नाबालिग से रेप के दोषी को 8 साल की सजा:छत पर सो रही किशोरी से रेप का मामला, 10 हजार जुर्माना भी लगा
कन्नौज में पॉक्सो कोर्ट ने एक नाबालिग से दुष्कर्म के मामले में दोषी को 8 साल की सजा सुनाई है। कोर्ट ने दोषी पर 10 हजार रुपए का जुर्माना भी लगाया है। जुर्माने की 80 प्रतिशत राशि पीड़िता को दी जाएगी। घटना 25 मार्च 2018 की है। तिर्वा कोतवाली क्षेत्र के एक गांव में कक्षा 9 की छात्रा रात करीब 2 बजे छत पर सो रही थी। इसी दौरान रवि उर्फ अनवर चुपके से छत पर आया। उसने सोती हुई किशोरी के साथ दुष्कर्म किया। पीड़िता के चिल्लाने पर आरोपी छत से कूदकर भाग गया। पीड़िता ने घटना की जानकारी परिजनों को दी। परिजनों ने बेहरामऊ निवासी रवि उर्फ अनवर के खिलाफ कोतवाली में एफआईआर दर्ज कराई। स्पेशल जज पाक्सो एक्ट अलका यादव ने साक्ष्यों और गवाहों के बयानों के आधार पर फैसला सुनाया। अगर दोषी जुर्माना नहीं भरता है तो उसे 2 महीने की अतिरिक्त सजा काटनी होगी।

नाबालिग से रेप के दोषी को 8 साल की सजा
अभी हाल ही में एक गंभीर अपराध के मामले में न्यायालय ने फैसला सुनाते हुए आरोपी को 8 साल की कठोर सजा सुनाई है। इस मामले में एक किशोरी के साथ रेप की घटना सामने आई, जो छत पर सो रही थी। आरोपी पर नाबालिग के साथ दुष्कर्म करने का आरोप था, जिसने न केवल लड़की की जिंदगी को प्रभावित किया बल्कि समाज पर भी गहरा असर डाला है।
मामले की पृष्ठभूमि
यह मामला उस समय सामने आया जब किशोरी छत पर सो रही थी और आरोपी ने उसे निशाना बनाया। अदालत ने मामले की गंभीरता को ध्यान में रखते हुए आरोपी को 8 साल की सजा और 10 हजार रुपये का जुर्माना भी लगाया है। यह सजा देश में बाल अपराधों के खिलाफ कठोर कदम उठाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण पहल है।
सजा का महत्व
इस फैसले से न केवल पीड़िता को न्याय मिला है बल्कि समाज में यह संदेश भी गया है कि ऐसे अपराधों को किसी प्रकार से बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। न्यायालय का यह निर्णय नाबालिगों की सुरक्षा के प्रति संवेदनशीलता को दर्शाता है और अन्य अपराधियों के लिए एक चेतावनी है। यह सजा उन सभी परिवारों के लिए एक आशा की किरण है जो अपने बच्चों की सुरक्षा को लेकर चिंतित हैं।
कानूनी प्रक्रिया
इस तरह के मामलों में कानूनी प्रक्रिया अत्यंत महत्वपूर्ण होती है। पीड़िता को न्याय दिलाने के लिए अभियोजन पक्ष ने पूरी कोशिश की और सभी साक्ष्यों को अदालत में प्रस्तुत किया। इससे यह प्रमाणित होता है कि कानून व्यवस्था और न्यायालय नाबालिगों के मामलों में कितनी गंभीरता से काम कर रहे हैं।
समाज का उत्तरदायित्व
सोशल मीडिया और जन जागरूकता कार्यक्रमों के माध्यम से, समाज को ऐसे अपराधों के प्रति अधिक सजग और जागरूक होना चाहिए। बच्चों की सुरक्षा और उनके अधिकारों की रक्षा करना हर नागरिक का कर्तव्य है। इसलिए, प्रत्येक व्यक्ति को इस दिशा में आवाज उठाने और सुधार के लिए प्रोत्साहित करने की आवश्यकता है।
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