तालिबान के उप-विदेश मंत्री ने अफगानिस्तान छोड़ा:लड़कियों की पढ़ाई बैन करने के तालिबानी फैसले की आलोचना की थी
तालिबान के उप-विदेश मंत्री मोहम्मद अब्बास स्टनिकजई को जबरन देश छोड़ने पर मजबूर होना पड़ा है। वे अफगानिस्तान छोड़कर UAE चले गए हैं। स्टनिकजई ने अफगानिस्तान में लड़कियों की पढ़ाई पर रोक से जुड़े तालिबानी फैसले की आलोचना की थी। तालिबान ने अफगान लड़कियों के सेकेंडरी और हाईयर ऐजुकेशन में एडमिशन लेने पर रोक लगा दी है। 20 जनवरी को पाकिस्तान बॉर्डर के पास खोस्त प्रांत में एक ग्रेजुएशन सेरेमनी में बोलते हुए कहा, पैगंबर मोहम्मद के वक्त भी पुरुषों और महिलाओं के लिए शिक्षा के रास्ते खुले थे। ऐसी उल्लेखनीय महिलाएं थीं कि अगर मैं उनके योगदान के बारे में विस्तार से बताऊं तो मुझे काफी वक्त लग जाएगा। उन्होंने कहा, "हम 2 करोड़ लोगों के साथ अन्याय कर रहे हैं, इसके लिए कोई बहाना नहीं है।” महिलाओं की नर्सिंग पर भी रोक तालिबान ने पिछले महीने महिलाओं की नर्सिंग ट्रेनिंग पर भी रोक लगा दी थी। न्यूज एजेंसी AFP के मुताबिक दिसंबर में काबुल में स्वास्थ्य अधिकारियों की बैठक में तालिबान सरकार का फैसला सुनाया गया। अफगानिस्तान में स्वास्थ्य मंत्रालय के एक अधिकारी के मुताबिक इस मामले में कोई आधिकारिक बयान नहीं आया था, लेकिन बैठक के दौरान ही उन्हें कहा गया कि महिलाएं और लड़कियां अब इन संस्थानों में पढ़ाई नहीं कर सकती हैं। इसकी कोई वजह नहीं बताई गई। तालिबान के फैसले पर किक्रेटर राशिद खान ने भी चिंता जताई थी। उन्होंने कहा कि तालिबान के इस फैसले का अफगानिस्तान पर गहरा असर पड़ेगा, क्योंकि देश पहले से ही मेडिकल और पैरामेडिकल स्टाफ की कमी से जूझ रहा है। एमनेस्टी बोला- अफसानिस्तान में सबसे ज्यादा मातृ मत्यु दर, यह और बढ़ेगा अफगानिस्तान में संयुक्त राष्ट्र मिशन ने भी तालिबान सरकार से अपने फैसले पर फिर से विचार करने की अपील की। मिशन ने कहा कि इस फैसले से देश के हेल्थ सिस्टम और विकास पर बुरा असर पड़ेगा। एमनेस्टी इंटरनेशनल ने कहा कि अफगानिस्तान में सबसे ज्यादा महिलाओं की मौत बच्चों को जन्म देने के दौरान हो जाती है। देश में पहले से ही मेडिकल स्टाफ की कमी है। तालिबान के फैसले से देश पर विनाशकारी प्रभाव पड़ेगा। BBC के मुताबिक तालिबान के इस फैसले से देश में महिलाओं की पढाई का आखिरी रास्ता भी बंद हो गया है। तालिबान ने 2021 में अफगानिस्तान पर दोबारा कब्जा कर लिया था। इसके बाद से वह महिलाओं पर कई पाबंदियां लगा चुका है। सबसे पहले अलग-अलग सरकारी संस्थानों में काम कर रही महिलाओं से उनकी नौकरियां छीनी गईं। फिर उनकी पढ़ाई पर पाबंदियां लगाई गईं। अफगानिस्तान में महिलाएं सिर्फ छठी कक्षा तक ही पढ़ाई कर सकती हैं। क्या है अफगानिस्तान का शरिया कानून तालिबान ने अफगानिस्तान पर कब्जा करने के बाद कहा था कि देश में शरिया कानून लागू होगा। दरअसल, शरिया इस्लाम को मानने वाले लोगों के लिए एक लीगल सिस्टम की तरह है। कई इस्लामी देशों में इसका इस्तेमाल होता है। हालांकि, पाकिस्तान समेत ज्यादातर इस्लामी देशों में यह पूरी तरह लागू नहीं है। इसमें रोजमर्रा की जिंदगी से लेकर कई तरह के बड़े मसलों पर कानून हैं। शरिया में पारिवारिक, वित्त और व्यवसाय से जुड़े कानून शामिल हैं। शराब पीना, नशीली दवाओं का इस्तेमाल करना या तस्करी, शरिया कानून के तहत बड़े अपराधों में से एक है। यही वजह है कि इन अपराधों में कड़ी सजा के नियम हैं। तालिबान से जुड़ी यह खबर भी पढ़ें... अफगानी महिलाओं के इबादत के वक्त तेज बोलने पर रोक:तालिबान ने कहा- तेज आवाज में कुरान नहीं पढ़ सकेंगी; मस्जिद में जाने पर भी पाबंदी अफगानिस्तान में तालिबान ने महिलाओं के लिए एक नया फरमान जारी किया। अफगानी न्यूज चैनल अमू टीवी की रिपोर्ट के मुताबिक, महिलाओं के लिए तेज आवाज में इबादत करने पर रोक लगा दी गई है। तालिबान के मंत्री मोहम्मद खालिद हनाफी ने यह आदेश जारी किया है। पूरी खबर यहां पढ़ें...

तालिबान के उप-विदेश मंत्री ने अफगानिस्तान छोड़ा: लड़कियों की पढ़ाई बैन करने के तालिबानी फैसले की आलोचना की थी
तालिबान के उप-विदेश मंत्री ने हाल ही में अफगानिस्तान छोड़ दिया है। यह कदम उस विवाद के बीच उठाया गया है जिसमें उन्होंने लड़कियों की शिक्षा पर तालिबान के द्वारा लगाए गए प्रतिबंध की आलोचना की थी। इस विवाद ने न केवल देशों के बीच कूटनीतिक संबंधों को प्रभावित किया है, बल्कि यह अफगानिस्तान के भीतर शिक्षा और मानवाधिकारों के मुद्दों को भी उजागर करता है।
तालिबान का निर्णय और इसके प्रभाव
तालिबान ने पिछले कुछ महीनों में लड़कियों के स्कूल जाने पर प्रतिबंध लगाया था, जिसके कारण अनेक अंतरराष्ट्रीय संगठनों और मानवाधिकार कार्यकर्ताओं ने इस कदम की कड़ी निंदा की। उप-विदेश मंत्री की आलोचना ने इस निर्णय को और भी प्रमुख बना दिया है। उनका आना-जाना इस बात का संकेत हो सकता है कि तालिबान के भीतर भी विचारों में भिन्नता हो सकती है। ऐसे में इस स्थिति का फौलादी असर अफगानिस्तान की राजनीतिक स्थिरता पर पड़ सकता है।
अंतरराष्ट्रीय प्रतिक्रिया
अफगानिस्तान की इस स्थिति पर विभिन्न देशों ने अपनी प्रतिक्रिया व्यक्त की है। कई देशों ने तालिबान के निर्णय को गलत ठहराते हुए अधिकारियों से अपील की है कि वे शिक्षा के अधिकार के प्रति संवेदनशील रहें। इस समर्थन से तालिबान के खिलाफ एक मजबूत अंतरराष्ट्रीय धारणा विकसित हो रही है।
शिक्षा का भविष्य
अधिकांश विशेषज्ञ मानते हैं कि लड़कियों की शिक्षा को बहाल करने का निर्णय तालिबान की स्थिरता और अंतरराष्ट्रीय सहायता की कुंजी है। यदि तालिबान ने इस दिशा में सकारात्मक परिवर्तन नहीं किया, तो यह न केवल उनके लिए, बल्कि पूरे देश के लिए विनाशकारी साबित हो सकता है।
यह स्थिति अफगान महिलाओं के लिए भी एक बड़ी चुनौती बन गई है। उन्हें बिना शिक्षा के अपने भविष्य के लिए संघर्ष करना पड़ रहा है। ऐसे में अंतरराष्ट्रीय समुदाय का दबाव तालिबान पर एक बदलाव लाने में महत्वपूर्ण हो सकता है।
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निष्कर्ष
तालिबान के उप-विदेश मंत्री का अफगानिस्तान छोड़ना और लड़कियों की पढ़ाई पर लगे बैन की आलोचना करना, निश्चित रूप से संकट की घड़ी में एक महत्वपूर्ण घटना है। इस मुद्दे पर अधिक ध्यान केंद्रित करने और सकारात्मक परिवर्तन लाने की ضرورت है, ताकि अफगानिस्तान का भविष्य सुरक्षित और समृद्ध बन सके। Keywords: तालिबान उप-विदेश मंत्री, अफगानिस्तान छोड़ना, लड़कियों की पढ़ाई बैन, तालिबानी फैसले की आलोचना, अंतरराष्ट्रीय प्रतिक्रिया, शिक्षा का भविष्य, मानवाधिकार अफगानिस्तान, अफगानिस्तान में शिक्षा संकट, तालिबान और महिला अधिकार, अफगानिस्तान का राजनीतिक स्थिरता
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