नाबालिग छात्रा से छेड़छाड़ मामले में आरोपी अब्बास को सजा:पॉक्सो एक्ट के तहत 4 साल की जेल और 15 हजार रुपए का जुर्माना

गाजीपुर में एक नाबालिग छात्रा से छेड़छाड़ के मामले में कोर्ट ने आरोपी को दोषी करार दिया है। न्यायालय ने आरोपी अब्बास को पॉक्सो एक्ट के तहत 4 साल की सजा और 15 हजार रुपये का जुर्माना लगाया है। घटना 29 जुलाई 2017 की सुबह करीब 6 बजे की है। पीड़िता अपनी सहेलियों के साथ कोचिंग क्लास जा रही थी। गांव के पोखरे के पास आरोपी अब्बास ने छात्रा का हाथ पकड़कर अपनी तरफ खींचने की कोशिश की। पीड़िता और उसकी सहेलियों के शोर मचाने पर लोग आ गए और आरोपी भाग गया। थाना नोनहरा में पीड़िता के पिता की शिकायत पर मामला दर्ज किया गया। पुलिस ने जांच के बाद न्यायालय में आरोप पत्र दाखिल किया। विचारण के दौरान विशेष लोक अभियोजक प्रभुनारायण सिंह ने 7 गवाहों को पेश किया। यह कार्रवाई उत्तर प्रदेश पुलिस महानिदेशक द्वारा चलाए जा रहे 'ऑपरेशन कनविक्शन' के तहत की गई। मॉनिटरिंग सेल और अभियोजन की प्रभावी पैरवी के बाद कोर्ट ने गुरुवार को यह फैसला सुनाया।

Feb 27, 2025 - 17:59
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नाबालिग छात्रा से छेड़छाड़ मामले में आरोपी अब्बास को सजा:पॉक्सो एक्ट के तहत 4 साल की जेल और 15 हजार रुपए का जुर्माना
गाजीपुर में एक नाबालिग छात्रा से छेड़छाड़ के मामले में कोर्ट ने आरोपी को दोषी करार दिया है। न्याय

नाबालिग छात्रा से छेड़छाड़ मामले में आरोपी अब्बास को सजा

नाबालिग छात्रा से छेड़छाड़ के मामले में आरोपी अब्बास को अदालत ने दोषी ठहराते हुए पॉक्सो एक्ट के तहत 4 साल की जेल और 15 हजार रुपए का जुर्माना लगाया है। यह फैसला ऐसे समय में आया है जब देश भर में नाबालिगों के खिलाफ बढ़ते अपराध के मामलों पर चिंता जताई जा रही है।

मामले की विस्तृत जानकारी

इस मामले की शुरुआत तब हुई जब पीड़ित छात्रा ने अपने परिवार के साथ मिलकर पुलिस में शिकायत दर्ज कराई। छात्रा ने बताया कि आरोपी अब्बास ने उसे स्कूल के पास चौक पर परेशान किया। पुलिस ने त्वरित कार्यवाही करते हुए आरोपी को गिरफ्तार कर लिया और मामले की जांच शुरू की।

सुनवाई और अदालत का फैसला

सुनवाई के दौरान, अभियोजन पक्ष ने छात्रा और उसके परिवार के बयानों के आधार पर सबूत पेश किए। न्यायालय ने इन बयानों को गंभीरता से लिया और आरोपी के खिलाफ मजबूत सबूत मिलने पर उसे सजा सुनाई। यह फैसला नाबालिगों की सुरक्षा के प्रति न्यायालय की गंभीरता को दर्शाता है।

सामाजिक प्रभाव

इस मामले ने समाज में बहुत ही गंभीर चर्चा को जन्म दिया है। नाबालिगों के खिलाफ होने वाले ऐसे अपराधों की रोकथाम के लिए सख्त कानून की आवश्यकता को फिर से रेखांकित किया गया है। इस फैसले से न केवल पीड़ित को न्याय मिला है, बल्कि यह अन्य पीड़ितों को भी बोलने और अपने अधिकारों की रक्षा के लिए प्रेरित करेगा।

अंत में, नाबालिग छात्राओं की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए कानून को और मजबूत करने की आवश्यकता है। समाज को इस प्रकार के अपराधों को रोकने के लिए एकजुट होना होगा।

नाबालिग छात्रा से छेड़छाड़ के मामलों में इस प्रकार के सुनवाइयाँ सभी को जागरूक करती हैं और इसके प्रति कार्रवाई करने की प्रेरणा देती हैं।

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