तिरुपति मंदिर में भगदड़, 4 की मौत:टिकट बुकिंग काउंटर पर टोकन के लिए 4 हजार लोग कतार में लगे थे, 150 से ज्यादा घायल
आंध्र प्रदेश के तिरुपति बालाजी मंदिर में बुधवार देर रात 9:30 बजे वैकुंठ द्वार दर्शन टिकट काउंटर के पास भगदड़ मच गई। इस हादसे में एक महिला समेत 4 लोगों की मौत हो गई। 150 से ज्यादा भक्त घायल होने की खबर है। दरअसल, काउंटर के पास 4 हजार से ज्यादा श्रद्धालु कतार में खड़े थे। उसी वक्त श्रद्धालुओं को बैरागी पट्टीडा पार्क में कतार लगाने के लिए कहा गया। आगे की जाने की होड़ में अफरा-तफरी मच गई। भागने के दौरान लोग एक-दूसरे पर चढ़ गए। इससे लोगों को दम घुट गया। मल्लिका नाम की एक महिला की मौत मौके पर हो गई। आंध्र प्रदेश के सीएम चंद्रबाबू नायडू ने भी फोन पर अधिकारियों से स्थिति की जानकारी ली है। हादसे की 4 फोटोज जिस द्वार पर हादसा हुआ, उसे 10 जनवरी को खोला जाना था एक दिन पहले मंगलवार को तिरुमाला तिरुपति देवस्थानम (TTD) के कार्यकारी अधिकारी जे श्यामला राव ने बताया था कि 10 से 19 जनवरी तक वैकुंठ एकादशी पर वैकुंठ द्वार दर्शन के लिए खोले जाएंगे। इसके लिए लोग टोकन लेने के लिए लाइन में लगे थे। तिरुपति भारत का सबसे प्रसिद्ध और अमीर मंदिर तिरुमला तिरुपति देवस्थान दुनिया के सबसे प्रसिद्ध और अमीर तीर्थस्थलों में से एक है। ये आंध्र प्रदेश के सेशाचलम पर्वत पर बसा है। भगवान वेंकटेश्वर के इस मंदिर का निर्माण राजा तोंडमन ने करवाया था। मंदिर की प्राण प्रतिष्ठा 11वीं सदी में रामानुजाचार्य ने की थी। मान्यता है कि भगवान वेंकटेश्वर जब पद्मावती से अपना विवाह रचा रहे थे तो उन्होंने धन के देवता कुबेर से कर्ज लिया। भगवान पर अब भी वो कर्ज है और श्रद्धालु इसका ब्याज चुकाने में उनकी मदद करने के लिए दान देते हैं। तिरुमाला मंदिर को हर साल लगभग एक टन सोना दान में मिलता है। तिरुपति दर्शन करने जाने वाले सभी श्रद्धालुओं को यहां का प्रसिद्ध लड्डू प्रसाद में दिया जाता है। यहां रोज करीब 3 लाख लड्डू बनाए जाते हैं। लड्डू को चने के बेसन, मक्खन, चीनी, काजू, किशमिश और इलायची से बनाया जाता है और इसकी रेसिपी करीब 300 साल पुरानी है। यहां बालों का दान किया जाता है मान्यता है कि जो व्यक्ति अपने मन से सभी पाप और बुराइयों को यहां छोड़ जाता है, उसके सभी दुःख देवी लक्ष्मी खत्म कर देती हैं। इसलिए यहां अपनी सभी बुराइयों और पापों के रूप में लोग अपने बाल छोड़ जाते हैं। भगवान विष्णु को कहते हैं व्यंकटेश्वर इस मंदिर के बारे में कहा जाता हैं कि यह मेरूपर्वत के सप्त शिखरों पर बना हुआ है, इसकी सात चोटियां शेषनाग के सात फनों का प्रतीक कही जाती हैं। इन चोटियों को शेषाद्रि, नीलाद्रि, गरुड़ाद्रि, अंजनाद्रि, वृषटाद्रि, नारायणाद्रि और व्यंकटाद्रि कहा जाता है। इनमें से व्यंकटाद्रि नाम की चोटी पर भगवान विष्णु विराजित हैं और इसी वजह से उन्हें व्यंकटेश्वर के नाम से जाना जाता है। सिर्फ शुक्रवार को होते हैं पूरी मूर्ति के दर्शन मंदिर में बालाजी के दिन में तीन बार दर्शन होते हैं। पहला दर्शन विश्वरूप कहलाता है, जो सुबह के समय होता है। दूसरा दर्शन दोपहर को और तीसरा दर्शन रात को होता है। भगवान बालाजी की पूरी मूर्ति के दर्शन केवल शुक्रवार को सुबह अभिषेक के समय ही किए जा सकते हैं। भगवान बालाजी ने यहीं दिए थे रामानुजाचार्य को साक्षात दर्शन यहां पर बालाजी के मंदिर के अलावा और भी कई मंदिर हैं, जैसे- आकाश गंगा, पापनाशक तीर्थ, वैकुंठ तीर्थ, जालावितीर्थ, तिरुच्चानूर। ये सभी जगहें भगवान की लीलाओं से जुड़ी हुई हैं। कहा जाता है कि श्रीरामानुजाचार्य जी लगभग डेढ़ सौ साल तक जीवित रहे और उन्होंने सारी उम्र भगवान विष्णु की सेवा की, जिसके फलस्वरूप यहीं पर भगवान ने उन्हें साक्षात दर्शन दिए थे।

तिरुपति मंदिर में भगदड़: 4 की मौत और 150 से ज्यादा घायल
तिरुपति मंदिर, जो कि भारत के सबसे प्रसिद्ध धार्मिक स्थलों में से एक है, आज एक दुर्भाग्यपूर्ण घटना का साक्षी बना। सुरक्षा मानक और भीड़ प्रबंधन के अभाव में भगदड़ मच गई, जिसमें चार लोगों की मौत हो गई और 150 से ज्यादा लोग घायल हो गए। News by indiatwoday.com
घटनास्थल का विवरण
सुबह से ही तिरुपति मंदिर के टिकट बुकिंग काउंटर पर टोकन के लिए लगभग 4 हजार लोग कतार में लगे हुए थे। इस भीड़ में से कई लोग इतनी देर तक इंतजार नहीं कर सके और भगदड़ मच गई। मौके पर मौजूद स्थानीय लोगों का कहना है कि इस घटना के कारणों की जांच की जानी चाहिए और सुरक्षा उपायों को सख्त किया जाना चाहिए।
घायलों की स्थिति
घायल व्यक्तियों को तुरन्त स्थानीय अस्पतालों में भर्ती कराया गया है। कई लोगों का इलाज चल रहा है और उनकी हालत गंभीर बताई जा रही है। प्रशासन ने यह सुनिश्चित करने का आश्वासन दिया है कि हर संभव चिकित्सा सहायता उपलब्ध कराई जाएगी। स्थानीय प्रशासन ने भी एक जांच समिति का गठन किया है, जो इस घटना के कारणों की जांच करेगी।
समुदाय की प्रतिक्रिया
स्थानीय निवासियों और तीर्थयात्री समुदाय के बीच इस घटनाक्रम ने गहरा सदमा पैदा किया है। कई श्रद्धालुगण ने कहा कि सुरक्षा प्रबंधन में चूक के कारण ऐसी घटना घटी। लोग सरकार से इस मामले में सख्त कार्रवाई करने की मांग कर रहे हैं ताकि भविष्य में ऐसी स्थिति न उत्पन्न हो।
भविष्य की योजनाएं
प्रशासन ने यह घोषणा की है कि तिरुपति मंदिर में भविष्य में होने वाली सभी गतिविधियों का पुनः मूल्यांकन किया जाएगा। सुरक्षा उपायों को और मजबूत किया जाएगा। इसके साथ ही, श्रद्धालुओं की सुविधा के लिए नई योजनाएँ भी लाने पर ध्यान दिया जाएगा।
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समापन विचार
तिरुपति मंदिर की यह घटना एक गंभीर चेतावनी है कि श्रद्धालुओं की सुरक्षा प्राथमिकता होनी चाहिए। हमें उम्मीद है कि भविष्य में ऐसी घटनाएँ नहीं होंगी और सभी श्रद्धालुओं को सुरक्षित रूप से अपने धार्मिक कर्तव्यों का निर्वहन करने दिया जाएगा। कीवर्ड्स: तिरुपति मंदिर भगदड़, तिरुपति अनुसूचना अपरत्याशित, 4 की मौत तिरुपति, तिरुपति 150 घायल, तिरुपति मंदिर सुरक्षा, तिरुपति मंदिर टिकट बुकिंग, भीड़ प्रबंधन समस्या, के लिए तिरुपति मंदिर योजनाएँ, तिरुपति मंदिर समाचार, तिरुपति घायलों की जानकारी
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