पैरालिंपिक सिल्वर मेडल विजेता खेल रत्न के लिए HC पहुंचा:दिल्ली हाईकोर्ट ने केंद्र की चयन समिति से कहा- कथूनिया के नाम पर पुनर्विचार करे

टोक्यो और पेरिस पैरालिंपिक गेम्स में दो सिल्वर मेडल जीतने वाले पैरालिंपिक डिस्कस थ्रोअर योगेश कथुनिया को खेल रत्न अवॉर्ड मिल सकता है। दिल्ली हाईकोर्ट ने केंद्र सरकार की चयन समिति को कथुनिया के नाम पर फिर से विचार करने के लिए कहा है। हाई कोर्ट ने कथुनिया की याचिका के बाद इस मामले में हस्तक्षेप किया है। कोर्ट ने माना कि 2020 टोक्यो ओलिंपिक में सिल्वर मेडल और अन्य उपलब्धियों के बाद भी कथुनिया को 2024 खेल रत्न पुरुस्कार से बाहर रखा गया। न्यायमूर्ति सचिन दत्ता की अध्यक्षता में कथुनिया की याचिका पर सुनवाई हुई। पैनल ने चयन प्रक्रिया पर भी सवाल उठाए। कथुनिया की ओर से उपस्थित हुए एडवोकेट नितिन यादव ने तर्क दिया कि नियमों के तहत खेल रत्न के लिए सबसे ज्यादा पॉइंट होने के बाद भी उन्हें नजरअंदाज किया गया। उन्होंने ने कोर्ट से अनुरोध किया कि कथुनिया की उपलब्धियों को देखते हुए पैनल कमेटी से उनके नाम पर विचार करने को अनिवार्य करे, जिसके बाद कोर्ट ने चयन कमेटी को उनके नाम पर विचार करने के आदेश दिए। 2 जनवरी को ख्रेल मंत्रालय ने नेशनल अवॉर्ड के लिए लिस्ट जारी किया था केंद्रीय खेल एवं युवा मंत्रालय ने 2 जनवरी को नेशनल स्पोर्ट्स अवॉर्ड 2024 का ऐलान किया था। इसमें पेरिस ओलिंपिक में डबल मेडल जीतने वाली शूटर मनु भाकर, वर्ल्ड चेस चैंपियन डी गुकेश, हॉकी टीम के कप्तान हरमनप्रीत सिंह और पैरा एथलीट प्लेयर प्रवीण कुमार को मेजर ध्यानचंद खेल रत्न पुरस्कार देने का ऐलान किया। इसके अलावा 34 खिलाड़ियों को अर्जुन अवॉर्ड और 5 कोचों को द्रोणाचार्य अवॉर्ड देने की भी घोषणा की गई थी। मनु के नाम की सिफारिश न होने पर भी कमेटी पर उठा था सवाल डबल मेडिलस्ट मनु भाकर के नाम भी कमेटी की ओर से खेल रत्न अवॉर्ड के लिए सिफारिश की गई लिस्ट में नहीं था। बाद में सवाल उठने पर उनका और चेस वर्ल्ड चैंपियन डी गुकेश का नाम शामिल किया गया। योगेश तीन वर्ल्ड चैंपियनशिप मेडल और 2 पैरलिंपिक गेम्स मेडल जीत चुके हैं योगेश 3 वर्ल्ड चैंपियनशिप मेडल जीत चुके हैं। उन्होंने 2023 और 2024 में वर्ल्ड चैंपियनशिप के एफ 56 कैटगिरी में सिल्वर मेडल और 2019 में ब्रॉन्ज मेडल जीत चुके हैं। वहीं 2024 पेरिस पैरालिंपिक गेम्स और 2020 टोक्यो पैरालिंपिक गेम्स में सिल्वर मेडल जीता। 2022 एशियन गेम्स में वह सिल्वर मेडल जीत चुके हैं। राष्ट्रीय खेल अवॉर्ड भारत में खेल के क्षेत्र में महत्वपूर्ण योगदान देने के लिए राष्ट्रीय खेल पुरस्कार दिए जाते हैं। इसमें खिलाड़ियों, कोचों या संगठनों को उनकी उपलब्धियों और भारतीय खेलों के विकास में योगदान के लिए छह अलग-अलग पुरस्कारों से सम्मानित किया जाता है। भारत के राष्ट्रीय खेल पुरस्कार में छह पुरस्कार शामिल हैं। मेजर ध्यानचंद खेल रत्न, अर्जुन पुरस्कार, द्रोणाचार्य पुरस्कार, मौलाना अबुल कलाम आजाद ट्रॉफी (जिसे माका ट्रॉफी भी कहा जाता है) और राष्ट्रीय खेल प्रोत्साहन। इनके अलावा, ध्यानचंद पुरस्कार के नाम से एक और लाइफ टाइम अवॉर्ड दिया जाता है। यह पुरस्कार खेल के विकास में आजीवन योगदान के लिए दिया जाता है। इस बार इस कैटेगरी में किसी को भी यह पुरस्कार नहीं दिया गया। 2004 से छह राष्ट्रीय खेल पुरस्कारों के साथ तेनजिंग नोर्गे राष्ट्रीय साहसिक पुरस्कार भी दिया जा रहा है। --------------------------------------------------------------- यह खबर भी पढ़ें... मनु भाकर, गुकेश, हरमनप्रीत और प्रवीण को खेल रत्न:34 खिलाड़ियों को अर्जुन पुरस्कार, इसमें 17 पैरा-एथलीट; 5 कोच को द्रोणाचार्य अवॉर्ड मिलेगा नेशनल स्पोर्ट्स अवॉर्ड 2024 का ऐलान गुरुवार को खेल मंत्रालय ने किया। ओलिंपिक में डबल मेडल जीतने वालीं शूटर मनु भाकर, वर्ल्ड चेस चैंपियन डी गुकेश, हॉकी टीम के कप्तान हरमनप्रीत सिंह और पैरा एथलीट प्लेयर प्रवीण कुमार को मेजर ध्यानचंद खेल रत्न पुरस्कार से सम्मानित किया जाएगा। पूरी खबर पढृें...

Jan 16, 2025 - 14:55
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पैरालिंपिक सिल्वर मेडल विजेता खेल रत्न के लिए HC पहुंचा:दिल्ली हाईकोर्ट ने केंद्र की चयन समिति से कहा- कथूनिया के नाम पर पुनर्विचार करे
टोक्यो और पेरिस पैरालिंपिक गेम्स में दो सिल्वर मेडल जीतने वाले पैरालिंपिक डिस्कस थ्रोअर योगेश क

पैरालिंपिक सिल्वर मेडल विजेता खेल रत्न के लिए HC पहुंचा

दिल्ली हाईकोर्ट का निर्णय

पैरालिंपिक सिल्वर मेडल विजेता ने अपने समुदाय और देश के खेल जगत में महत्वपूर्ण योगदान दिया है। हाल ही में, इनका नाम खेल रत्न पुरस्कार के लिए चयन समिति द्वारा नहीं चुना गया, जिसके बाद इन्होंने दिल्ली हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया। हाईकोर्ट ने केंद्र की चयन समिति से कहा है कि वे कथूनिया के नाम पर पुनर्विचार करें। यह निर्णय एक महत्वपूर्ण कदम है, क्योंकि यह खेलों में समानता और न्याय का प्रतीक है।

कथूनिया का संघर्ष

कथूनिया ने अपने करियर में कई मुश्किलों का सामना किया है और उन्होंने अपने खेल के लिए कड़ी मेहनत की है। उनका प्रयास समाज के लिए प्रेरणा बन चुका है, और उनका नाम खेल रत्न पुरस्कार के लिए पूरी तरह से योग्य है। यह मामला न केवल उनकी मेहनत को मान्यता देने के लिए है, बल्कि यह कुछ और सितारों को भी आगे लाने के लिए एक मंच प्रदान करता है।

हाईकोर्ट का संदेश

दिल्ली हाईकोर्ट ने स्पष्ट किया कि चयन समिति को ध्यान से विचार करना चाहिए और यह सुनिश्चित करना चाहिए कि सभी प्रतिभाशाली खिलाड़ियों को उचित सम्मान और पुरस्कार मिलें। कोर्ट ने कहा कि खेल रत्न एक महत्वपूर्ण पुरस्कार है और इसे गुणी खिलाड़ियों के बीच समानता से बांटना चाहिए। यह निर्णय न केवल कथूनिया के लिए, बल्कि सभी खिलाड़ियों के लिए न्याय का संकेत है।

समुदाय की प्रतिक्रिया

इस खबर पर विभिन्न खेल समुदायों की प्रतिक्रिया उत्साहवर्धक रही है। कई खिलाड़ियों और प्रशंसकों ने इसे सकारात्मक कदम माना है, जो न केवल कथूनिया के समर्पण को मान्यता देता है बल्कि अन्य खिलाड़ियों के लिए भी उम्मीद का प्रतीक है।

इस प्रकार, दिल्ली हाईकोर्ट का यह निर्णय खेलों में समानता और निष्पक्षता की ओर एक महत्वपूर्ण संकेत है।

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