मैक्रों का मस्क पर जर्मनी चुनाव में दखल का आरोप:विपक्षी पार्टी को समर्थन दे रहे मस्क; नॉर्वे PM बोले- लोकतंत्र के लिए ठीक नहीं

टेस्ला चीफ इलॉन मस्क लगातार दुनिया के भर के मुद्दों पर राय जाहिर करते हैं। मस्क कुछ देशों में राइट विंग की पार्टियों का भी खुलकर समर्थन करते हैं। इसे लेकर फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों ने मस्क की आलोचना की है। CNN के मुताबिक मैक्रों ने सोमवार को मस्क का नाम लिए बिना कहा कि वे कई देशों के चुनाव में दखल दे रहे हैं। मैक्रों ने कहा- 10 साल पहले किसने ये सोचा होगा कि दुनिया के सबसे बड़े सोशल नेटवर्कों में से एक के मालिक इंटरनेशनल रिएक्शनरी मूवमेंट का सपोर्ट करेंगे और जर्मनी समेत कई देशों के चुनावों में सीधे दखल देंगे। मस्क ने अभी तक इस बयान पर कोई रिएक्शन नहीं दिया है। यह भी साफ नहीं है कि मस्क फ्रांस में राइट विंग पार्टी को सपोर्ट देंगे या नहीं। ये पहली बार नहीं है जब मस्क के खिलाफ किसी ग्लोबल लीडर ने बयान दिया हो। सोमवार को ही नॉर्वे के प्रधानमंत्री जोनास गहर स्टोर ने कहा था कि वो यूरोपीय देशों के आंतरिक मामलों में मस्क के हालिया बयानों से काफी चिंतित हैं। उन्होंने कहा कि लोकतंत्र और सहयोगी देशों में ऐसी चीजें नहीं होनी चाहिए। जर्मन चांसलर ने मस्क को बताया ट्रोल इससे पहले जर्मनी की सत्ताधारी पार्टी मस्क पर फेडरल इलेक्शन को प्रभावित करने का आरोप लगा चुकी है। जर्मन चांसलर ओलाफ शोल्ज ने रविवार को मीडिया से एक सवाल के जवाब में मस्क को ट्रोल कह दिया था। उन्होंने कहा कि मैं मस्क का समर्थन नहीं करता और न ही ट्रोल को बढ़ावा देता हूं। दरअसल, जर्मनी में फरवरी में चुनाव हैं। इसमें मस्क खुलकर विपक्षी पार्टी अल्टरनेटिव फर ड्यूशलैंड (AFD) का समर्थन कर रहे हैं। मस्क ने हाल ही में सोशल मीडिया पर कहा- जर्मनी को केवल AFD ही बचा सकती है। AFD ही देश के लिए उम्मीद है। ये पार्टी देश को बहेतर भविष्य दे सकती है। मस्क एक्स अपने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म X पर AFD के चांसलर उम्मीदवार एलिस वीडेल के साथ एक लाइव प्रोग्राम करने का प्लान कर रहे हैं। जिसके बाद से जर्मनी की सत्ताधारी पार्टी मस्क का लगातार विरोध कर रही है। इससे पहले जर्मन सरकार के एक प्रवक्ता ने मस्क का नाम लेकर कहा था कि उनके कैंपने से कोई असर नहीं पड़ेगा, क्योंकि जर्मन वोटरों पर मस्क का मामूली असर है। उन्होंने कहा कि जर्मनी में समझदार और सभ्य लोग ज्यादा हैं। ट्रम्प की जीत से बढ़ा इलॉन मस्क का कद अमेरिका के राष्ट्रपति चुनाव में डोनाल्ड ट्रम्प की जीत के बाद इलॉन मस्क का कद तेजी से बढ़ा है। मस्क ट्रम्प सरकार में विवेक रामास्वामी के साथ मिलकर डिपार्टमेंट ऑफ गवर्नमेंट एफिशिएंसी यानी DOGE संभालेंगे। इस डिपार्टमेंट का मकसद सरकारी खर्च को एक तिहाई तक कम करना है। डेमोक्रेटिक पार्टी के सांसदों का आरोप है कि भले ही ट्रम्प अमेरिका के राष्ट्रपति बने हैं, लेकिन असली ताकत मस्क के हाथों में आ गई है। -------------------------------------------- मस्क से जुड़ी ये खबर भी पढ़े... मस्क ने ब्रिटिश किंग से संसद भंग करने को कहा:बोले- पाकिस्तानी गैंग ने 1400 बच्चियों का शोषण किया, PM स्टार्मर रोकने में नाकाम रहे टेस्ला चीफ इलॉन मस्क ने शुक्रवार को ब्रिटिश किंग चार्ल्स से संसद को भंग करने की अपील की है। उन्होंने ब्रिटेन के PM कीर स्टार्मर पर आरोप लगाया कि 15 साल पहले जब वे पब्लिक प्रॉसिक्यूशन के डायरेक्टर थे तब वे रेप पीड़िताओं को सजा दिलाने में नाकाम रहे थे। पूरी खबर यहां पढ़ें...

Jan 7, 2025 - 17:20
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मैक्रों का मस्क पर जर्मनी चुनाव में दखल का आरोप:विपक्षी पार्टी को समर्थन दे रहे मस्क; नॉर्वे PM बोले- लोकतंत्र के लिए ठीक नहीं
टेस्ला चीफ इलॉन मस्क लगातार दुनिया के भर के मुद्दों पर राय जाहिर करते हैं। मस्क कुछ देशों में राइ

मैक्रों का मस्क पर जर्मनी चुनाव में दखल का आरोप

हाल ही में, फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों ने यूं तो कई मुद्दों पर अपनी राय व्यक्त की है लेकिन इस बार उन्होंने खासकर अमेरिका के टेक मल्टी-ट्रिलियनेयर एलोन मस्क पर जर्मनी के चुनावों में दखलंदाजी का आरोप लगाया है। समाचार सूत्रों के अनुसार, मस्क ने विपक्षी पार्टी को समर्थन देने का प्रयास किया है, धमक और राजनीतिक प्रभाव जैसे गंभीर आरोप मैक्रों ने उठाए हैं।

जानकारी का स्वरूप

मस्क का यह कदम मीडिया में कई सवाल उठा रहा है। क्या एक निजी उद्योगपित लोकतांत्रिक चुनावों में हस्तक्षेप कर सकता है? इस विषय पर कई राजनीतिक टिप्पणीकार चर्चा कर रहे हैं। अमेरिका के अपने बिजनेस इम्पैक्ट का दुरुपयोग करने का क्या अधिकार मस्क को है? इन सभी सवालों का जवाब ढूंढने का प्रयास किया जा रहा है।

नॉर्वे के प्रधानमंत्री की प्रतिक्रिया

इस घटनाक्रम पर नॉर्वे के प्रधानमंत्री जन स्टोल्टेनबर्ग ने भी अपनी चिंता व्यक्त की है। उन्होंने कहा है कि एलोन मस्क का यह कदम लोकतंत्र के लिए ठीक नहीं है। उन्हें विश्वास है कि सही चुनाव प्रक्रिया में बाहरी हस्तक्षेप से बचना चाहिए। इस मुद्दे पर नॉर्वे के नेता द्वारा इन बयानों का जोरदार स्वागत किया गया है।

राजनीतिक माहौल पर प्रभाव

इस मामले से जर्मनी का राजनीतिक माहौल और भी गरमाया है। विभिन्न पार्टियों ने इस मुद्दे पर अलग-अलग प्रतिक्रियाएँ दी हैं। कहीं न कहीं, यह घटनाक्रम चुनावों से पहले ही राजनीतिक रणनीतिकारों को चुनौती दे रहा है। मतदाता और नागरिक समाज राजनीतिक इच्छाशक्ति की अहमियत को समझते हैं और किसी भी प्रकार का बाहरी प्रभाव अस्वीकार्य है।

अंत में, यह मुद्दा केवल जर्मनी तक सीमित नहीं है, बल्कि यह वैश्विक स्तर पर लोकतंत्र को प्रभावित कर सकता है।

News by indiatwoday.com

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