तीन दोषियों को मिली 10-10 साल की सजा:पिता की हत्या और भाई पर किया था हमला, 41-41 हजार का जुर्माना भी लगा
प्रतापगढ़ में एक गंभीर आपराधिक मामले में जिला सत्र न्यायाधीश अब्दुल शाहिद की अदालत ने महत्वपूर्ण फैसला सुनाया है। पट्टी के डेईडीह धौरहरा गांव के तीन आरोपियों यूनुस, हबीबुल्लाह और शाहिद सरदार को गैरइरादतन हत्या, मारपीट और जान से मारने की धमकी देने के मामले में दोषी पाया गया है। घटना 3 नवंबर 2019 की है, जब सुबह करीब 10 बजे तीनों आरोपियों ने मिलकर अब्दुल कादिर और उनके बेटे तबारक पर जानलेवा हमला किया। यूनुस ने फावड़े से, हबीबुल्लाह ने धारदार हथियार से और शाहिद ने लाठी-डंडे से हमला किया। इस हमले में अब्दुल कादिर को सिर में गंभीर चोटें आईं, जबकि तबारक के हाथ और सिर पर भी गंभीर चोटें आईं। अब्दुल कादिर को प्रयागराज ले जाया गया, जहां छह दिन बाद उनकी मृत्यु हो गई। अदालत ने तीनों दोषियों को 10-10 साल के कारावास की सजा सुनाई है। साथ ही प्रत्येक पर 41-41 हजार रुपये का अर्थदंड भी लगाया है। न्यायाधीश ने यह भी आदेश दिया है कि जुर्माने की आधी राशि मृतक की बेटी शाकिबा बानो को क्षतिपूर्ति के रूप में दी जाएगी। मामले में राज्य की ओर से डीजीसी योगेश कुमार शर्मा और एडीजीसी विक्रम सिंह ने पैरवी की।

तीन दोषियों को मिली 10-10 साल की सजा: पिता की हत्या और भाई पर किया था हमला
हाल ही में एक अदालत ने तीन दोषियों को 10-10 साल की सजा सुनाई है। यह सजा एक पिता की हत्या और उसके बेटे पर जानलेवा हमला करने के मामले में दी गई है। सजा के साथ-साथ हर एक दोषी पर 41-41 हजार रुपये का जुर्माना भी लगाया गया है। यह मामला गहन जांच का विषय बना और न्यायालय ने साक्ष्यों के आधार पर दोषियों को सजा सुनाई।
मामले की पृष्ठभूमि
इस घटना का मूल कारण पारिवारिक विवादों को बताया जा रहा है। रिपोर्ट के अनुसार, यह हमला उस समय हुआ जब पीड़ित परिवार ने दोषियों के खिलाफ शिकायत दर्ज कराई थी। आरोपी अपने मनसुखी स्वभाव के चलते इस प्रकार की क्रूरता पर उतर आए, जिससे न केवल एक पिता की जान गई, बल्कि उसके बेटे की जिंदगी भी खतरे में पड़ गई।
न्याय प्रक्रिया
इन दोषियों के खिलाफ मामला अदालत में पहुंचा, जहाँ विस्तृत सुनवाई के बाद न्यायाधीश ने अपना फैसला सुनाया। आरोपी की तरफ से पेश किए गए सबूतों और ग testimonies के आधार पर अदालत ने सजा का निर्णय लिया। समाज में कानून का राज बनाए रखने और पीड़ित परिवार को न्याय दिलाने के लिए यह निर्णय महत्वपूर्ण माना जा रहा है।
सजा का असर
दोषियों को दी गई सजा न केवल उन्हें दंडित करेगी, बल्कि इससे अन्य संभावित अपराधियों में भी भय का संचार होगा। इस निर्णय ने क्षेत्र में लोगों के बीच सुरक्षा की भावना को बढ़ाने का कार्य किया है। इसके अलावा, यह स्पष्ट करता है कि भारतीय न्याय प्रणाली गंभीर अपराधों के प्रति कितनी कट्टर है।
समाप्ति और संदेश
इस मामले की सुनवाई और सजा का फैसला यह दर्शाता है कि न्याय हेतु लंबी प्रक्रिया भी हो सकती है, लेकिन अंततः सच्चाई जीतती है। हमें ऐसे अन्य मामलों पर भी ध्यान देना चाहिए और समाज में सामूहिक रूप से इस तरह के अपराधों को रोकने के लिए जागरूक रहना चाहिए।
इस प्रकार के मामलों से सीख लेकर हम समाज में एक बेहतर वातावरण तैयार कर सकते हैं। कानूनी प्रणाली पर विश्वास रखने की आवश्यकता है ताकि न्याय की उम्मीद कभी खत्म न हो।
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