ट्रम्प की वापसी से पाकिस्तान-बांग्लादेश पर दबाव बढे़गा:भारत-US मिलिट्री संबंध मजबूत होंगे; इंडियन प्रोडक्ट्स पर टैरिफ का खतरा
डोनाल्ड ट्रम्प ने कल 20 जनवरी को अमेरिका के 47वें राष्ट्रपति के तौर पर शपथ ली। भारत के विदेशमंत्री एस जयशंकर उनके शपथ ग्रहण कार्यक्रम में शामिल हुए। भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी ट्रम्प को उनको नए कार्यकाल के लिए बधाई दी। ट्रम्प के पहले कार्यकाल में उनके और पीएम मोदी के बीच काफी अच्छे संबंध रहे थे। ट्रम्प ने 2019 में राष्ट्रपति रहते पीएम मोदी के सम्मान में टेक्सास स्टेट के ह्यूस्टन में हाउडी मोदी प्रोग्राम का आयोजन किया था। इस दौरान पीएम मोदी ने भी 'अबकी बार ट्रम्प सरकार' का नारा दिया था। ऐसे में यह देखना दिलचस्प होगा कि ट्रम्प अपने दूसरे कार्यकाल में भारत के साथ किस तरह के रिश्ते रखते हैं। व्हाइट हाउस में ट्रम्प की वापसी से भारत पर क्या असर हो सकता है? 1. पाकिस्तान, कश्मीर और बांग्लादेश पर ट्रम्प का रुख ट्रम्प ने अपने पहले कार्यकाल के दौरान कहा था कि वो पाकिस्तान के साथ रिश्ते सुधारना चाहते हैं। लेकिन पहले पाकिस्तान को आतंकवाद के लिए जवाबदेही तय करनी होगी। चुनाव प्रचार के दौरान भी ट्रम्प ने कहा था कि हम ताकत के दम पर दुनिया में शांति लेकर आएंगे। ट्रम्प का यह बयान कट्टरपंथ और आतंकवाद के मुद्दे पर भारत के लिए सकारात्मक संदेश है। 2019 में जब कश्मीर से आर्टिकल 370 हटाया गया था, तब ट्रम्प ने इस मामले में दखल देने से इनकार कर दिया था। उन्होंने जम्मू कश्मीर को भारत का आंतरिक मामला बताया था। वहीं ट्रम्प ने बांग्लादेश में जारी हिंसा को लेकर कहा था कि बांग्लादेश में भीड़ हिंदुओं पर हमला कर रही है, लूटपाट कर रही है। मेरे कार्यकाल में ऐसा कभी भी नहीं होता। कमला और बाइडेन ने अमेरिका समेत पूरी दुनिया में हिंदुओं की अनदेखी की है। 2. भारत-US सैन्य संबंध मजबूत होंगे इनिशिएटिव ऑन क्रिटिकल एंड इमर्जिंग टेक्नोलॉजी (ICET) और अमेरिकी MQ-9 रीपर ड्रोन जैसे रक्षा सौदों ने भारत और US सैन्य संबंधों को मजबूत किया है। ये सौदे बाइडेन के कार्यकाल में हुए थे। ट्रम्प की वापसी के बाद भारत और अमेरिका के बीच रक्षा संबंध और बेहतर हो सकते हैं। डोनाल्ड ट्रम्प ने अपने पहले कार्यकाल के दौरान भारत, अमेरिका, जापान और ऑस्ट्रेलिया के साथ मिलकर इंडो-पैसिफिक क्षेत्र में चीन को कंट्रोल करने के लिए क्वाड गठबंधन को मजबूत किया था। एफ-35 लड़ाकू विमान मिलने की उम्मीद ट्रम्प ने पहले कार्यकाल में भारत के साथ 30,000 करोड़ रुपए के मिलिट्री इक्विपमेंट सौदे की घोषणा की थी। जबकि बाइडेन के कार्यकाल में पनडुब्बी और ड्रोन समझौते को अंतिम रूप दिया गया था। भारत के साथ के साथ F-35 फाइटर जेट को लेकर डील हो सकती है। 3. ट्रम्प भारतीय एक्सपोर्ट पर टैरिफ बढ़ा सकते हैं ट्रम्प के व्हाइट हाउस में वापसी से भारत के एक्सपोर्ट पर नकारात्मक असर पड़ सकता है। ट्रम्प अमेरिकी प्रोडक्ट पर हाई टैरिफ लगाने को लेकर भारत की कई बार आलोचना कर चुके हैं। चुनाव प्रचार के दौरान भी ट्रम्प ने कहा था कि भारत इंपोर्ट ड्यूटी के मामले में बहुत सख्त है। अगर मेरी सरकार आती है, तो हम भारत पर टैरिफ शुल्क कम करने का दबाव डालेंगे। JNU के प्रोफेसर राजन कुमार के मुताबिक अगर भारत इंपोर्ट ड्यूटी कम नहीं करता है तो ट्रम्प इंडियन प्रोडेक्ट पर टैरिफ बढ़ाकर जवाबी कार्रवाई कर सकते हैं। इसका सीधा असर भारत के निर्यात पर पड़ेगा। 2024 में दोनों देशों के बीच कुल 118.2 अरब डॉलर का व्यापार हुआ, जिसमें भारत ने अमेरिका को 77.5 अरब डॉलर का एक्सपोर्ट किया था। पिछले साल दिसंबर में ट्रम्प ने धमकी दी थी कि अगर ब्रिक्स देश ट्रेड के लिए कोई नई करेंसी बनाते हैं तो उन पर 100% टैरिफ लगाया जाएगा। 4. H1B वीजा की प्रोसेस मुश्किल हो सकती है ट्रम्प ने अपने पहले कार्यकाल में H1-B वीजा के नियमों में बदलाव किया था। उन्होंने दूसरे देशों से आने वाले वर्कर्स पर कई शर्तें भी लगाई थीं। इसके चलते ट्रम्प के पहले कार्यकाल में H1-B वीजा आवेदनों के रिजेक्ट होने की दर बढ़ गई थी। 2023 में कुल 3.86 लाख अप्रवासियों को H1-B वीजा दिया गया, जिनमें से 2.79 लाख भारतीय थे। ट्रम्प ने पहले H1-B वीजा को अमेरिकी वर्कफोर्स के लिए खराब बताया था। हालांकि बाद में उन्होंने इसका सपोर्ट करते हुए इसे एक बेहतरीन प्रोग्राम बताया था। ट्रम्प के सरकार में आने से अमेरिका में हर साल में 50 हजार नई नौकरियां आने का अनुमान है। इनमें से सबसे ज्यादा 20 हजार नौकरियां IT सेक्टर में होंगी। ट्रम्प ने अमेरिका में ग्रेजुएशन के बाद भारतीय छात्रों को ग्रीन कार्ड देने का वादा किया है। इसका 5 लाख छात्रों को फायदा मिल सकता है। 5. अवैध आप्रवासियों का डिपोर्ट कर सकते हैं डोनाल्ड ट्रम्प ने अपने दूसरे कार्यकाल के दौरान अवैध अप्रवासियों को सामूहिक तौर पर डिपोर्ट करने का वादा किया है। ट्रम्प के कल के भाषण में अवैध अप्रवासियों को देश से बाहर करने की बात कही है। ट्रम्प ने अवैध रूप से अमेरिका में एंट्री करने वालों को लेकर सख्त रुख अपनाया है। अक्टूबर 2022 से सितंबर 2023 तक अमेरिकी एजेंसियों ने अवैध रूप से घुसने वाले करीब 97 हजार भारतीयों को गिरफ्तार किया था। इनमें से 30,010 भारतीय US-कनाडा बॉर्डर पर पकड़े गए थे। जबकि 41,770 भारतीय US-मेक्सिको बॉर्डर पार करते समय गिरफ्तार हुए। ------------------------------------ यह खबर भी पढ़ें... शपथ लेते ही ट्रम्प बोले- थर्ड जेंडर की मान्यता खत्म:अवैध प्रवासियों की एंट्री बैन, मेक्सिको बॉर्डर पर इमरजेंसी; 10 बड़े ऐलान डोनाल्ड ट्रम्प ने सोमवार, 20 जनवरी को अमेरिकी संसद कैपिटल हिल में 47वें राष्ट्रपति के तौर पर शपथ ली। ट्रम्प ने सत्ता संभालते ही देश से लेकर विदेश तक अमेरिकी नीतियों में कई बड़े बदलाव लाने की बात कही। यहां पढ़ें पूरी खबर...

ट्रम्प की वापसी से पाकिस्तान-बांग्लादेश पर दबाव बढ़ेगा: भारत-US मिलिट्री संबंध मजबूत होंगे
हाल ही में, पूर्व अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प की राजनीतिक वापसी ने दक्षिण एशियाई देशों के लिए नई चुनौतियाँ पैदा कर दी हैं। पाकिस्तान और बांग्लादेश पर अमेरिकी नीतियों के असर के चलते, भारत-US संबंध और भी मजबूत होंगे। इस लेख में हम ट्रम्प की वापसी के संभावित प्रभावों की चर्चा करेंगे और भारतीय उत्पादों पर संभावित टैरिफ के जोखिमों को भी देखेंगे।
ट्रम्प का अमेरिका में फिर से उभरना
डोनाल्ड ट्रम्प के वापसी के संकेतों से न केवल अमेरिका में बल्कि वैश्विक स्तर पर भी हलचल मच गई है। उनकी नीति हमेशा से दक्षिण एशिया, विशेष रूप से पाकिस्तान और बांग्लादेश के प्रति कठोर रही है। ट्रम्प की नीति के तहत, अमेरिका भारत के साथ अपने रक्षा संबंधों को न केवल बढ़ाने का प्रयास करेगा, बल्कि पाकिस्तान और बांग्लादेश पर भी आर्थिक और सैन्य दबाव डालने की योजना बना सकता है।
भारत और अमेरिका के मिलिट्री संबंध
भारत-अमेरिका के बीच मिलिट्री संबंधों में निरंतर सुधार हो रहा है। इसके तहत, रक्षा सौदों, संयुक्त प्रशिक्षण कार्यक्रम, और आतंकवाद पर सामूहिक उपाय शामिल हैं। ट्रम्प की वापसी इस सहयोग को और मजबूती प्रदान कर सकती है, जिससे पाकिस्तान और बांग्लादेश को कड़े फैसले लेने पर मजबूर किया जा सकता है।
भारतीय उत्पादों पर टैरिफ का खतरा
हालांकि, अमेरिका की नई नीतियाँ भारतीय उत्पादों पर टैरिफ बढ़ाने की संभावना को भी जन्म देती हैं। व्यापारिक तनाव बढ़ने से भारतीय निर्यात प्रभावित हो सकते हैं, जिससे भारतीय अर्थव्यवस्था को झटका लग सकता है। उद्योगों को इस संभावित खतरे का ध्यान रखने की आवश्यकता है।
इन सभी मामलों के बावजूद, भारत को अपनी आपूर्ति श्रृंखला को मजबूत बनाने और अन्य बाजारों में विविधता लाने की दिशा में प्रयास करने की जरूरत है।
यह सभी संदर्भ हमें यह सिखाते हैं कि ट्रम्प की वापसी केवल अमेरिका के लिए ही नहीं, बल्कि पूरे दक्षिण एशियाई क्षेत्रों की राजनीति और अर्थव्यवस्था पर भारी प्रभाव डालने वाली है।
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