दुष्कर्म-दहेज प्रताड़ना के मामले में पति समेत चार दोषमुक्त:फास्ट ट्रैक कोर्ट ने 6 साल पुराने मामले में सुनाया फैसला, साक्ष्य में फर्जी निकले आरोप
वाराणसी कोर्ट ने गुरुवार को पति पर दुष्कर्म का केस दर्ज कराने वाली पत्नी के छह साल पुराने केस में फैसला दिया। विवाहिता से दहेज की मांग को लेकर मारने-पीटने, प्रताड़ित करने और पति पर दुष्कर्म करने के मामले में आरोपियों को बेगुराह पाया। फास्ट ट्रैक कोर्ट (प्रथम) कुलदीप सिंह की अदालत ने मुकदमे के विचारण के बाद आरोप सिद्ध न होने पर पति समेत चार आरोपितों को कोर्ट से बड़ी राहत दी। जद्दूमंडी, लक्सा निवासी आरोपित पति अंकित सोनकर उर्फ रवि कुमार, ससुर मदनलाल सोनकर, सास मंजू सोनकर व देवर अमन सोनकर को साक्ष्य के आभाव में संदेह का लाभ देते हुए दोषमुक्त कर दिया। वहीं इस मामले में एक अन्य आरोपित अगुआ राधे सोनकर की मृत्यु होने के बाद उसके खिलाफ सुनवाई समाप्त कर दी गई थी। अदालत में बचाव पक्ष की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता अनुज यादव, नरेश यादव व चंद्रबली पटेल ने पक्ष रखा। अभियोजन पक्ष के अनुसार पीड़िता ने भेलूपुर थाने में प्राथमिकी दर्ज कराई थी। आरोप था कि उसकी शादी 28 फरवरी 2019 को जद्दूमंडी, लक्सा निवासी अंकित सोनकर उर्फ रवि के साथ हुई थी। शादी के बाद जब वह विदा होकर ससुराल गई तो उसके पति अंकित सोनकर के साथ ही उसके ससुर मदनलाल सोनकर, सास मंजू सोनकर व देवर अमन सोनकर दहेज में दस लाख रुपए की मांग को लेकर आए दिन मारने-पीटने व प्रताड़ित करने लगे। इतना ही नहीं इस दौरान उसके पति उसके साथ बिना उसकी मर्जी के जबरन दुष्कर्म करते थे। विरोध करने पर उसके ससुराल वाले उसकी पिटाई करते थे। उसके मायके वाले उसकी विदाई करवाकर अपने घर ले आए। इसके कुछ दिन बाद ससुराल वालों के साथ अगुआ उसके मायके आकर दहेज की मांग करने लगे। जब उसके परिवार वालों ने असमर्थता जताई तो वे लोग विदाई कराने से इनकार कर दिए। इसको लेकर कई बार पंचायत भी हुई, लेकिन ससुराल वाले अपने दहेज की मांग पर अड़े रहे। थकहार उसने ससुराल वालों के खिलाफ भेलूपुर थाने में दुष्कर्म और दहेज प्रताड़ना, मारपीट और जानलेवा हमले समेत विभिन्न धाराओं में मुकदमा दर्ज कराया। कोर्ट ने छह साल बाद लगातार सुनवाई की और अभियोजन ने अदालत में विचारण के दौरान कुल तीन गवाह परीक्षित कराए गए। अदालत ने विचारण के दौरान पत्रावली पर उपलब्ध साक्ष्यों के अवलोकन एवं गवाहों के बयान के आधार पर आरोप सिद्ध न होने पर सभी आरोपितों को दोषमुक्त कर दिया।

दुष्कर्म-दहेज प्रताड़ना के मामले में पति समेत चार दोषमुक्त
फास्ट ट्रैक कोर्ट का निर्णय
एक महत्वपूर्ण कानूनी निर्णय में, एक फास्ट ट्रैक कोर्ट ने दुष्कर्म और दहेज प्रताड़ना के आरोपों में पति सहित चार व्यक्तियों को निर्दोष घोषित किया है। यह निर्णय 6 साल पुराने मामले में सुनाया गया है और कोर्ट ने पाया कि आरोपों के समर्थन में प्रस्तुत साक्ष्य फर्जी थे। यह मामला न केवल कानूनी दृष्टिकोण से बल्कि सामाजिक दृष्टिकोण से भी महत्वपूर्ण है।
साक्ष्य की सत्यता
कोर्ट ने अपने आदेश में स्पष्ट किया कि अभियोजन पक्ष द्वारा पेश किए गए कई साक्ष्य अद्यतन नहीं थे और उनमें कई खामियां थीं। सुनवाई के दौरान यह सिद्ध हुआ कि आरोपों की वास्तविकता में कोई ठोस आधार नहीं था। ऐसे मामलों में, एक निर्दोष व्यक्ति के लिए सामाजिक और मानसिक तनाव से गुजरना सामान्य है, जो कि अदालत के इस निर्णय से समाप्त हो गया है।
कानूनी प्रक्रिया की महत्वपूर्णता
यह निर्णय न्यायपालिका की महत्वपूर्ण भूमिका को उजागर करता है, जहां पर तथ्यों और साक्ष्यों के आधार पर सटीक निर्णय लिया जाता है। न्यायालय ने यह इंगित किया कि दहेज प्रताड़ना और दुष्कर्म के गंभीर आरोप उन पर एक भारी बोझ डालते हैं जो निर्दोष होते हैं।
समाज पर प्रभाव
इस तरह के मामलों में कोर्ट का फैसला समाज पर भी एक महत्वपूर्ण प्रभाव डालता है। यह महिलाओं को उनके अधिकारों के लिए लड़ने के लिए प्रेरित करता है, वहीं दूसरी ओर, यह भी जरूरी है कि वास्तविक पीड़ितों को न्याय मिले। कोर्ट के इस निर्णय से यह आशा जगती है कि न्याय मिलने की प्रक्रिया और भी मजबूत होगी।
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