फर्जी प्रमाणपत्र से नौकरी करने वाला शिक्षक बर्खास्त:पीलीभीत में 5 साल तक प्राथमिक स्कूल में पढ़ाया, अब वेतन की होगी वसूली

पीलीभीत जिले के बिलसंडा ब्लॉक के प्राथमिक विद्यालय पसगवां में फर्जी शैक्षिक प्रमाणपत्रों के आधार पर नौकरी कर रहे प्रभारी प्रधानाध्यापक की सेवा समाप्त कर दी गई है। शिक्षा विभाग अब उनसे वेतन की वसूली करेगा। खंड शिक्षा अधिकारी शिव शंकर मौर्य के अनुसार, प्रभारी प्रधानाध्यापक पंकज कुमार के शैक्षिक दस्तावेजों की शिकायत मिलने पर जांच कराई गई। सत्यापन में उनके हाईस्कूल और इंटरमीडिएट के प्रमाणपत्र फर्जी पाए गए। जांच रिपोर्ट के आधार पर जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी ने तत्काल कार्रवाई करते हुए उनकी सेवाएं समाप्त कर दीं। पंकज कुमार पिछले पांच वर्षों से इस पद पर कार्यरत थे। सेवा समाप्ति के बाद से वह फरार हैं और उनका मोबाइल फोन भी बंद है। हालांकि विभाग ने अभी तक उनके खिलाफ पुलिस में शिकायत दर्ज नहीं कराई है। खंड शिक्षा अधिकारी का कहना है कि उच्च अधिकारियों से एफआईआर दर्ज कराने के आदेश मिलते ही कार्रवाई की जाएगी। जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी अमित कुमार सिंह ने पुष्टि की है कि फर्जी दस्तावेजों के आधार पर नौकरी करने वाले शिक्षक से वेतन की वसूली की प्रक्रिया शुरू की जा रही है।

Apr 9, 2025 - 10:00
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फर्जी प्रमाणपत्र से नौकरी करने वाला शिक्षक बर्खास्त:पीलीभीत में 5 साल तक प्राथमिक स्कूल में पढ़ाया, अब वेतन की होगी वसूली
पीलीभीत जिले के बिलसंडा ब्लॉक के प्राथमिक विद्यालय पसगवां में फर्जी शैक्षिक प्रमाणपत्रों के आध

फर्जी प्रमाणपत्र से नौकरी करने वाला शिक्षक बर्खास्त

पीलीभीत में एक शिक्षक को फर्जी प्रमाणपत्र के आधार पर नौकरी करने के आरोप में बर्खास्त कर दिया गया है। यह मामला तब सामने आया जब जांच के दौरान यह साबित हुआ कि शिक्षक ने पिछले पांच वर्षों से प्राथमिक स्कूल में बच्चों को पढ़ाया। इस दौरान उन्होंने न केवल गलत जानकारी प्रस्तुत की बल्कि शिक्षा विभाग के नियमों का भी उल्लंघन किया।

पिछले 5 सालों का कार्यकाल

उक्त शिक्षक ने पीलीभीत के एक प्राथमिक विद्यालय में 2018 से पढ़ाई शुरू की थी। जांच में पता चला कि उनके पास आवश्यक योग्यताएँ नहीं थीं, और उन्होंने अपने प्रमाणपत्रों में हेरफेर करके नौकरी प्राप्त की। शिक्षा विभाग ने इस मामले को गंभीरता से लेते हुए उन्हें बर्खास्त करने का निर्णय लिया है।

वेतन वसूली की प्रक्रिया

बर्खास्‍त शिक्षक से पांच सालों का वेतन वसूला जाएगा। शिक्षा विभाग के नियमों के अनुसार, यदि कोई शिक्षक फर्जी दस्तावेजों के आधार पर काम करता है, तो उसके वेतन की वसूली की जा सकती है। विभाग ने इस मामले में सभी आवश्यक कानूनी कार्रवाई करने का आश्वासन दिया है।

शिक्षा विभाग द्वारा कार्रवाई

शिक्षा विभाग ने यह स्पष्ट किया है कि ऐसे मामलों में किसी भी प्रकार की लापरवाही बर्दाश्त नहीं की जाएगी। भविष्य में ऐसी घटनाओं से निपटने के लिए और सख्त नीतियाँ बनाई जा सकती हैं। अधिकारियों ने अभिभावकों से अपील की है कि वह शिक्षक के प्रमाणपत्रों की सत्यता की जांच अवश्य करें।

समाज पर प्रभाव

इस घटना ने शिक्षा प्रणाली पर सवाल उठाए हैं। यदि शिक्षकों ने सच्चाई के विपरीत काम किया है, तो यह बच्चों की शिक्षा पर गंभीर प्रभाव डाल सकता है। ऐसे में आवश्यक है कि स्कूल प्रशासन और शिक्षा विभाग मिलकर इस समस्या का समाधान करें।

यह मामला उन शिक्षकों के लिए एक चेतावनी है जो फर्जी दस्तावेजों के माध्यम से नौकरी प्राप्त करने का प्रयास कर रहे हैं। अब उम्मीद की जा रही है कि ऐसे मामलों पर कड़ी निगरानी रखी जाएगी।

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