झांसी में राज्यमंत्री का हुआ विरोध:रामायण की चौपाई पढ़ रहे थे, लोग बोले-सम्राट अशोक पर बोलिए, हम लव-कुश की संतान नहीं हैं
झांसी में उत्तर प्रदेश सरकार के दर्जा प्राप्त मंत्री का कुशवाहा समाज ने विरोध कर दिया। वह सम्राट अशोक के जन्मोत्सव कार्यक्रम में रामायण का पाठ कर रहे थे। इसी बीच समाज के लोगों ने उन्हें रामायण की चौपाई पढ़ने से रोक दिया। लोगों का कहना था कि उन्हें रामायण नहीं सम्राट अशोक के बारे में सुनना है। विरोध को देखते हुए मंत्री मंच छोड़ कर कार्यक्रम से चले गए। दरअसल, झांसी के गुरसरांय थाना क्षेत्र के गांव मगरवारा में कुशवाहा समाज ने सम्राट अशोक का जन्मोत्सव कार्यक्रम आयोजित किया था। कार्यक्रम में बंगरा के गायत्री शक्तिपीठ से ग्राम मगरवारा तक शोभायात्रा निकाली गई थी। शोभायात्रा के मगरवारा पहुंचे के बाद यहां एक गोष्ठी का आयोजन किया गया। जिसमें कुशवाहा समाज के ही उत्तर प्रदेश सरकार में दर्जा प्राप्त राज्यमंत्री और इतिहास के जानकार हरगोविंद कुशवाहा को भी आमंत्रित किया गया था। जब मंत्री मंच पर संबोधन के लिए पहुंचे तो उन्होंने रामायण की चौपाई से शुरूआत की। लेकिन उन्होंने जैसे ही चौपाई पढ़ना शुरू की तो नीचे बैठे लोगों ने उन्हें रोक दिया। लोगों का कहना था कि उन्हें रामायण नहीं जानना है, वह सम्राट अशोक के बारे में जानना चाहते हैं। इस पर मंत्री हरगोविंद कुशवाहा ने उन्हें समझाने का प्रयास किया लेकिन लोगों ने उनका विरोध शुरू कर दिया। इसके बाद राज्यमंत्री कार्यक्रम छोड़कर चले गए। इस पूरे मामले का वीडियो भी अब सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा है। ये रहा पूरा घटनाक्रम वायरल हुए वीडियो में माइक पर बोलते हुए राज्यमंत्री हरगोविंद सिंह कुशवाहा ने रामायण की चौपाई सुनाना शुरू की तो मंच से नीचे बैठे व्यक्ति ने उन्हें टोकते हुए कहा कि मंत्री जी सम्राट अशोक पर बोलिए, आज रामायण का कुछ काम नहीं है। इस पर मंत्री ने कहा कि हमें मालूम है कि क्या बोलना है, आपसे पूछकर नहीं बोलेंगे। इस पर व्यक्ति ने कहा कि आप टाइम खा रहे हैं। इसके बाद मंत्री ने कहा कि हम नहीं बोल रहे और उन्होंने माइक छोड़ दिया। इसी बीच मंच संचालन कर रहे संचालक ने मामले को संभालने का प्रयास किया लेकिन दोनों लोगों में बहस शुरू हो गई। मंत्री ने युवक से पूछा तुम्हारा नाम क्या है, इस पर युवक ने कहा कि मेरा नाम प्रेम कुशवाहा है। मंत्री बोले कि क्या जानना चाहते हो सम्राट अशोक पर और आप कितना जानते हो अशोक के बारे में। इस पर युवक बोला हम नहीं जानते इसलिए आपसे बोल रहे हैं कि सम्राट अशोक के बारे में बोलिये। लोगों ने की नारेबाजी यहां मंत्री और समाज के नेता में बहस हुई तो मंत्री ने कहा कि हम राजा दशरथ के बारे में बोल रहे थे। इस पर युवक के साथ ही वहां मौजूद लोग भी विफर गए। उनका कहना था कि आज सम्राट अशोक का जन्मोत्सव है हमें दशरथ के बारे में नहीं जानना है। बोले आज रामायण का कुछ नहीं है, आप सम्राट अशोक पर ही बोलिये। लव-कुश और सम्राट अशोक पर छिड़ा विवाद बहस के दौरान दर्जा प्राप्त राज्यमंत्री ने कहा कि हम लोग लव-कुश की संतान हैं, इसलिए उन पर बोल रहे थे। इस पर लोगों ने नारेबाजी शुरू कर दी। उनका कहना था कि हम लोग लव-कुश की संतान नहीं हैं बल्कि सम्राट अशोक की संतान हैं। इसके बाद सम्राट अशोक के समर्थन में नारेबाजी शुरू हो गई। इसी बात से गुस्साए मंत्री ने कार्यक्रम छोड़ दिया और माइक देकर वहां से चले गए। इस दौरान लोग उन से गुजर्रा में मौजूद लघु शिलालेख पर बोलने की भी मांग करते रहे, लेकिन मंत्री नहीं रुके।

झांसी में राज्यमंत्री का हुआ विरोध: रामायण की चौपाई पढ़ रहे थे, लोग बोले-सम्राट अशोक पर बोलिए, हम लव-कुश की संतान नहीं हैं
झांसी, उत्तर प्रदेश में एक अद्वितीय राजनीतिक घटना प्रकाश में आई है, जब राज्यमंत्री का विरोध किया गया। यह विरोध उस समय शुरू हुआ जब राज्यमंत्री एक कार्यक्रम में रामायण की चौपाई पढ़ रहे थे। उपस्थित जनसमूह ने उनकी इस गतिविधि पर ऐतराज करते हुए कहा कि उन्हें सम्राट अशोक पर बोलना चाहिए। उनकी योजना के अनुसार, लोगों ने स्पष्ट किया कि वे लव-कुश की संतान नहीं हैं और इसके पीछे उनके विचारों की गहराई है।
विरोध का कारण
इस विरोध की जमीन पर कई सामाजिक और राजनीतिक विचार हैं। जनसमूह ने राज्यमंत्री से अपेक्षा की कि वह सम्राट अशोक के योगदानों पर प्रकाश डालें, जो भारतीय इतिहास में एक महत्वपूर्ण व्यक्तित्व थे। उन्होंने जिज्ञासा व्यक्त की कि क्यों राज्यमंत्री ने भारतीय संस्कृति के एक ऐसे बिंदु पर ध्यान नहीं दिया जो भारत की एकता और अखंडता का प्रतीक है।
सामाजिक संदेश
यह विरोध सिर्फ राज्यमंत्री के शब्दों तक सीमित नहीं है, बल्कि यह एक सामाजिक संदेश भी है। लोग चाहते हैं कि उनके नेता उन मुद्दों पर ध्यान दें जो आज के समय में प्रासंगिक हैं। समाज में एकता और समानता को बढ़ावा देने के लिए, यह आवश्यक है कि नेता ऐसे विषयों पर चर्चा करें जो जनमानस के हित में हों।
राजनीतिक प्रभाव
इस घटना के बाद, राजनीतिक समीक्षकों का मानना है कि यह विरोध भविष्य के चुनावों में एक महत्वपूर्ण संकेत है। समाज के विभिन्न वर्गों की आवाज को सुनना और उसके अनुसार नीतियों का निर्माण करना आगामी चुनौतियों का सामना करने का एक तरीका हो सकता है।
यह स्थिति बताती है कि जनसंवाद और आपसी बातचीत का कितना महत्व है। समाज का हर वर्ग चाहता है कि उनकी पहचान और उनकी विरासत को सही ढंग से प्रस्तुत किया जाए।
निष्कर्ष के रूप में, झांसी में हुए इस विरोध ने यह स्पष्ट कर दिया है कि अब समय आ गया है कि नेताओं को उस मुद्दे पर ध्यान देना चाहिए जो जनता के मन में है। अधिक अपडेट के लिए, indiatwoday.com पर जाएं। Keywords: झांसी राज्यमंत्री विरोध, रामायण चौपाई, लोग सम्राट अशोक, लव-कुश संतान नहीं हैं, राजनीतिक घटनाएँ झांसी, समाजिक संदेश, चुनावों का प्रभाव, भारतीय संस्कृति, नेताओं की जिम्मेदारियाँ, मीडिया रिपोर्ट्स झांसी
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