देश के बैंकों में 1.50 लाख करोड़ कैश की कमी:जमा पर ब्याज बढ़ रहा; बैंकिंग लोन-डिपॉजिट रेश्यू 80%, ये 73% से ज्यादा नहीं होना चाहिए
देश के बैंकों में कैश की किल्लत एक बार फिर बढ़ गई है। दिसंबर के दूसरे पखवाड़े में देश के बैंकिंग सिस्टम में नकदी की कमी 1.5 लाख करोड़ रुपए तक पहुंच गई। इससे निपटने के लिए बैंक डिपॉजिट बढ़ा रहे हैं। नतीजतन डिपॉजिट की ब्याज दरें 7.50% तक पहुंच गई हैं। कुछ बैंकों ने ज्यादा ब्याज वाली नई स्कीम्स की आखिरी तारीख बढ़ाई है और कुछ ने नई एफडी स्कीम्स लॉन्च की हैं। आईडीबीआई जैसे बैंक सीनियर और सुपर सीनियर सिटीजंस को 0.65% तक ज्यादा ब्याज दे रहे हैं। इसके चलते सुपर सीनियर सिटीजंस के लिए ब्याज दरें 8.05% तक हो गई हैं। दिसंबर के पहले सप्ताह में बैंकों का कैश सरप्लस 1 लाख करोड़ रुपए था। बाद के पखवाड़े में टैक्स चुकाने के लिए निकासी और विदेशी मुद्रा बाजार में आरबीआई के दखल से नकदी घट गई। बंधन बैंक के चीफ इकोनॉमिस्ट सिद्धार्थ सान्याल ने कहा कि अब रेट बढ़ाकर डिपॉजिट बढ़ाने का दबाव बढ़ गया है। बैंकों में कैश बढ़ाने के लिए डॉलर-रूपी स्वैप का सहारा बैंकों ने रिजर्व बैंक से लिक्विडिटी बढ़ाने के उपाय करने की अपील की थी। इसके बाद आरबीआई ने पिछले सप्ताह डॉलर-रूपी स्वैप का इस्तेमाल किया। आरबीआई ने करीब 3 अरब डॉलर के स्वैप का इस्तेमाल किया। इससे बैंकों को करीब 25,970 करोड़ रुपए का कैश मिला। स्वैप की मैच्योरिटी 3,6 और 12 महीने है। लेकिन ये पर्याप्त नहीं है। उन्हें करीब 1.25 लाख की नकदी और चाहिए। हर ₹100 के डिपॉजिट पर ₹80 का लोन बांट रहे बैंक रिजर्व बैंक के आंकड़ों के मुताबिक, 27 दिसंबर 2024 तक बैंकों का डिपॉजिट 9.8% की दर से बढ़ा। इसी दौरान क्रेडिट ग्रोथ यानी कर्ज बांटने की रफ्तार सालाना 11.16% रही। कुल डिपॉजिट 220.6 लाख करोड़ और लोन 177.43 लाख करोड़ तक पहुंच गया। यानी बैंक हर 100 रुपए के डिपॉजिट पर 80 रुपए का लोन बांट रहे हैं। क्रेडिट टू डिपॉजिट का यह रेश्यो 2023 में 79% था, जो 73% होना चाहिए।

देश के बैंकों में 1.50 लाख करोड़ कैश की कमी: जमा पर ब्याज बढ़ रहा
हाल ही में भारतीय बैंकिंग प्रणाली ने एक महत्वपूर्ण रिपोर्ट जारी की है, जिसमें बताया गया है कि देश के बैंकों में 1.50 लाख करोड़ रुपये की कैश की कमी हो रही है। यह कमी बैंकिंग लोन-डिपॉजिट रेश्यू को प्रभावित कर रही है, जो वर्तमान में 80% पर है। इसके चलते, जमा पर ब्याज दरों में वृद्धि हो रही है, जिससे बैंकों को अपनी स्थिति को सुदृढ़ करने की आवश्यकता महसूस हो रही है। News by indiatwoday.com
कैश की कमी का प्रभाव
बैंकों में कैश की कमी का अर्थ है कि बैंक, अपने ग्राहकों को ऋण देने में कठिनाइयों का सामना कर रहे हैं। जब लोन-डिपॉजिट रेश्यू 80% पहुंच जाता है, तो इससे बैंकों की व्यापारिक कार्यप्रणाली पर नकारात्मक प्रभाव पड़ सकता है। बैंक निवेशकों के लिए आकर्षक जमा ब्याज का प्रस्ताव करके जमा को बढ़ाना चाह रहे हैं।
ब्याज दरों में वृद्धि
जमा पर ब्याज की बढ़ती दरें उन निवेशकों के लिए फायदेमंद हो सकती हैं जो सुरक्षित और स्थिर वापसी की तलाश में हैं। हालांकि, इसके साथ ही, ग्राहकों के लिए ऋण लेना महंगा हो सकता है, जिससे वित्तीय खर्चों में वृद्धि हो सकती है।
ऋण और जमा संबंधी दिशा-निर्देश
भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) द्वारा निर्धारित मानक के अनुसार, बैंकिंग लोन-डिपॉजिट रेश्यू 73% से ज्यादा नहीं होना चाहिए। यह मानक बैंकिंग क्षेत्र की स्थिरता और सुरक्षा को सुनिश्चित करने के लिए आवश्यक हैं। वर्तमान में 80% पर पहुंचने से बैंकों के लिए चुनौतीपूर्ण स्थिति उत्पन्न होती है, और उन्हें पुनः-नियोजन की आवश्यकता हो सकती है।
निष्कर्षतः, भारत के बैंकों को केंद्रीय बैंक के दिशा-निर्देशों का ध्यान रखते हुए, कैश की स्थिति को बेहतर बनाने की आवश्यकता है। ग्राहक और निवेशक दोनों को ही इस विषय पर ध्यान देना चाहिए, ताकि वे बेहतर वित्तीय निर्णय ले सकें।
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