नाबालिगों का सोशल मीडिया अकाउंट पेरेंट्स की सहमति से बनेगा:डिजिटल पर्सनल डेटा प्रोटेक्शन एक्ट के नियमों का ड्राफ्ट तैयार; केंद्र ने लोगों से सुझाव मांगे

अब 18 वर्ष से कम आयु के बच्चों को सोशल मीडिया पर अकाउंट खोलने के लिए अपने पेरेंट्स की सहमति लेना जरूरी होगा। इसके लिए केंद्र सरकार ने डिजिटल पर्सनल डेटा प्रोटेक्शन एक्ट (DPDP), 2023 के तहत नियमों का ड्राफ्ट तैयार किया है। इस ड्राफ्ट को लोगों के लिए शुक्रवार (3 जनवरी) को जारी किया गया। मिनिस्ट्री ऑफ इलेक्ट्रॉनिक्स एंड इंफॉर्मेशन टेक्नोलॉजी ने नोटिफिकेशन में कहा कि लोग Mygov.in पर जाकर इस ड्राफ्ट को लेकर अपनी आपत्तियां दर्ज करा सकते हैं और सुझाव भी दे सकते हैं। लोगों की आपत्तियों और सुझावों पर 18 फरवरी से विचार किया जाएगा। ड्राफ्ट में पैरेंट की सहमति लेने का सिस्टम भी बताया गया करीब डेढ़ साल पहले इस बिल को संसद से मंजूरी मिली थी। ड्राफ्ट के लिए जारी नोटिफिकेशन के मुताबिक डिजिटल पर्सनल डाटा प्रोटेक्शन एक्ट, 2023 की धारा 40 की उपधारा 1 और 2 से तहत केंद्र को मिली शक्तियों के आधार पर नियमों का ड्राफ्ट जारी किया गया है। नियमों में पेरेंट्स की सहमति लेने का सिस्टम भी बताया गया है। साथ ही कहा गया है कि बच्चों के लिए किसी भी रूप में उनके डेटा का उपयोग करने के लिए माता-पिता की सहमति अनिवार्य है। एक्ट में पर्सनल डेटा इकट्ठा करने और उसका उपयोग करने वाली कंपनियों को 'डेटा फिड्युशरी' कहा है। ड्राफ्ट के मुताबिक डेटा फिड्युशरी कंपनियों को यह सुनिश्चित करना होगा कि बच्चों के किसी भी तरह के पर्सनल डेटा को प्रोसेस करने से पहले पेरेंट्स की सहमति ली जाए। इसके लिए कंपनी को उचित टेक्निकल और तकनीकी और ऑर्गनाइजेशनल उपाय करने होंगे। कंपनी डेटा सिर्फ उतने समय रख पाएंगीं, जब तक के लिए लोगों ने सहमति दी ड्राफ्ट के मुताबिक, डेटा के लिए जिम्मेदार कंपनियों को यह चेक करना होगा कि जो व्यक्ति खुद को किसी बच्चे का पेरेंट बता रहा है, वह खुद वयस्क हो और अगर किसी कानून के पालन करने के संबंध में उसकी जरूरत पड़ती है, तो उसकी पहचान की जा सके। ड्राफ्ट के मुताबिक ये डेटा कंपनियों इस डेटा को सिर्फ उतने समय के लिए रखेंगीं, जितने के लिए उन्हें लोगों ने सहमति दी है। इसके बाद उन्हें ये डेटा डिलीट करना होगा। ई-कॉमर्स, सोशल मीडिया और गेमिंग प्लेटफॉर्म डेटा के लिए जिम्मेदार कंपनियों की श्रेणी में आएंगे। अक्टूबर, 2023 में पास हुआ था DPDP कानून डिजिटल पर्सनल डेटा प्रोटेक्शन (DPDP) कानून अक्टूबर, 2023 में संसद से पास हुआ था। इस कानून के लागू होने के बाद लोगों को अपने डेटा कलेक्शन, स्टोरेज और प्रोसेसिंग के बारे में डिटेल मांगने का अधिकार मिला था। कंपनियों को यह बताना जरूरी हो गया कि वे कौन सा डेटा ले रही हैं और डेटा का क्या इस्तेमाल कर रही हैं। कानून का उल्लंघन करने वालों पर 250 करोड़ रुपए तक का जुर्माना लगाने का प्रावधान था। पुराने बिल में यह 500 करोड़ रुपए तक था। लोगों की प्राइवेसी का बचाव करना बिल का मकसद राज्यसभा से इसके पास होने के बाद IT मिनिस्टर अश्विनी वैष्णव ने कहा था, 'इस बिल का मकसद पर्सनल डिजिटल डेटा की प्रोसेसिंग को रेगुलेशन करना है, ताकि लोगों की प्राइवेसी का बचाव किया जा सके। ये बिल प्रो प्राइवेसी और प्रो सिटीजन है। उन्होंने बताया कि बिल को बहुत ज्यादा प्रिसक्रिप्टिव नहीं बनाया गया है, ताकि वक्त के साथ इसमें बदलाव किया जा सके।' हालांकि लोकसभा में पेश होने के दौरान विपक्ष ने बिल का विरोध किया था। तब इसे संसदीय समिति के पास भेजने की मांग उठी थी। डिजिटल पर्सनल डेटा क्या होता है? डिजिटल पर्सनल डेटा को हम एक उदाहरण से समझते हैं। जब आप अपने मोबाइल में किसी कंपनी का ऐप इंस्टॉल करते हैं तो वह आपसे कई प्रकार की परमिशन मांगता है, जिसमें कैमरा, गैलरी, कॉन्टैक्ट, GPS जैसी अन्य चीजों का एक्सेस शामिल होता है। इसके बाद वह ऐप आपके डेटा को अपने हिसाब से एक्सेस कर सकता है। कई बार तो ये ऐप आपके पर्सनल डेटा को अपने सर्वर पर अपलोड कर लेते हैं और उसके बाद अन्य कंपनियों को बेच भी देते हैं। अभी तक हम ऐप से यह जानकारी नहीं ले पाते हैं कि वह हमारा कौन सा डेटा ले रहे हैं और उसका क्या यूज कर रहे हैं। यह बिल इसी तरह के डेटा को प्रोटेक्ट करने के लिए लाया गया है। ------------------------------------------------ सोशल मीडिया कानून से जुड़ी ये खबरें भी पढ़ें... आज का एक्सप्लेनर:ऑस्ट्रेलिया ने बच्चों के सोशल मीडिया पर क्यों लगाया बैन; क्या भारत में भी ऐसा होगा, वो सब कुछ जो जानना जरूरी उत्तर प्रदेश के बलिया में 8 साल के दो लड़कों ने 7 साल की बच्ची से रेप किया। एक्सपर्ट्स का कहना था कि सोशल मीडिया की वजह से उनकी ऐसी सोच बनी होगी। भारत में आए दिन सोशल मीडिया से इंफ्लुएंस होकर खुद का नुकसान कर लेने की खबरें आती रहती हैं। भारत में अब तक इस पर कुछ नहीं हुआ, लेकिन ऑस्ट्रेलिया में 16 साल से कम उम्र के बच्चों के सोशल मीडिया चलाने पर बैन लगा दिया है। पूरी खबर पढ़ें... फ्लोरिडा में बच्चे सोशल मीडिया का इस्तेमाल नहीं कर सकेंगे, 14 साल से कम उम्र के बच्चों के अकाउंट डिलीट होंगे अमेरिका के फ्लोरिडा राज्य में 14 साल से कम उम्र के बच्चे सोशल मीडिया का इस्तेमाल नहीं कर सकेंगे। गवर्नर रॉन डी सेंटिस ने कानून को मंजूरी दे दी है। यह इसी साल से लागू होगा। पूरी खबर पढ़ें...

Jan 4, 2025 - 00:35
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नाबालिगों का सोशल मीडिया अकाउंट पेरेंट्स की सहमति से बनेगा:डिजिटल पर्सनल डेटा प्रोटेक्शन एक्ट के नियमों का ड्राफ्ट तैयार; केंद्र ने लोगों से सुझाव मांगे
अब 18 वर्ष से कम आयु के बच्चों को सोशल मीडिया पर अकाउंट खोलने के लिए अपने पेरेंट्स की सहमति लेना जरू

नाबालिगों का सोशल मीडिया अकाउंट पेरेंट्स की सहमति से बनेगा

डिजिटल पर्सनल डेटा प्रोटेक्शन एक्ट (DPDPA) के तहत नए नियमों के ड्राफ्ट का मसौदा तैयार किया गया है, जिसमें यह स्पष्ट किया गया है कि नाबालिगों के सोशल मीडिया अकाउंट केवल उनके माता-पिता या संरक्षकों की सहमति से ही बनाए जा सकेंगे। यह निर्णय नाबालिगों के सुरक्षा और उनके डेटा की गोपनीयता को सुनिश्चित करने के लिए लिया गया है।

नए नियमों का उद्देश्‍य

इस नए दिशानिर्देश का मुख्य उद्देश्य बच्चों को ऑनलाइन सतर्कताओं से बचाना है। डिजिटल दुनिया में नाबालिगों की भागीदारी तेजी से बढ़ रही है, और उनके सोशल मीडिया उपयोग को सुरक्षित बनाना अत्यंत आवश्यक हो गया है। केंद्र सरकार ने इस ड्राफ्ट पर जनता से सुझाव मांगे हैं, जिससे कि इसे और भी बेहतर बनाया जा सके।

सहमति की प्रक्रिया

नए नियमों के अनुसार, नाबालिगों का सोशल मीडिया अकाउंट तभी खोला जा सकेगा जब उनके माता-पिता या वैध संरक्षक इस बात पर सहमति जताएंगे। इससे न केवल बच्चों की सुरक्षा सुनिश्चित होगी, बल्कि माता-पिता को भी उनके बच्चों की ऑनलाइन गतिविधियों पर नजर रखने में मदद मिलेगी।

सार्वजनिक प्रतिक्रिया

सरकार ने सुझाव मांगे हैं, और इसके लिए एक समयसीमा भी निर्धारित की जाएगी। यह कदम इस दिशा में महत्वपूर्ण है कि कैसे मुक्त और सुरक्षित इंटरनेट को बच्चों के लिए उपलब्ध कराया जा सके। बहुत से अभिभावक इस तरह के उपायों का स्वागत कर रहे हैं, वहीं कुछ विशेषज्ञ इसे बुलंद करने की आवश्यकता मानते हैं।

भविष्य की संभावनाएं

अगर यह ड्राफ्ट लागू होता है, तो यह भारत में सोशल मीडिया के उपयोग के लिए एक नई दिशा तय कर सकता है। यह एक ऐसा मॉडल स्थापित कर सकता है जिसके माध्यम से बच्चों और युवाओं को एक सुरक्षित ऑनलाइन वातावरण दिया जा सके।

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