ट्रम्प के शपथग्रहण में शामिल होने जाएंगे विदेशमंत्री जयशंकर:20 जनवरी को वॉशिंगटन में होगा कार्यक्रम; कमेटी ने न्योता भेजा

विदेश मंत्री जयशंकर 20 जनवरी को अमेरिका के दौरे पर रहेंगे। वे यहां नवनिर्वाचित अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प के शपथग्रहण में शामिल होंगे। शपथग्रहण आयोजन समिति ने इसके लिए भारत को न्योता भेजा है। विदेश मंत्रालय ने इसकी जानकारी X पर पोस्ट कर दी। इस दौरान जयशंकर ट्रम्प प्रशासन में शामिल हो रहे मंत्रियों और दूसरे तमाम देशों से आए नेताओं के साथ मुलाकात भी करेंगे। डोनाल्ड ट्रम्प 20 जनवरी को अमेरिका के 47वें राष्ट्रपति के तौर पर शपथ लेने वाले हैं। उन्होंने राष्ट्रपति चुनाव में कमला हैरिस को हराकर जीत हासिल की है। डोनाल्ड ट्रम्प ने चुनाव में 312 इलेक्टोरल वोट जीते, जबकि कमला हैरिस को 226 वोट ही मिले। ट्रम्प की जीत पर मुहर लगी डोनाल्ड ट्रम्प की राष्ट्रपति चुनाव में जीत पर मुहर लग चुकी है। 6 जनवरी को अमेरिकी संसद में राष्ट्रपति चुनाव के इलेक्टोरल कॉलेज के वोटों की गिनती हुई। गिनती के बाद उपराष्ट्रपति कमला हैरिस ने ट्रम्प की जीत की आधिकारिक घोषणा की। इससे पहले 5 नवंबर को अमेरिकी राष्ट्रपति चुनाव के लिए वोटिंग हुई थी। अगले 24 घंटों में चुनाव के नतीजे साफ हो गए थे। हालांकि चुनाव के 2 महीने बाद ट्रम्प की जीत पर कमला हैरिस ने मुहर लगाई है। इस महीने के अंत में होने वाले अमेरिकी संसद के जॉइंट सेशन और ट्रम्प के शपथ ग्रहण समारोह के लिए कैपिटल हिल के चारों तरफ बाड़ लगाई गई थी और सुरक्षा के भारी भरकम इंतजाम किए गए थे। सजा पाने वाले पहले अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प अमेरिकी इतिहास में सजा पाने वाले पहले राष्ट्रपति बन गए हैं। उन्हें 10 दिसंबर को पोर्न स्टार को पैसे देकर चुप कराने के मामले से जुड़े 34 आरोपों में सजा सुनाई गई। फिलहाल, न्यूयॉर्क की मैनहट्टन कोर्ट ने ट्रम्प को जेल न भेजकर बिना किसी शर्त बरी कर दिया है। ट्रम्प वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए कोर्ट में पेश हुए। कोर्ट रूम में 4 बड़ी स्क्रीन लगाई गई, ट्रम्प सजा सुनाए जाने के दौरान इन पर नजर आए। फैसला सुनाते हुए जस्टिस जुआन मर्चेन ने कहा, 'मैं आपके दूसरे कार्यकाल में सफलता की कामना करता हूं।' ट्रम्प को मिली ये सजा सिर्फ सांकेतिक है। इसका मतलब ये है कि उन्हें न तो जेल होगी और न ही उन्हें कोई जुर्माना भरना पड़ेगा। हालांकि वे एक अपराधी साबित हो चुके शख्स के तौर पर अमेरिकी राष्ट्रपति की शपथ लेंगे। ------------------------------------------------------- ट्रम्प से जुड़ी ये खबर भी पढ़ें... नतीजों के बाद शपथ ग्रहण में 75 दिन लगेंगे:इस दौरान क्या-क्या होगा; ट्रम्प को सत्ता कैसे ट्रांसफर करेंगे बाइडेन डोनाल्ड ट्रम्प अमेरिका के नए राष्ट्रपति बनने वाले हैं। 20 जनवरी को उनका राष्ट्रपति के तौर पर शपथग्रहण होगा। चुनाव में जीत और शपथग्रहण के बीच लगभग 75 दिनों का अंतर होता है। इन दिनों में सत्ता हस्तांतरण से जुड़े दूसरे काम पूरे किए जाते हैं। पूरी खबर यहां पढ़ें...

Jan 12, 2025 - 12:15
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ट्रम्प के शपथग्रहण में शामिल होने जाएंगे विदेशमंत्री जयशंकर

20 जनवरी को वॉशिंगटन में आयोजित होने वाले ट्रम्प के शपथग्रहण समारोह में भारत के विदेशमंत्री सुब्रह्मण्यम जयशंकर शामिल होंगे। यह कार्यक्रम अमेरिका के नए राष्ट्रपति के शपथ ग्रहण का प्रतीकात्मक आयोजन है, जो अंतरराष्ट्रीय संबंधों को मजबूत करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम माना जा रहा है।

कमेटी ने न्योता भेजा

अमेरिकी प्रशासन द्वारा आयोजित इस समरोह के लिए भारतीय विदेशमंत्री को आधिकारिक न्योता प्राप्त हुआ है। यह आदान-प्रदान भारत और अमेरिका के बीच मजबूत होते रिश्तों का प्रमाण है। जयशंकर का यह दौरा भारत और अमेरिका के बीच सहयोग को और अधिक बढ़ाने में सहायक सिद्ध हो सकता है।

विदेश नीति में महत्वपूर्ण कदम

जयशंकर की उपस्थिति से स्पष्ट होता है कि भारत अपनी विदेश नीति में सक्रियता बनाए रखने पर जोर दे रहा है। भारत की बढ़ती भू-राजनीतिक महत्व को देखते हुए इस समारोह का महत्व और भी बढ़ जाता है। अमेरिकी चुनावों के परिणामों के बाद, यह देखना रोचक होगा कि ट्रम्प प्रशासन की नीतियां भारत के लिए क्या संभावनाएं लाती हैं।

आगामी कार्यक्रम की योजना

20 जनवरी का यह कार्यक्रम न्यूयॉर्क में नहीं बल्कि वॉशिंगटन में होगा, जो इस वक्त का सबसे महत्वपूर्ण राजनीतिक संविधान है। जयशंकर के अलावा कई अन्य देशों के प्रतिनिधि भी इस समारोह में शामिल होंगे। यह भारत के लिए एक बड़ा अवसर है कि वह अंतरराष्ट्रीय मंच पर अपनी स्थिति को और मजबूत करे।

निष्कर्ष

जयशंकर का यह कार्यक्रम न केवल उनकी व्यक्तिगत यात्रा है, बल्कि यह एक रणनीतिक कदम भी है जिसका उद्देश्य भारत और अमेरिका के लिए सहयोग को नई दिशा में बढ़ाना है। इस कार्यक्रम के दौरान अन्य विषयों पर भी चर्चा की जाएगी, जैसे व्यापार, रक्षा, और जलवायु परिवर्तन।

भारत और अमेरिका के बीच अच्छे संबंधों को मजबूत करने के लिए इस कार्यक्रम का महत्व अत्यधिक है। भारत के लिए यह अवसर है कि वह वैश्विक मंच पर अपने प्रभाव को बढ़ा सके।

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