'पागल' कहने पर की थी बहन की हथौड़े से हत्या:कई दिनों से कानपुर में चल रहा मनोरोग का इलाज, वारदात का कोई पछतावा नहीं

उन्नाव के चंपापुरवा में बुधवार रात को मानसिक रूप से बीमार 22 वर्षीय युवक शिवम उर्फ गोलू ने अपनी चचेरी बहन अंजू की ताबड़तोड़ हथौड़े से वार कर हत्या कर दी। दरअसल अंजू ने शिवम को मजाक में पागल कह दिया था, जिसके बाद आरोपी ने अपना आपा खो दिया और इस वारदात को अंजाम दिया। वारदात के बाद भी युवक को अपने कृत्य का कोई पछतावा नहीं था। ऑर्डिनेंस फैक्ट्री कर्मचारी शिवशंकर का बेटा शिवम है, जो पिछले कई वर्षों से मानसिक बीमारी से ग्रसित है। वर्ष 2015 से ही उसका इलाज कानपुर के एक मनोरोग विशेषज्ञ से चल रहा है। घरवालों के अनुसार, शिवम अक्सर अजीब हरकतें करता था। बुधवार को यह घटना तब हुई, जब वह और उसकी चचेरी बहन अंजू घर की ऊपरी मंजिल पर बरामदे में बैठे हुए थे। बताया जाता है कि अंजू ने बातचीत के दौरान शिवम को चिढ़ाते हुए "पागल" कह दिया। यह सुनते ही शिवम अपना आपा खो बैठा और पास में रखा लगभग 4 किलो वजनी हथौड़ा उठा लाया। उसने बिना किसी हिचकिचाहट के अंजू के सिर पर ताबड़तोड़ वार किए। इन वारों से अंजू का सिर बुरी तरह कुचल गया और उसने मौके पर ही दम तोड़ दिया। हत्या के बाद भी शिवम घर में सामान्य रूप से टहलता रहा। उसे अपने कृत्य पर कोई पछतावा नहीं था। शिवम के पिता शिवशंकर फैक्ट्री से लौटे तो अंजू का खून से लथपथ शव देखकर स्तब्ध रह गए। उन्होंने रोते हुए शिवम से पूछा, "अरे शिवम, यो का कर दियो?" इसके बाद उन्होंने घटना की सूचना पुलिस को दी। पुलिस ने किया आला कत्ल बरामद सूचना पाकर मौके पर पहुंची पुलिस ने हत्या में प्रयुक्त हथौड़ा बरामदे में पड़े सोफे के पास से बरामद किया। आला कत्ल को कब्जे में लेकर पुलिस ने आरोपी शिवम से पूछताछ शुरू कर दी। पुलिस का कहना है कि शिवम मानसिक रूप से अस्थिर है और उसके इलाज से जुड़ी जानकारी जुटाई जा रही है। 2015 से चल रहा था इलाज शिवशंकर ने बताया कि उनका बेटा शिवम वर्ष 2015 से मनोरोग विशेषज्ञ के संपर्क में है। उसकी मानसिक स्थिति सामान्य नहीं थी और वह अक्सर अप्रत्याशित व्यवहार करता था। परिवार उसकी बीमारी के चलते हमेशा सतर्क रहता था, लेकिन अंजू के बार-बार चिढ़ाने से शिवम अपना आपा खो बैठा। मोहल्ले में छाया सन्नाटा-घटना के बाद पूरे गांव में सन्नाटा पसरा हुआ है। ग्रामीण इस निर्मम घटना से स्तब्ध हैं। शिवम के व्यवहार को लेकर पहले भी गांव में चर्चा होती थी, लेकिन किसी को अंदाजा नहीं था कि उसका गुस्सा इस हद तक जा सकता है। पिता का रो-रोकर बुरा हाल-शिवशंकर घटना के बाद सदमे में हैं। अंजू के शव को देखकर वे फफक-फफक कर रो पड़े। उन्होंने बताया कि अंजू शिवम की चचेरी बहन थी और दोनों अक्सर साथ समय बिताते थे। यह दुखद घटना परिवार के लिए एक गहरा आघात बन गई है। पुलिस कर रही है जांच-पुलिस ने शव को पोस्टमॉर्टम के लिए भेज दिया है और मामले की जांच शुरू कर दी है। शिवम की मानसिक स्थिति को ध्यान में रखते हुए कानूनी कार्रवाई की प्रक्रिया अपनाई जाएगी। पुलिस इस बात की जांच कर रही है कि क्या शिवम की बीमारी के इलाज में किसी तरह की लापरवाही बरती गई थी।

Jan 16, 2025 - 09:15
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'पागल' कहने पर की थी बहन की हथौड़े से हत्या:कई दिनों से कानपुर में चल रहा मनोरोग का इलाज, वारदात का कोई पछतावा नहीं
उन्नाव के चंपापुरवा में बुधवार रात को मानसिक रूप से बीमार 22 वर्षीय युवक शिवम उर्फ गोलू ने अपनी चचे

'पागल' कहने पर की थी बहन की हथौड़े से हत्या

कानपुर में घटना का संक्षिप्त विवरण

हाल ही में कानपुर में एक दिल दहला देने वाली वारदात सामने आई है, जहाँ एक व्यक्ति ने अपनी बहन की हत्या केवल इस बात पर कर दी कि उसने उसे 'पागल' कहा। यह घटना ना केवल एक पारिवारिक विवाद का परिणाम है, बल्कि यह मानसिक स्वास्थ्य के मुद्दे पर भी एक गंभीर प्रश्न उठाती है। News by indiatwoday.com

मनोरोग का इलाज और परिवार की स्थिति

जानकारी के अनुसार, हत्या का आरोपी व्यक्ति पिछले कुछ दिनों से मानसिक रोग के इलाज के लिए अस्पताल में भर्ती था। कई दिनों से चल रहा था उसका इलाज, लेकिन इसका दीर्घकालिक असर उसके व्यवहार पर नहीं पड़ा। परिवार के सदस्यों का कहना है कि वे उसकी स्थिति को संभालने की कोशिश कर रहे थे, लेकिन यह घटना प्रतीत होती है कि नियंत्रण के बाहर हो गई।

वारदात का कोई पछतावा नहीं

आरोपी ने पुलिस से बातचीत के दौरान कहा कि उसे अपनी बहन के प्रति कोई पछतावा नहीं है। यह एक चिंताजनक बात है, जो मानसिक स्वास्थ्य और अपराधों के बीच की कड़ी को उजागर करती है। ऐसे मामलों में, समाज को मानसिक स्वास्थ्य पर ध्यान देने की आवश्यकता है ताकि भविष्य में ऐसी घटनाओं को रोका जा सके।

समाज में मानसिक स्वास्थ्य जागरूकता की आवश्यकता

यह घटना एक बार फिर से यह साबित करती है कि मानसिक स्वास्थ्य के मुद्दों को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता। समाज में मानसिक बीमारी के प्रति जागरूकता बढ़ाने की आवश्यकता है, जिससे लोग अपने प्रियजनों के स्वास्थ्य को समझ सकें और उनकी मदद कर सकें।

इस तरह की घटनाएँ हमें यह सोचने पर मजबूर करती हैं कि हम किस तरह की मदद और सहयोग प्रदान कर सकते हैं, और कैसे हम मानसिक स्वास्थ्य के मुद्दों को हल कर सकते हैं।

निष्कर्ष

कानपुर की यह घटना न केवल एक अपराध की कहानी है, बल्कि यह हमने मानसिक स्वास्थ्य पर ध्यान देने की गंभीर आवश्यकता को भी उजागर करती है। हमें एक समाज के रूप में एकजुट होकर अपने आसपास की समस्याओं के प्रति सजग रहना होगा।

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