पीएम मोदी के अजमेर दरगाह चादर भेजने पर याचिका दायर:मौलाना यासूब बोले- 10 सालों से पीएम भेज रहे हैं चादर, दरगाह पर याचिका अफसोसनाक
लखनऊ में शिया पर्सनल लॉ बोर्ड के महासचिव मौलाना यासूब अब्बास ने नाराजगी जताई। विष्णु गुप्ता के याचिका को अनावश्यक बताया। पीएम नरेंद्र मोदी ने 10 वीं बार अजमेर दरगाह चादर भेजी है। इसको लेकर हिंदू सेना के अध्यक्ष विष्णु गुप्ता ने अदालत में याचिका दाखिल कर पीएम मोदी की चादर को दरगाह पर चढ़ाने पर रोक लगाने की मांग की है। मौलाना यासूब अब्बास ने कहा कि यह बेहद अफसोस की बात है कि विष्णु गुप्ता ने पीएम मोदी के चादर भेजने पर आपत्ति जताई है। इसकी जितनी भी निंदा की जाए कम है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी लगातार 10 सालों से चादर भेज रहे हैं। ख्वाजा गरीब नवाज में हिंदू-मुसलमान , शिया-सुन्नी सभी धर्म जाति के लोग आस्था रखते हैं। दरगाह से गंगा-जमुनी तहजीब का संदेश दिया जाता है। अजमेर दरगाह को विवादित बताकर चादर चढ़ाने पर याचिका दायर करना बेहद अफसोस नाक है । प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर कटाक्ष करना पूरे देश पर कटाक्ष है। विष्णु गुप्ता ने दायर की गई याचिका में चादर को दरगाह पर चढ़ाने पर रोक लगाने की मांग किया है । उन्होंने इससे पहले अजमेर शरीफ दरगाह में शिव मंदिर होने का दावा किया था। उनकी याचिका पर मामला अजमेर की अदालत में लंबित है। याचिका में दरगाह के सर्वेक्षण की मांग की गई थी। विष्णु गुप्ता ने चादर पर रोक लगाने का आवेदन लंबित मुकदमे में दाखिल किया है। उनका कहना है कि अभी मामला अदालत में विचाराधीन है। मगर केंद्र सरकार ने विवादि चादर भेजकर न्यायिक स्वतंत्रता और निष्पक्ष सुनवाई के अधिकार को कमजोर किया है।

पीएम मोदी के अजमेर दरगाह चादर भेजने पर याचिका दायर
इस हफ्ते, अजमेर दरगाह पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा चादर भेजने के मामले में एक नई याचिका दायर की गई है। मौलाना यासूब ने इस याचिका पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि पीएम मोदी पिछले 10 वर्षों से दरगाह पर चादर भेज रहे हैं, जो कि एक सकारात्मक परंपरा है।
याचिका का संदर्भ
याचिका में कहा गया है कि पीएम मोदी की यह परंपरा मुस्लिम समुदाय के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है। इसके माध्यम से न केवल धार्मिक अनुष्ठान किया जाता है, बल्कि यह भारतीय धर्मनिरपेक्षता और सामुदायिक सद्भाव का भी प्रतीक है। मौलाना यासूब ने जोर देते हुए कहा कि दरगाह पर याचिका दायर करना अफसोसनाक है और इसे मॉलवीयों की भावनाओं से जोड़कर देखना चाहिए।
मौलाना का बयान
मौलाना यासूब ने प्रेस से बात करते हुए कहा, "हम सभी जानते हैं कि पीएम मोदी पिछले 10 सालों से अजमेर दरगाह पर चादर भेजते आ रहे हैं। यह हमारी सांस्कृतिक विरासत का हिस्सा है और इसे राजनीति का शिकार नहीं बनने देना चाहिए।" उन्होंने यह भी कहा कि इससे मुस्लिम समुदाय के प्रति पीएम मोदी की प्रतिबद्धता जाहिर होती है।
समुदाय की प्रतिक्रिया
याचिका के दायर होने के बाद मुस्लिम समुदाय में mixed reactions देखने को मिल रहे हैं। कुछ लोग इस कदम को सकारात्मक मानते हैं, जबकि कुछ इसे विवादास्पद समझते हैं। हर कोई चाहता है कि धार्मिक स्थलों का सम्मान किया जाए।
निष्कर्ष
पीएम मोदी द्वारा दरगाह पर चादर भेजने की परंपरा एक महत्वपूर्ण विषय है जो विभिन्न समुदायों के बीच संवाद स्थापित करने में सहायक हो सकती है। इस केस के आगे की प्रक्रिया और इसके परिणाम सभी के लिए ध्यान देने योग्य होंगे।
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