ट्रम्प से बहस के बाद जेलेंस्की की कुर्सी खतरे में:एक्सपर्ट्स बोले- सरकार गिराने में मदद कर सकती है US एजेंसी, रूस को मिलेगा फ्री हैंड

यूक्रेन के राष्ट्रपति वोलोदिमिर जेलेंस्की रूस के साथ जंग में मदद मांगने के लिए अमेरिका आए थे। यहां राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प से मुलाकात में बात कुछ ऐसी पलटी कि जेलेंस्की को न सिर्फ खाली हाथ लौटना पड़ा, बल्कि अमेरिका से रिश्ते भी बिगड़ गए। व्हाइट हाउस में ट्रम्प और उप-राष्ट्रपति जेडी वेंस के साथ जेलेंस्की की बहस ग्लोबल पॉलिटिक्स में बड़ा बदलाव ला सकती है। एक्सपर्ट्स का मानना है कि यूक्रेन में जेलेंस्की की कुर्सी पर खतरा पैदा हो गया है।​​​​​​जेलेंस्की में लोगों का विश्वास कम हो रहा है, जिससे उनकी सरकार गिराना आसान होगा। अमेरिका और यूक्रेन के बीच आए इस तनाव का दोनों देशों पर क्या असर पड़ेगा, जेलेंस्की, यूक्रेन और यूरोपीय नेताओं पर दबाव डालने के लिए ट्रम्प आगे क्या रणनीति अपना सकते हैं, आइए आपको बताते हैं एक्सपर्ट्स की राय... सबसे पहले तीन तस्वीरों में देखिए जेलेंस्की का अमेरिका दौरा... जेलेंस्की के तख्तापलट में मदद कर सकती है US सीक्रेट एजेंसी बनारस हिंदी यूनिवर्सिटी (BHU) में इंटरनेशनल रिलेशन के प्रोफेसर प्रियंकर उपाध्याय का कहना है कि ट्रम्प ने अपने सारे कार्ड खोल दिए हैं। व्हाइट हाउस में ट्रम्प के साथ बहस के बाद जेलेंस्की का मनोबल बुरी तरह कमजोर हो चुका है। यह भी मुमकिन है कि रूस यूक्रेन में तख्तापलट करवा सकते हैं। रूस पर भी आरोप लगे हैं कि उसने यूक्रेन में कठपुतली सरकार बनवाई थी। अगर रूस एक बार फिर ऐसी कोशिश करता है तो संभावना है कि अमेरिकी सीक्रेट एजेंसी CIA भी इसमें मदद कर सकती है। अनुमान की वजह: अमेरिका पहले भी अपने फायदे के लिए दुनिया में कई बार तख्तापलट करवा चुका है। 1980 के दशक में अफगानिस्तान से सोवियत यूनियन को बाहर करने के लिए अमेरिका ने तालिबान को बनाया। तालिबान ने अफगानिस्तान पर कब्जा कर लिया। बाद में अमेरिका ने तालिबान के खिलाफ ही 20 साल लड़ाई लड़ी। पिछले साल बांग्लादेश में शेख हसीना की तख्तापलट में अमेरिका का हाथ होने का आरोप लगा था। राष्ट्रपति पुतिन ने आरोप लगाया था कि 2014 में अमेरिका की वजह से यूक्रेन के रूस समर्थक राष्ट्रपति विक्टर यानुकोविच का तख्तापलट हुआ था। ट्रम्प यूक्रेन के सामान पर टैरिफ लगा सकते हैं एमिटी यूनिवर्सिटी के इंटरनेशनल मामलों के एक्सपर्ट श्रीश पाठक का कहना है कि ट्रम्प दबाव बनाने के लिए रूस के साथ शांति वार्ता से यूक्रेन को पूरी तरह बाहर कर सकते हैं। आर्थिक दबाव बढ़ाने के लिए यूक्रेनी सामान पर टैरिफ लगा सकते हैं। इसके साथ ही वो नाटो को दी जाने वाली अमेरिकी मदद में कटौती का ऐलान कर सकते हैं, जिससे यूरोपीय देश ट्रम्प के हिसाब से काम करने को मजबूर हो सकते हैं। अनुमान की वजह: शुक्रवार को व्हाइट हाउस में ट्रम्प ने जेलेंस्की पर आरोप लगाया था कि वो तीसरा विश्वयुद्ध कराने का जुआ खेल रहे हैं। जेलेंस्की ने कहा कि भविष्य में इस युद्ध का असर अमेरिका पर भी पड़ेगा। इस पर ट्रम्प झुंझला गए और उन्होंने कहा कि हमें मत बताइए कि हमें क्या महसूस करना चाहिए। आप हमें कुछ भी बताने की स्थिति में नहीं हैं। ट्रम्प अपने इलेक्शन कैंपेन के दौरान भी कई बार NATO ग्रुप की आलोचना कर चुके हैं। ट्रम्प का कहना है कि इस संगठन में अमेरिका सबसे ज्यादा फंडिंग देता है, जबकि इसमें शामिल सभी देशों पर बराबर की जिम्मेदारी होनी चाहिए। ट्रम्प यूक्रेन से हफ्तावसूली कर रहे, ये भारत के लिए भी संदेश JNU के प्रोफेसर राजन कुमार का कहना है कि ट्रम्प यूक्रेन पर दबाव बढ़ाने के लिए वहां इलॉन मस्क की कंपनी स्टार लिंक का इंटरनेट बंद कर सकते हैं। हथियार का सपोर्ट तो पूरी तरह बंद हो ही जाएगा। इसके साथ ही अब अमेरिका जेलेंस्की को सरकार के बेदखल करने की पूरी कोशिश करेगा। इसके लिए जेलेंस्की पर लगे करप्शन के मामलों को हाईलाइट किया जाएगा। इसके अलावा यूक्रेन में जो मौतें हो रही हैं उन्हें भी अमेरिका बढ़ा-चढ़ा कर बताएगा। अमेरिका, यूक्रेन में जेलेंस्की के विरोध में लोगों को भड़काएगा और रूस को पूरी तरह से फ्री हैंड दिया जाएगा। जब रूस को यह लगेगा की अब यूक्रेन को अमेरिका का सपोर्ट नहीं है तो वो हमले और तेज कर देगा। हाल फिलहाल की स्थिति में अमेरिका और यूरोप के रिश्तों में भी एक तरह का ब्रेक आ गया है। रविवार की मीटिंग में यूरोपियन यूनियन भले ही कोई भी फैसला ले लेकिन ब्रिटेन कभी भी अमेरिका के खिलाफ नहीं जाएगा। ब्रिटेन को यह भी डर है कि अगर अमेरिका ने उसका साथ छोड़ दिया तो उसकी भी स्थिति संकट में जाएगी। ट्रम्प यूक्रेन के साथ जो कर रहे हैं वो एक तरह की हफ्तावसूली है। इससे भारत जैसे देशों के लिए भी संदेश है कि अमेरिका के भरोसे कभी युद्ध में न उलझें। ट्रम्प का मुख्य मकसद अमेरिका को आर्थिक रूप से मजबूत करना है। अनुमान की वजह- राष्ट्रपति ट्रम्प के सहयोगी इलॉन मस्क की कंपनी स्टार-लिंक यूक्रेन में इंटरनेट सर्विस देती है। व्हाइट हाउस में तीखी बहस के बाद मस्क ने भी जेलेंस्की को निशाने पर लिया है। उन्होंने सोशल मीडिया X पर लिखा कि यह पता लगाने का समय आ गया है कि यूक्रेन को भेजे गए सैकड़ों अरब डॉलर का हकीकत में क्या हुआ। दूसरी तरफ अमेरिका ने हाल ही में संयुक्त राष्ट्र (UN) में यूक्रेन की तरफ से लाए गए एक प्रस्ताव का विरोध करते हुए रूस का समर्थन कर दिया था। बीते तीन सालों में यह पहली बार था जब अमेरिका ने यूक्रेन और यूरोपीय देशों के खिलाफ जाकर रूस का सपोर्ट किया हो। फिलहाल ट्रम्प का ध्यान अमेरिका को आर्थिक तौर पर मजबूत करने पर लगा हुआ है। इसके लिए वो अपने पड़ोसी कनाडा और मेक्सिको के साथ चीन पर भी भारी भरकम टैरिफ का ऐलान कर चुके हैं। ऐसे में मुमकिन है कि वो रूस के साथ बिजनेस डील को तैयार हो जाएं। ट्रम्प की पार्टी नहीं चाहती कि रूस कमजोर हो अंतरराष्ट्रीय संबंधों के एक्सपर्ट कमर आगा का कहना है कि अमेरिका यह जान चुका है कि यूक्रेन जंग जीत नहीं सकता है। ट्रम्प बिजनेसमैन हैं, ऐसे में उनका मानना है कि क्यों बेकार में पैसा खर्च किया जाए। अमेरिका ने यह सोचकर यूक्रेन का स

Mar 2, 2025 - 07:59
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ट्रम्प से बहस के बाद जेलेंस्की की कुर्सी खतरे में:एक्सपर्ट्स बोले- सरकार गिराने में मदद कर सकती है US एजेंसी, रूस को मिलेगा फ्री हैंड
यूक्रेन के राष्ट्रपति वोलोदिमिर जेलेंस्की रूस के साथ जंग में मदद मांगने के लिए अमेरिका आए थे। यह

ट्रम्प से बहस के बाद जेलेंस्की की कुर्सी खतरे में

News by indiatwoday.com

हाल ही में, यूक्रेन के राष्ट्रपति वोलोडिमिर जेलेंस्की और पूर्व अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प के बीच हुई बहस ने कई नए सवाल उठाए हैं। विशेषज्ञों का मानना है कि यह बहस जेलेंस्की की राजनीतिक स्थिरता को गंभीर रूप से प्रभावित कर सकती है। यूक्रेनी सरकार पर अमेरिकी एजेंसियों के संभावित हस्तक्षेप का असर न केवल यूक्रेन में बल्कि क्षेत्रीय स्थिरता पर भी पड़ेगा।

जेलेंस्की की स्थिति पर अमेरिकी हस्तक्षेप का प्रभाव

विशेषज्ञों के अनुसार, अमेरिका की एजेंसियां राजनीतिक turmoil के दौरान जेलेंस्की की सरकार को गिराने में मदद कर सकती हैं। यदि ऐसा होता है, तो रूस को इस अस्थिरता का फायदा उठाने का अवसर मिल सकता है। रूस ने पहले भी यूक्रेन में अपने प्रभाव को बढ़ाने के लिए स्थिति का उपयोग किया है, और यदि जेलेंस्की कमजोर होते हैं, तो रूस को एक 'फ्री हैंड' मिल जाएगा।

रूस और यूक्रेन के बीच के बढ़ते तनाव

जेलेंस्की की स्थिति कमजोर होने से यूक्रेन की संप्रभुता पर खतरा मंडरा रहा है। अमेरिका और यूरोपीय संघ की प्रतिबद्धताएं इस समय महत्वपूर्ण हैं। जबकि अमेरिका ने अपने समर्थन का वादा किया है, कई विशेषज्ञों का मानना है कि यह स्थिति उलट भी सकती है। अगर जेलेंस्की को सत्ता से बाहर किया गया, तो न केवल यूक्रेन की औपचारिक सरकार प्रभावित होगी बल्कि क्षेत्रीय स्थिरता भी खतरे में पड़ जाएगी।

आगे की राह

संभावित राजनीतिक अस्थिरता के बाद, यूक्रेन के पास अपने राष्ट्रीय हितों की रक्षा करने के लिए कई चुनौतियां हैं। ऐसी स्थितियों में अंतरराष्ट्रीय सहयोग महत्वपूर्ण हो जाता है। इसीलिए यह जरूरी है कि यूक्रेन को अपने दोस्तों को एकजुट करने के लिए सक्रिय कदम उठाने चाहिए।

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