देश में प्रवासियों का ट्रेंड बदला:2011-2023 के बीच माइग्रेशन रेट 9% गिरा; 75% लोग अपने शहर से 500 किमी में सिमटे
देश में प्रवासियों का पैटर्न तेजी से बदल रहा है। 2011 से 2023 के बीच 12 साल में प्रवासियों की संख्या करीब 12% घट गई। 2011 में देश में प्रवासियों की संख्या 45.57 करोड़ थी, जो 2023 में घटकर 40.20 करोड़ रह गई है। वहीं, माइग्रेशन रेट की बात करें तो 2011 में यह 38% था, जो 2023 में 29% रह गया। खास बात यह है कि अब 75% से ज्यादा माइग्रेशन अपने मूल उद्गम से 500 किमी के दायरे में सिमट रहा है। प्रधानमंत्री की आर्थिक सलाहकार परिषद ने 2011 से 2023-24 के दौरान अनारक्षित रेलवे टिकटिंग,सैटेलाइट से रात में तस्वीरें, मोबाइल के रोमिंग रजिस्ट्रेशन, राज्यों में गैर-कृषि भूमि के इस्तेमाल, बैंकों में जमा जैसे आंकड़ों के जरिए माइग्रेशन पर तैयार की गई रिपोर्ट्स में यह निष्कर्ष निकाला है। रिपोर्ट्स की बड़ी बातें... रिपोर्ट कहती है कि अब बड़े महानगरों के आसपास के उपनगर प्रवासियों के लिए नए सेंटर के रूप में उभर रहे हैं। इसमें दिल्ली से सटा गाजियाबाद, मुंबई से सटा ठाणे, चेन्नई के करीब कांचीपुरम और कोलकाता से सटा उत्तरी 24 परगना जिला शामिल है। मोबाइल की रोमिंग लोकेशन से जुड़े ट्राई के आंकड़ों के हिसाब से मई 2012 की तुलना में मई 2023 में यूजर्स का आवागमन 6.67% कम हुआ है। 2011 में जो पांच राज्य प्रवासियों को सबसे अधिक आकर्षित करते थे, उनमें प. बंगाल और राजस्थान का नाम जुड़ गया है। आंध्र प्रदेश और बिहार अब निचले पायदानों पर हैं। 7 बड़े कारण, जिनसे माइग्रेशन घट रहा महानगरों के पड़ोस में प्रवास बढ़ने के सबूत गाजियाबाद में गैर-कृषि भूमि का इस्तेमाल 12 साल के अंदर18.73% बढ़ा। यूपी में औसत वृद्धि 5.8% हुई। सैटेलाइट से रात की तस्वीरों में बिजली की चमक से गाजियाबाद और दिल्ली के पूर्वी व उत्तर पूर्वी जिलों से सटे इलाकों में अंतर नहीं दिखता। ठाणे से मुंबई आने वाले यात्री 2012 में 21% थे, जो 2023 में 25% हो गए। लैंड यूज क्लासिफिकेशन आंकड़ों के हिसाब से गैर-कृषि भूमि की उपयोगिता का दायरा 31% बढ़ा, जबकि महाराष्ट्र में यह बढ़ोतरी 4.48% हुई है। ठाणे जिले की परिधि से लगा उप-नगरीय इलाका 45% बढ़ा, शहरी इलाका 33% बढ़ा है। उत्तरी 24 परगना और दक्षिणी 24 परगना जिलों से कोलकाता आने वाले यात्री बढ़े हैं, जबकि अन्य जिलों से आवागमन घटा है।2012 में उत्तरी 24 परगना जिले का केवल 8.4% हिस्सा गैर-कृषि के रूप में उपयोग हो रहा था, लेकिन 2024 में शत-प्रतिशत इलाका इमारतों, सड़कों और रेल लाइनों के कब्जे में चला गया है।

देश में प्रवासियों का ट्रेंड बदला
2011-2023 के बीच भारत में प्रवासियों के माइग्रेशन रेट में notable बदलाव आया है। हाल के आँकड़ों के अनुसार, इस अवधि में माइग्रेशन रेट 9% गिरा है। यह आंकड़ा प्रवासी कामकाजी और सामाजिक जीवन के संदर्भ में महत्वपूर्ण जानकारी प्रस्तुत करता है।
माइग्रेशन रेट में गिरावट के कारण
विशेषज्ञों का मानना है कि यह गिरावट मुख्यतः आर्थिक स्थिरता और स्थानीय रोजगार के अवसरों में बढ़ोतरी के कारण हो रही है। पिछले एक दशक में, कई क्षेत्रों में नये industries और startups की स्थापना हुई है, जिसने स्थानीय लोगों को नौकरी के नए अवसर प्रदान किए हैं।
500 किमी के दायरे में सिमटे लोग
दिलचस्प बात यह है कि करीब 75% लोग अब अपने शहर से केवल 500 किमी के दायरे में ही प्रवास कर रहे हैं। यह प्रवृत्ति दर्शाती है कि लोग अब छोटे शहरों और गांवों को छोड़कर बड़े शहरों की बजाय नजदीकी क्षेत्रों में अधिक जाकर बस रहे हैं।
आर्थिक और सामाजिक प्रभाव
कम माइग्रेशन रेट निश्चित रूप से स्थानीय विकास में योगदान देने के साथ-साथ, परिवारों के लिए बेहतर जीवन स्तर भी लाने में सहायक हो सकता है। हालांकि, इससे बड़े शहरों में जनसंख्या का दबाव भी कम हो रहा है।
इस संदर्भ में, नीति निर्माताओं को स्थानीय स्तर पर रोजगार और विकास की योजनाओं को अधिक ध्यान देने की आवश्यकता है। यह सुनिश्चित करेगा कि प्रवासियों की नई प्रवृत्तियों का समर्थन किया जाए और स्थानीय अर्थव्यवस्था को बढ़ावा मिले।
अंत में, यह परिवर्तन निश्चित रूप से एक नया अध्याय लिख रहा है, जिसमें प्रवास के पुराने अर्थ को पुनर्परिभाषित किया जा रहा है।
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