निकिता सिंघानिया के पास रहेगा 4 साल का व्योम:AI इंजीनियर अतुल की मां को पोता देने से SC का इनकार, कहा-बच्चे के लिए दादी अजनबी

सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को AI इंजीनियर अतुल सुभाष की मां अंजू देवी को 4 साल के व्योम की कस्टडी देने से इनकार कर दिया है। कोर्ट ने कहा कि दादी यानी अतुल सुभाष की मां 4 साल के व्योम के लिए अजबनी है। फिलहाल, व्योम अपनी मां निकिता सिंघानिया के पास है। निकिता, उसकी मां और भाई को शनिवार को बेंगलुरु की कोर्ट ने जमानत दे दी थी। इसके बाद निकिता ने फरीदाबाद के बोर्डिंग स्कूल से अपने बेटे व्योम को अपने पास बुला लिया था। 4 साल के व्योम की कस्टडी के लिए अतुल सुभाष की मां अंजू देवी ने सुप्रीम कोर्ट में हैबियस कॉर्पस याचिका दायर की थी। मंगलवार को सुप्रीम कोर्ट ने याचिकाकर्ता अंजू देवी से कहा कि बच्चा (व्योम) मां (निकिता) के पास है। वहीं, कोर्ट ने हरियाणा सरकार और अतुल की पत्नी से बच्चे की वर्तमान स्थिति का हलफनामा मांगा है। अब मामले में अगली सुनवाई 20 जनवरी को होगी। सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई के दौरान निकिता के वकील ने क्या कहा? सुप्रीम कोर्ट में हुई सुनवाई में निकिता के वकील ने बताया कि अब बच्चा निकिता के पास है। शनिवार को जमानत मिलने के बाद बच्चे को फरीदाबाद के स्कूल से अपने पास ले आई है। निकिता को हर शनिवार को जांच अधिकारी के सामने पेश होना होता है। इसलिए, वह बच्चे को लेकर बेंगलुरु जाएगी। वहीं के स्कूल में बच्चे का एडमिशन कराएगी। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि इस याचिका पर नोटिस इसलिए जारी किया गया था कि मां हिरासत में थी। अब बाहर आ चुकी है, तो बच्चे का पता लगाने के लिए दाखिल हैबियस कॉर्पस याचिका पर सुनवाई का मतलब नहीं है। वैसे भी बच्चा अपनी दादी से संपर्क में नहीं है। दादी उसके लिए अजनबी है। फरीदाबाद के बोर्डिंग स्कूल में कराया था व्योम का एडमिशन शनिवार को निकिता को जमानत मिलने के बाद अतुल सुभाष के भाई विकास मोदी ने दैनिक भास्कर से बात की थी। तब विकास ने बताया था कि 'बेंगलुरु पुलिस की ओर से दी गई जानकारी के मुताबिक, भाई अतुल के 4 साल के बेटे व्योम को निकिता सिंघानिया ने फरीदाबाद के 'सतयुग दर्शन' बोर्डिंग स्कूल में डाला है। व्योम का पिछले साल जनवरी में इस स्कूल में एडमिशन कराया गया था। तब उसकी उम्र 4 साल भी नहीं थी। स्कूल में जमा किए गए फॉर्म में भी माता-पिता के हस्ताक्षर खाली हैं। फॉर्म में उनके भाई पिता के कॉलम में अतुल सुभाष का भी नाम दर्ज नहीं है, जबकि जन्म प्रमाण पत्र में उनके भाई का नाम दर्ज है।' उन्होंने कहा कि 'जिस तरह से मेरे भाई अतुल सुभाष ने अपने सुसाइड से पहले रिकार्ड किए गए वीडियो में कहा था कि उनकी पत्नी बच्चे को टूल की तरह यूज कर रही थी, मुझे आशंका है कि जमानत पर बाहर आने के बाद भी बेटे व्योम को टूल की तरह इस्तेमाल करेगी।' अंजू देवी ने दावा किया था- पोता कहां है, हमें जानकारी नहीं अतुल की मां ने सुप्रीम कोर्ट में हेबियस कॉर्पस (बंदी प्रत्यक्षीकरण) याचिका लगाई थी। इसमें दावा किया गया है कि बेटे सुभाष की पत्नी निकिता और ससुराल पक्ष के गिरफ्तार लोग पोते के बारे में नहीं बता रहे हैं। वर्तमान में पोता कहां है इसकी जानकारी हमें नहीं है। वहीं, निकिता ने बेंगलुरु पुलिस की पूछताछ में बताया था कि बेटा चाचा सुशील सिंघानिया की कस्टडी में है। फरीदाबाद के बोर्डिंग स्कूल में उसका नाम रजिस्टर्ड है। इधर सुशील ने बच्चे के बारे में जानकारी नहीं होने की बात कही है। बेल के खिलाफ हाईकोर्ट जाएंगे अतुल की पत्नी निकिता को पिछले शनिवार को जमानत मिली थी। जिसके बाद अतुल के भाई पवन मोदी ने कहा कि 'वो लोवर कोर्ट की ओर से दी गई बेल के खिलाफ हाईकोर्ट जाएंगे। जरूरत पड़ी तो सुप्रीम कोर्ट भी जाएंगे।' बेंगलुरु के सिटी सिविल कोर्ट ने शनिवार को निकिता सिंघानिया (अतुल सुभाष की पत्नी), निशा सिंघानिया (सास) और अनुराग सिंघानिया (साले) को जमानत दे दी थी। इसके बाद अतुल सुभाष के भाई विकास मोदी ने कहा, 'हमने जमानत का विरोध करते हुए 15 आपत्तियां दी थीं, जो जमानत का विरोध करने के लिए बहुत मजबूत आधार थे। आपत्ति में सबसे बड़ी शर्त यह थी कि जांच अभी भी पूरी नहीं हुई है।' विकास मोदी ने कहा कि 'उनके मामले को देखने वाले वकीलों ने कोर्ट के समक्ष 15 पॉइंट्स पर अपनी बात रखी थी। लगता है उन बिंदुओं को नहीं देखा गया। अभी डिसीजन की कॉपी हमें नहीं मिली है। कॉपी मिलने के बाद निर्णय लेंगे। भाई को न्याय दिलाने के लिए अंतिम सांस तक लड़ेंगे।' 9 दिसंबर को AI इंजीनियर अतुल सुभाष ने आत्महत्या की थी मालूम हो कि 9 दिसंबर को AI इंजीनियर अतुल सुभाष ने बेंगुलरु में अपने फ्लैट में सुसाइड नोट और वीडियो बनाकर जान दे दी थी। इसके बाद अतुल के परिवार ने पत्नी निकिता सिंघानिया और उसके परिवार पर अतुल को आत्महत्या के लिए उकसाने के आरोप लगाए थे। ---------------------------------------------------- ये भी पढ़ें AI इंजीनियर अतुल सुभाष का बेटा किसे मिलेगा?:पोते की कस्टडी के लिए सुप्रीम कोर्ट गए दादा-दादी, मां का अधिकार ज्यादा; लेकिन परिस्थितियां अलग AI इंजीनियर अतुल सुभाष के 4 साल के बेटे व्योम को पुलिस अब तक नहीं खोज पाई है। अतुल के माता-पिता पोते को खोजने और कस्टडी के लिए सुप्रीम कोर्ट पहुंच गए हैं। उन्होंने कोर्ट में हेबियस कॉर्पस (बंदी प्रत्यक्षीकरण) याचिका लगाई है। पूरी खबर पढ़ें

Jan 7, 2025 - 17:20
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निकिता सिंघानिया के पास रहेगा 4 साल का व्योम:AI इंजीनियर अतुल की मां को पोता देने से SC का इनकार, कहा-बच्चे के लिए दादी अजनबी
सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को AI इंजीनियर अतुल सुभाष की मां अंजू देवी को 4 साल के व्योम की कस्टडी देने

निकिता सिंघानिया के पास रहेगा 4 साल का व्योम

सुप्रीम कोर्ट ने हाल ही में एक महत्वपूर्ण फैसले में एआई इंजीनियर अतुल की मां को पोता देने से इनकार कर दिया है। कोर्ट ने कहा कि बच्चे के लिए दादी अजनबी हैं, जो इस मामले का प्रमुख विवाद बन गया है। इस निर्णय ने एक ऐसे पर्सनल फैमिली मसले में नई बहस छेड़ दी है, जिसमें माता-पिता के अधिकार और दादी-बच्चे के रिश्ते की जटिलताएँ देखी जा सकती हैं।

मामले का पृष्ठभूमि

यह मामला निकिता सिंघानिया और उनके पूर्व पति अतुल के बीच चल रहा है। चार साल का व्योम, जो अभी निकिता के संरक्षण में है, उसके संबंध में सुप्रीम कोर्ट ने यह फैसला दिया। अतुल की मां चाहती थीं कि उन्हें व्योम की देखभाल का अधिकार मिले, लेकिन कोर्ट ने उनके दावों को खारिज कर दिया।

सुप्रीम कोर्ट का निर्णय

सुप्रीम कोर्ट ने अपने आदेश में स्पष्ट किया कि व्योम की उचित देखभाल और विकास के लिए उसकी मां का होना अधिक महत्वपूर्ण है। कोर्ट ने यह भी कहा कि दादी एक अजनबी की तरह हैं, और ऐसे में बच्चे की भलाई को पहले रखा जाना चाहिए।

इस फैसले का प्रभाव

यह निर्णय न केवल निकिता और अतुल के परिवार पर प्रभाव डालता है, बल्कि पूरे समाज में ऐसे मामलों को देखने का एक नया दृष्टिकोण भी प्रदान करता है। बच्चों की सुरक्षा और उनकी भलाई को सर्वोच्च प्राथमिकता देना आवश्यक है।

सुप्रीम कोर्ट का यह फैसला उन बच्चों के लिए आशा की किरण बनकर आया है, जो पारिवारिक विवादों में फंस जाते हैं। इसके साथ ही, यह एक संकेत भी है कि परिवार के सदस्यों के अधिकारों को समझने और उनकी वैधता का सम्मान करते हुए सही निर्णय लिया जाना चाहिए।

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निष्कर्ष

निश्चित रूप से, यह मामला कई दृष्टिकोणों को उजागर करता है और दादी, माता-पिता और बच्चों के अधिकारों के बीच संतुलन बनाने की आवश्यकता को दर्शाता है। हमें इस पर विचार करने की आवश्यकता है कि बच्चों की भलाई हमेशा प्राथमिकता में होनी चाहिए। Keywords: निकिता सिंघानिया, व्योम, एआई इंजीनियर अतुल, सुप्रीम कोर्ट, दादी अजनबी, परिवारिक विवाद, बच्चों के अधिकार, माता-पिता के अधिकार, भारत में कानूनी मामले, पारिवारिक न्यायालय.

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