धनगर समाज के जाति प्रमाणपत्र निरस्त:लेखपालों पर गुमराह करने का आरोप, छात्रों और नौकरीपेशा लोगों का भविष्य दांव पर

धनगर समाज उत्थान समिति ने जिले में धनगर जाति के लोगों के जाति प्रमाण पत्र निरस्त किए जाने एवं लेखपालों द्वारा गुमराह किए जाने पर कड़ा विरोध जताया है। समिति के जिलाध्यक्ष लोकेश कुमार धनगर के नेतृत्व में धनगर समाज के लोगों ने ज्ञापन देकर कार्रवाई की मांग की है। समिति के अनुसार, धनगर समाज के कई लोगों ने शैक्षिक संस्थानों में प्रवेश और सरकारी नौकरियों के लिए आवेदन किया था। लेकिन उनके जाति प्रमाण पत्र को अमान्य कर दिया गया, जिससे उन्हें गंभीर दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है। समिति ने बताया कि धनगर जाति को पूर्व में अनुसूचित जाति (SC) प्रमाण पत्र जारी किए गए थे, लेकिन अब इन्हें गलत तरीके से निरस्त किया जा रहा है। समिति ने कहा कि यदि प्रशासन ने जल्द इस पर उचित कार्रवाई नहीं की तो समाज के लोग बड़े आंदोलन के लिए मजबूर होंगे। आंदोलन की चेतावनी समिति ने चेतावनी दी है कि अगर जल्द ही जाति प्रमाण पत्र बहाल नहीं किए गए तो समाज के लोग धरना-प्रदर्शन करने के लिए बाध्य होंगे। समिति ने संबंधित अधिकारियों से मामले को गंभीरता से लेने और जाति प्रमाण पत्र को पुनः जारी करने की मांग की है। समाज के लोगों ने एकजुट होकर प्रशासन से इस मामले में तत्काल निर्णय लेने की अपील की है, ताकि छात्रों और नौकरी के इच्छुक युवाओं का भविष्य सुरक्षित रह सके।

Jan 31, 2025 - 13:00
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धनगर समाज के जाति प्रमाणपत्र निरस्त:लेखपालों पर गुमराह करने का आरोप, छात्रों और नौकरीपेशा लोगों का भविष्य दांव पर
धनगर समाज उत्थान समिति ने जिले में धनगर जाति के लोगों के जाति प्रमाण पत्र निरस्त किए जाने एवं लेख

धनगर समाज के जाति प्रमाणपत्र निरस्त: लेखपालों पर गुमराह करने का आरोप

धनगर समाज के जाति प्रमाणपत्रों के निरस्त होने के कारण इस समुदाय के छात्रों और नौकरीपेशा लोगों का भविष्य संकट में आ गया है। कई लेखपालों पर गुमराह करने के गंभीर आरोप लगाए गए हैं। यह मामला शिक्षा और रोजगार के क्षेत्र में अन्याय के रूप में देखा जा रहा है जिससे समाज के लोगों की समस्याएँ बढ़ गई हैं।

जाति प्रमाणपत्र का महत्व

जाति प्रमाणपत्र भारत में कई सरकारी सेवाओं और योजनाओं के लिए आधारभूत दस्तावेज है। यह प्रमाणपत्र छात्रों के लिए छात्रवृत्ति पाने में और नौकरीपेशा लोगों के लिए आरक्षण का अधिकार सुनिश्चित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। जब जाति प्रमाणपत्र निरस्त कर दिए जाते हैं, तो इसका सीधा प्रभाव छात्रों की शिक्षा और नौकरी के अवसरों पर पड़ता है।

गुमराह करने के आरोप

लेखपालों पर लगाए गए आरोपों के अनुसार, उन्होंने कई मामलों में गलत जानकारी प्रदान की जिससे जाति प्रमाणपत्रों की वैधता संदिग्ध हो गई है। जिन लोगों ने अपने जाति प्रमाणपत्रों के लिए आवेदन किया था, वे अब कानून के जाल में फंस गए हैं और उनके भविष्य में अनिश्चितता पैदा हो गई है।

समुदाय की प्रतिक्रिया

धनगर समाज के सदस्य इस स्थिति को लेकर चिंतित हैं। उन्होंने सरकार से अपील की है कि वह इस मामले को गंभीरता से लें और संबंधित लेखपालों पर उचित कार्रवाई की जाए। इसके अलावा, समुदाय के नेताओं ने इन मुद्दों को उठाने के लिए प्रदर्शन करने की योजना बनाई है।

अंत में

जाति प्रमाणपत्र की निरस्ती और लेखपालों के व्यवहार ने धनगर समाज को एक कठिन स्थिति में डाल दिया है। यह जरूरी है कि सरकार इस मामले को सुलझाए ताकि छात्रों और नौकरीपेशा लोगों का भविष्य सुरक्षित रह सके।

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