के चीथड़े बिखरे पड़े थे। किसी का सिर धड़ से अलग था, तो किसी के शरीर का दूसरा भाग नहीं। तीन शव इधर उधर बिखरे थे, जबकि चौथा युवक घायल था। गाजियाबाद की सीमा का यह आखिरी गांव दतेड़ी गांव गाजियाबाद जिले में भोजपुर की तरफ जिले की सीमा का आखिरी गांव है। इसके बाद हापुड़ जिले के पिलखुआ की सीमा शुरू हो जाती है। दिल्ली- लखनऊ हाईवे पर हापुड़ के पिलखुआ से इस गांव की दूरी 4 किमी है। गांव के बाहर जंगल में मोदीनगर निवासी अवनीश की 8 बीघा जमीन पर फैक्ट्री है। इसमें लोहे के पाइपों पर रबड़ चढ़ाने का काम होता है। फैक्ट्री के आधे भाग में 30 फीट ऊंची टीनशेड है। सामने के हिस्से में खाली पड़ा मैदान है। इस फैक्ट्री में करीब 25 मजदूर काम करते हैं। गाजियाबाद के अलावा यहां मोदीनगर, बुलंदशहर और आसपास के मजदूर काम करते हैं। काम की 2 शिफ्ट रहती हैं। शुक्रवार सुबह 8 बजे शिफ्ट खत्म होनी थी, उससे पहले ही बायलर फटने से विस्फोट में 3 मजूदरों की मौत हो गई। जबकि चौथे की हालत गंभीर है। दीवारों पर चिपके मिले शवों के लोथड़े बायलर फटने के बाद शव 40 फीट दूर जा गिरे। शवों को पहचान पाना भी परिवार के लिए मुश्किल हो रहा था। मोदीनगर के रहने वाले अनुज के शव से सिर ही गायब था। पूरी फैक्ट्री में सिर नहीं मिला। जिसके बाद पुलिस ने माना कि दीवारों पर जो लोथड़े चिपके हुए हैं वह सिर के हो सकते हैं। योगेंद्र व अवधेश के शव भी पूरी तरह से बेपहचान हो गए। बायलर फटने के बाद दीवार व पिलर तोड़कर ईंट दूर जा गिरी। टीनशेड उखड़ गई, घटना के बाद आक्रोशित लोगों ने हंगामा कर नारेबाजी कर दी। देर शाम शवों को पोस्टमार्टम के लिए भेजा गया। बेटे का सिर बच जाता तो दवाइयों से बचा लेता अनुज के शव के पास पिता प्रेमराज बिलखते रहे। कभी एक हाथ पकड़ते तो कभी शव से लिपटकर रोने लगते। पिता ने कहा कि कंपनी में नौकरी करने के लिए भेजा था, यह नहीं पता था कि यह जान ले लेगी। इसका मालिक आकर नहीं झांका, उसके तो हाथ और पैर कलम कर देने चाहिए। जिससे वह तड़पता रहा। तीन तीन लोगों की जान ले ली। पिता ने बिलखते हुए कहा कि सिर नहीं है, मुंह नहीं है। मैं अपने बेटे को कैसे प्यार करूंगा। यदि सिर होता तो मैं अपने पास सुलाए करता। भले ही मर जाता, पर सिर तो बच जाता। बहुत दवाई आ रही हैं कि उनसे बचा लेता। अब सिर नहीं है तो मैं कैस सुलाउंगा। फैक्ट्री मालिक के लिए कहा कि इसे तड़पता छोड़ दो, तू कंपनी का मालिक है.. जैस सऊदी में होती है। कोई पुलिस केस नहीं होता। हाथ पैर कलम कर दिए और छुट्टी। विस्फोट सुनते ही लगा कि आज सत्यानाश हो गया दतेड़ी गांव से 1500 मीटर की दूरी पर मुकीमपुर गांव है। हादसे में 40 साल के योगेंद्र की भी मौत हुई है। योगेंद्र की भाभी प्रीति ने बताया कि सुबह मैं चाय बनाने के रसोई में जा रही थी। तभी धमाके की आवाज आई, पता नहीं क्या लगा मेरे तो प्राण ही निकल गया। आवाज निकली कि आज तो भाई साहब की जान चली गई। प्रीति ने बताया कि इतने में गांव में शोर मचा कि दतेड़ी की फैक्ट्री में विस्फोट हुआ है। जिसके बाद गांव के लोग आनन फानन में दौड़ पड़े। महिलाओं के पैरों में चप्पल भी नहीं थीं, कोई नंगे सिर थी। देखा तो योगेंद्र का शव फैक्ट्री में पड़ा है। योगेंद्र के भाई सोहनवीर ने बताया कि योगेंद्र पैदल ही ड्यूटी करने आ जाता था। शाम को 7 बजे के करीब घर से निकला था, कहा था कि मैं जा रहा हूं, सुबह आ लूंगा। लेकिन अब सब कुछ ही चला गया। घर में बजनी थी शहनाई, मौत से मातम बुलंदशहर के जहांगीपुर निवासी 22 साल का अवधेश भी इस फैक्ट्री में काम करता था। जबकि छोटा भाई बादल भी साथ में काम करता था। अवधेश की बुआ जसोदा ने बताया कि दोनों भाई मोदीनगर में मेरे पास ही रह जाते थे। गुरुवार शाम अवधेश जब फैक्ट्री के लिए चलने लगा तो बादल ने मना कर दिया कि आज मेरा मन नहीं है। फैक्ट्री से फोन भी आया कि 3 दिन अधिक काम है, लेकिन बादल नहीं गया। अवधेश की शादी तय हो चुकी थी। जिसकी नवरात्रि में अप्रैल की शादी की तारीख फिक्स होनी थी। परिवार में खुशी का माहौल था, कि अगले माह अवधेश की शादी है। लेकिन क्या पता था कि मौत से पूरा परिवार टूट जाएगा। परिजनों का रोते बिलखते हुए बुरा हाल था। परिवार का कहना है कि गनीमत रही कि छोटे भाई बादल ने जाने से मना कर दिया, नहीं तो वह भी नहीं बचता।

जिस फैक्ट्री में बायलर फटा वहां से रिपोर्ट: शवों के लोथड़े दीवारों पर चिपके मिले
हाल ही में, एक दर्दनाक घटना ने पूरे इलाके को दहशत में डाल दिया है। एक फैक्ट्री में हुए बायलर फटे होने की वजह से कई लोगों की जान चली गई। यह घटना न केवल एक भयानक दुर्घटना थी, बल्कि इसके बाद जो दृश्य सामने आया, वह अत्यंत दुखद था। रिपोर्ट के अनुसार, फैक्ट्री में शवों के लोथड़े दीवारों पर चिपके मिले, जिससे स्थिति का भयावहता का अंदाजा लगाया जा सकता है।
परिवार की पीड़ा: अजय के पिता का बयान
घटना के बाद, अजय के पिता ने हृदय विदारक शब्द कहे, "अगर मेरे बेटे का सिर बच जाता, तो वह दवाइयों से बच जाता।" यह बयान केवल एक पिता की पीड़ा नहीं, बल्कि उस समाज की आवाज़ है जो इस तरह की दुर्घटनाओं का शिकार हो रहा है। फैक्ट्री प्रबंधन के प्रति नफरत और सवाल उठने लगे हैं, कि आखिर कौन जिम्मेदार है इस दर्दनाक घटना के लिए?
दुर्घटना का कारण और जांच की प्रक्रिया
बायलर के फटने के कारणों की गहन जांच शुरू कर दी गई है, जिसमें विशेषज्ञों की टीम मामले की हर परत को समझने में जुटी हुई है। यह घटना सुरक्षा मानकों की किस कदर अनदेखी के नतीजे में हुई, यह जानना बेहद जरूरी है। इस घटना ने एक बार फिर सुरक्षा नियमों के पालन की आवश्यकता को रेखांकित किया है।
स्थानीय प्रशासन की कार्रवाई
स्थानीय प्रशासन ने इस दुखद घटना के बाद सभी फैक्ट्रियों की सुरक्षा जांच की घोषणा की है। इसके साथ ही, मृतकों के परिवारों को हर संभव मदद प्रदान करने का आश्वासन दिया गया है। इस घटना की संज्ञान लेते हुए सरकार ने एक नई नीति बनाने की योजना बनाई है, जिससे भविष्य में ऐसी दुर्घटनाओं को रोकने में मदद मिलेगी।
जनता की मांग है कि इस घटना के लिए जिम्मेदार लोगों को सजा दी जाए और सुरक्षा मानकों का कड़ाई से पालन सुनिश्चित किया जाए।
यह घटना न केवल एक व्यक्तिगत दुख है, बल्कि समाज के लिए एक चेतावनी भी है। हमें अपनी सुरक्षा और अपने उद्योगों में सुधार लाने की आवश्यकता है। हम सभी को एक सुरक्षित कार्यस्थल की आवश्यकता है, और यह जिम्मेदारी हम सभी की है।
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