ट्रम्प ने सबसे बड़े मिलिट्री अफसर को हटाया:अश्वेत आंदोलन को सपोर्ट किया था, जो 2020 में ट्रम्प के चुनाव हारने की बड़ी वजह बना
डोनाल्ड ट्रम्प ने शुक्रवार रात देश के सबसे बड़े मिलिट्री अफसर को अचानक हटा दिया। इस अफसर का नाम चार्ल्स सी क्यू ब्राउन जूनियर है, जो सेना के जॉइंट चीफ ऑफ स्टाफ (JCS) के चेयरमैन थे। JCS अमेरिका के रक्षा विभाग के सबसे सीनियर मिलिट्री लीडर्स का ग्रुप है। यह ग्रुप राष्ट्रपति, रक्षा मंत्री, होमलैंड सिक्योरिटी काउंसिल और नेशनल सिक्योरिटी काउंसिल को सैन्य मामलों पर सलाह देता है। सी क्यू ब्राउन ने 2020 में ब्लैक लाइव्स मैटर आंदोलन का सार्वजनिक तौर पर समर्थन किया था। यह आंदोलन अश्वेत जॉर्ज फ्लॉयड की हत्या के बाद शुरू हुआ था। तब सी क्यू एयरफोर्स के चीफ ऑफ स्टाफ थे। उस वक्त ट्रम्प राष्ट्रपति के पद पर थे। ट्रम्प के 2020 चुनाव में हुई हार के पीछे इस आंदोलन की बड़ी भूमिका मानी जाती है। ट्रम्प ने करीबी वायुसेना जनरल को दी जिम्मेदारी ट्रम्प ने ब्राउन की जगह रिटायर्ड वायु सेना जनरल डैन केन को JCS चेयरमैन पद की जिम्मेदारी सौंपी। ट्रम्प और डैन केन की मुलाकात 2018 में इराक में हुई थी। तब केन ने कहा था कि वे ट्रम्प के लिए जान भी दे सकते हैं। ट्रम्प ने बाइडेन सरकार पर आरोप लगाया- डैन केन का प्रमोशन नहीं किया गया, क्योंकि वे मेरे करीबी थी। वे 4 स्टार अफसर बनने के काबिल थे। 5 अफसर और बर्खास्त, नाम नहीं बताए चार्ल्स सी क्यू ब्राउन जूनियर के अलावा रक्षा विभाग के 5 और अफसरों को निकाला गया है। इनमें पहली बार नौसेना की जिम्मेदारी संभालने वाली महिला अफसर एडमिरल लिसा फ्रैंचेटी, एयर फोर्स के डिप्टी चीफ जेम्स स्लाइफ के अलावा आर्मी, एयरफोर्स और नेवी के 3 टॉप वकील शामिल हैं। फिलहाल इनके नामों का खुलासा नहीं हुआ है। सरकार बदलने पर JCS चेयरमैन नहीं बदलता अमेरिका में सरकार बदलने के बाद JCS के चेयरमैन को बदलने का चलन नहीं है। वह चार का कार्यकाल पूरा करता है और दोनों प्रशासन के बीच पुल का काम करता है। लेकिन सी क्यू ब्राउन सिर्फ 16 महीने ही पद पर रह पाए। उन्हें 1 अक्टूबर 2023 को यह पद सौंपा गया था। सी क्यू ब्राउन अमेरिकी सैन्य इतिहास में दूसरे ब्लैक अफसर थे जो इस पद तक पहुंचे थे। वे 4 स्टार फाइटर पायलट हैं। रक्षा मंत्री ने हटाने का दिया था संकेत अमेरिकी रक्षा मंत्री पीट हेगसेथ ने पद संभालने से पहले नवंबर में सी क्यू ब्राउन को हटाने का संकेत दिया था। उन्होंने कहा था कि अमेरिकी सेना में विविधता और समानता (DEI) को खत्म करना होगा और सबसे पहले जॉइंट चीफ स्टाफ चेयरमैन को बर्खास्त करना होगा। अब सी क्यू की बर्खास्तगी के बाद इसे उस बयान से जोड़कर देखा जा रहा है। ------------------------------ ट्रम्प प्रशासन से जुड़ी ये खबर भी पढ़ें... काश पटेल ने भगवद गीता पर हाथ रखकर शपथ ली:FBI डायरेक्टर पद की संभाली जिम्मेदारी; ट्रम्प बोले- वे सबसे काबिल अफसर बनेंगे भारतवंशी कश्यप काश पटेल ने शनिवार को भगवद गीता पर हाथ रखकर अमेरिकी जांच एजेंसी फेडरल ब्यूरो ऑफ इन्वेस्टिगेशन (FBI) के डायरेक्टर पद की शपथ ली। न्यूयॉर्क टाइम्स के मुताबिक अमेरिकी अटॉर्नी जनरल पैम बॉन्डी ने उन्हें पद की शपथ दिलाई। पूरी खबर यहां पढ़ें...

ट्रम्प ने सबसे बड़े मिलिट्री अफसर को हटाया
News by indiatwoday.com
इंसानियत की आवाज़: अश्वेत आंदोलन का प्रभाव
पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने एक बार फिर सुर्खियाँ बटोरी हैं, जब उन्होंने अपने सबसे बड़े मिलिट्री अधिकारी को हटाने का निर्णय लिया। यह कदम उस समय उठाया गया जब अमेरिका में अश्वेत आंदोलन की गूँज सुनाई दे रही थी। अश्वेत आंदोलन, जो 2020 में के लिए महत्वपूर्ण था, ने ट्रम्प के चुनाव हारने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी। इस आंदोलन ने न केवल समाज में एक बड़ा बदलाव लाने की कोशिश की, बल्कि चुनावी राजनीति पर भी गहरा प्रभाव डाला।
राजनीतिक दूरियाँ और चयन प्रक्रिया
ट्रम्प के इस निर्णय के पीछे के कारणों में न केवल उस अधिकारी की विचारधारा है, बल्कि ट्रम्प के अपने राजनीतिक हित भी हैं। जब से विरोध प्रदर्शन शुरू हुए, ट्रम्प ने अक्सर इसे 'अराजकता' के रूप में प्रस्तुत किया और अधिकारियों को हटाकर अपनी शक्ति को बनाए रखने की कोशिश की। इस निर्णय को कई लोगों ने अश्वेत आंदोलन की वैधता को कमजोर करने का एक प्रयास माना है।
अगले चुनाव की चुनौतियाँ
इस घटना के बाद, ट्रम्प को अपने समर्थकों और सामान्य जनता दोनों के सामने कई चुनौतियों का सामना करना पड़ेगा। आगामी चुनाव में एक बड़ा सवाल यह होगा कि क्या ट्रम्प इस रणनीति को जारी रख सकेंगे या उन्हें अपने दृष्टिकोण में बदलाव करना होगा। राजनीतिक विशेषज्ञों का मानना है कि अश्वेत आंदोलन की गूँज आगामी चुनावों में भी सुनाई देगी, जिससे राजनीतिक परिदृश्य में बदलाव की संभावना है।
निष्कर्ष
अश्वेत आंदोलन और ट्रम्प का यह निर्णय दोनों ही अमेरिका के राजनीतिक और सामाजिक परिदृश्य में महत्वपूर्ण मोड़ हैं। आने वाले दिनों में, यह देखना दिलचस्प होगा कि ट्रम्प इस संकट को किस तरह से संभालते हैं और क्या वे अपने धारणाओं में बदलाव लाने के लिए तैयार हैं।
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