लखनऊ में मन्टो की याद में विशेष कार्यक्रम:उर्दू अकादमी में नाटक और परिचर्चा, 'फातो' कहानी का हुआ मंचन
लखनऊ में उर्दू साहित्य के प्रसिद्ध लेखक सआदत हसन मन्टो की पुण्यतिथि पर उत्तर प्रदेश उर्दू अकादमी ने गोमती नगर स्थित प्रेक्षागृह में एक विशेष कार्यक्रम का आयोजन किया।कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के रूप में अपर राज्य निर्वाचन आयुक्त डॉ. अखिलेश मिश्रा शामिल हुए ।कार्यक्रम की शुरुआत अकादमी के सचिव शौकत अली ने अकादमी की भावी योजनाओं की जानकारी देते हुए की। कार्यक्रम का मुख्य आकर्षण मन्टो की प्रसिद्ध कहानी 'फातो' पर आधारित नाटक रहा। इस नाटक में सीमा मोदी ने फातो और नवनीत मिश्रा ने मियां साहब का किरदार निभाया। नाटक में प्रेम की जटिलताओं को दर्शाया गया, जिसमें बुखार की हालत में मियां साहब फातो से मोहब्बत कर बैठते हैं। वक्ताओं ने मन्टो की बेबाक लेखन शैली को सराहा मन्टो की रचनाओं पर आयोजित परिचर्चा में एस.एन लाल, डॉ. श्वेता श्रीवास्तव अजल, नवल शुक्ला और डॉ. गुलशन मसर्रत ने हिस्सा लिया। वक्ताओं ने मन्टो की बेबाक लेखन शैली और समाज को देखने के उनके विशिष्ट नजरिए की सराहना की। उर्दू कम्प्यूटर सेंटर के छात्रों को प्रमाणपत्र बांटे गए कार्यक्रम में वरिष्ठ रंगकर्मी पुनीत अस्थाना, आर्ट ऑफ लिविंग की सीनियर टीचर नीरु शर्मा और एडवोकेट डॉ. अंकिता दुबे विशेष रूप से मौजूद रहीं। सभी ने मन्टो की सच्चाई भरी लेखनी को सराहा।कार्यक्रम के समापन पर उर्दू कम्प्यूटर सेंटर के छात्रों को प्रमाणपत्र बांटे गए। कार्यक्रम का सफल संचालन नवल शुक्ला ने किया।

लखनऊ में मन्टो की याद में विशेष कार्यक्रम
लखनऊ की उर्दू अकादमी में हाल ही में एक विशेष कार्यक्रम आयोजित किया गया, जिसमें प्रसिद्ध उर्दू लेखक सआदत हसन मंटो की याद में नाटक और परिचर्चा का आयोजन किया गया। कार्यक्रम का मुख्य आकर्षण मंटो की चर्चित कहानी 'फातो' का मंचन था, जिसने दर्शकों के दिलों को छू लिया।
कार्यक्रम की शुरूआत
इस खास आयोजन की शुरूआत में उर्दू अकादमी के सदस्यों ने मंटो के जीवन और उनके साहित्य पर प्रकाश डाला। मंटो के लेखन की विशेषताओं और उनके समाज पर पड़े प्रभावों का जिक्र करते हुए वक्ताओं ने यह स्पष्ट किया कि उनका काम आज भी उतना ही प्रासंगिक है।
नाटक 'फातो' का मंचन
कार्यक्रम के दौरान 'फातो' कहानी का मंचन किया गया, जिसे देखने के लिए दर्शकों की काफी भीड़ जमा हुई। मंचन में अदाकारों ने अपनी शानदार प्रस्तुति से मंटो की गहरी सोच और संजीदगी को जीवंत किया। यह नाटक समाज की जटिलताओं और मानवीय भावनाओं की गहराइयों की ओर इशारा करता है।
परिचर्चा का आयोजन
नाटक के बाद, एक परिचर्चा का आयोजन किया गया, जिसमें साहित्यकारों और आलोचकों ने मंटो की कहानियों का विस्तार से विश्लेषण किया। यह चर्चा उनकी लेखनी में निहित सामाजिक संदेशों और मानवीय अनुभूतियों के महत्व को उजागर करने में सहायक रही।
सार्वजनिक प्रतिक्रिया
कार्यक्रम में शामिल दर्शक से लेकर साहित्य प्रेमियों तक, सभी ने इस आयोजन की सराहना की। कई दर्शकों का मानना था कि ऐसे कार्यक्रमों की आवश्यकता है जिससे नए साहित्य प्रेमियों को मंटो जैसे लेखकों के बारे में जानकारी मिल सके।
इस कार्यक्रम ने साबित किया कि मंटो का साहित्य न केवल कला का एक रूप है बल्कि यह समाज की सच्चाइयों को उजागर करने का भी एक साधन है। उर्दू अकादमी ने ऐसे आयोजन द्वारा उर्दू भाषा और साहित्य के प्रति लोगों की रुचि को और भी बढ़ाने का प्रयास किया।
News by indiatwoday.com
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