नेताजी की 128वीं जयंती पर विशेष आयोजन:स्कूल-कॉलेजों में पराक्रम दिवस पर कार्यक्रमों की धूम, छात्रों ने दी प्रस्तुतियां
बलरामपुर में नेताजी सुभाष चंद्र बोस की 128वीं जयंती पराक्रम दिवस के रूप में बड़े उत्साह के साथ मनाई जा रही है। जनपद के सरकारी और अर्ध सरकारी शैक्षणिक संस्थानों में विभिन्न कार्यक्रमों का आयोजन किया गया, जिसमें छात्र-छात्राओं ने बढ़-चढ़कर हिस्सा लिया। एमएलके महाविद्यालय, डीएवी इंटर कॉलेज, एमपीपी इंटर कॉलेज, सेंट जॉर्ज कान्वेंट स्कूल, बलरामपुर पालिका इंटर कॉलेज समेत कई प्रमुख शैक्षणिक संस्थानों में विशेष कार्यक्रमों का आयोजन किया गया। इस अवसर पर विभिन्न प्रतियोगिताएं आयोजित की गईं, जिनमें विद्यार्थियों ने अपनी प्रतिभा का प्रदर्शन किया। भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन को एक नई दिशा दी शिक्षकों ने छात्रों को नेताजी के जीवन और उनके योगदान से अवगत कराया। उन्होंने बताया कि नेताजी सुभाष चंद्र बोस ऐसे महान राष्ट्रवादी थे, जिनकी देशभक्ति और दृढ़ संकल्प ने उन्हें भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के सबसे प्रमुख नायकों में से एक बना दिया। उन्हें भारतीय सेना को ब्रिटिश भारतीय सेना से अलग एक स्वतंत्र इकाई के रूप में स्थापित करने का श्रेय दिया जाता है। विद्यार्थियों को यह भी बताया गया कि नेताजी ने न केवल भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन को एक नई दिशा दी, बल्कि देशवासियों में आत्मसम्मान, साहस और आत्मनिर्भरता की भावना भी जागृत की। उनका योगदान स्वतंत्रता संग्राम में अमूल्य रहा है, जिसे आज भी पूरा देश याद करता है। आजाद हिंद फौज की स्थापना नेताजी भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के प्रमुख नेता बने। 1938और1939में वे कांग्रेस के अध्यक्ष चुने गए। सुभाष चंद्र बोस ने1943में जापान की मदद से "आजाद हिंद फौज" की स्थापना की। इस फौज का उद्देश्य ब्रिटिश शासन के खिलाफ सशस्त्र संघर्ष करना था। इसके तहत"दिल्ली चलो"का नारा दिया गया, जिसने लाखों भारतीयों को प्रेरित किया। सुभाष चंद्र बोस को मिला विदेशी समर्थन नेताजी ने जर्मनी और जापान जैसे देशों का समर्थन हासिल किया। उन्होंने जर्मनी में भारतीय युद्ध बंदियों से आजाद हिंद रेडियो की स्थापना की और ब्रिटिश शासन के खिलाफ प्रचार किया। रहस्यमय तरीके से गायब होने की कहानी नेताजी सुभाष चंद्र बोस का निधन आज भी रहस्य बना हुआ है। कहा जाता है कि18अगस्त1945को ताइवान में एक विमान दुर्घटना में उनकी मृत्यु हो गई,लेकिन इसे लेकर कई तरह की थ्योरी और विवाद हैं।उनकी मृत्यु की पुष्टि आज तक स्पष्ट रूप से नहीं हो पाई है।

नेताजी की 128वीं जयंती पर विशेष आयोजन
नेताजी सुभाष चंद्र बोस की 128वीं जयंती के अवसर पर देशभर में विशेष आयोजन किए जा रहे हैं। स्कूलों और कॉलेजों में पराक्रम दिवस के महत्व को उजागर करने के लिए विविध कार्यक्रमों का आयोजन किया जा रहा है। यह दिन नेताजी की वीरता और स्वतंत्रता संग्राम में उनके योगदान को समर्पित है। छात्रों ने विभिन्न प्रस्तुतियों के माध्यम से नेताजी की जिंदगी और उनके आदर्शों को दर्शाया है।
स्कूलों में कार्यक्रमों की धूम
बच्चों ने नेताजी के जीवन पर निबंध प्रतियोगिताओं, नाटक और भाषणों का आयोजन किया। छात्रों ने नेताजी की स्वतंत्रता के लिए की गई लड़ाई की कहानियाँ सुनाई। इन कार्यक्रमों में विद्यार्थियों ने उनकी प्रेरणादायक योजनाओं और उनके संघर्ष को जीवंत किया।
कॉलेजों में संगोष्ठियाँ
कॉलेज स्तर पर भी विशेष कार्यक्रम आयोजित किए गए हैं। विभिन्न संगोष्ठियों में प्रसिद्ध व्यक्तियों ने नेताजी की विचारधारा और उनके योगदान पर चर्चा की। इस प्रकार के आयोजनों ने युवा पीढ़ी को नेताजी की उपलब्धियों के प्रति जागरूक करने का एक शानदार मंच प्रदान किया।
छात्रों की प्रस्तुतियां
छात्रों ने विशेष प्रस्तुतियों के दौरान नेताजी की विचारधाराओं के महत्व पर प्रकाश डाला। सांस्कृतिक कार्यक्रमों में संगीत, नृत्य और रंगमंच के माध्यम से विद्यार्थियों ने दर्शकों को मंत्रमुग्ध कर दिया। इस प्रकार की सक्रिय भागीदारी ने इस जयंती को विशेष बना दिया।
सामाजिक मीडिया का योगदान
सोशल मीडिया पर भी इस दिन की धूम रही। कई स्कूलों और कॉलेजों ने अपने कार्यक्रमों का लाइव प्रसारण किया। इसने देशभर से युवाओं को जोड़ने का काम किया और नेताजी के प्रति भावनाओं को और मजबूत किया।
यह आयोजन न केवल नेताजी के योगदान को मान्यता देता है, बल्कि युवाओं में देशभक्ति की भावना को भी प्रोत्साहित करता है। आज का दिन हमें सिखाता है कि हम अपने स्वतंत्रता सेनानियों को कभी नहीं भूलें।
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