हर–हर गंगे के साथ गंगा में लगाई आस्था की डुबकी:मकर संक्रांति पर उमड़ा श्रद्धालुओं का सैलाब, तिल–गुड़ का किया दान
मकर संक्रांति पर्व के मौके पर शहर के सभी प्रमुख घाटों पर ब्रह्म मुहूर्त से ही हजारों की संख्या में श्रद्धालु गंगा स्नान के लिए उमड़ पड़े। भीषण ठंड व घने कोहरे के बीच स्नान व दान के इस महापर्व पर श्रद्धालुओं की आस्था पर कोई कमी नहीं दिखी। हर–हर गंगे के जयकारों के साथ बुजुर्ग, बच्चे, महिलाएं गंगा तटों पर आस्था की डुबकी लगाते दिखाई दिए। श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ पड़ी थी। बता दें कि इस दिन गंगा नदी में स्नान का बहुत महत्व है, मकर संक्रांति पर लोग स्नान और दान करके पुण्य कमाते हैं। सूर्य के मकर राशि में प्रवेश करते ही उत्साह व उमंग के साथ मकर संक्रांति का त्योहार मनाया गया। शहर के बिठूर, अटल, परमट, सरसैया, मैस्कर, सिद्धनाथ, शुक्लागंज समेत सभी घाटों पर भीषण कोहरे के बीच सुबह 7 बजे से जय गंगा मईया का उदघोष सुनाई देने लगा। मकर संक्रांति के पर्व पर गंगा घाटों पर श्रद्धालुओं का जनसैलाब उमड़ा हुआ था। लोगों की भीड़ गंगा स्नान के बाद सूर्य को जल अर्पित कर पुण्य प्राप्त करने में जुटी हुई थी। सरसैया घाट पर सुबह ही चौराहे पर पुलिस ने बेरीकेडिंग लगा दी थी, लोग शिव मंत्र का जाप करते हुए गंगा की ओर जाते दिख रहे थे। गंगा स्नान के बाद लोगों ने पुष्प व दीप प्रज्जवलित किए। इसके साथ ही घाटों पर मौजूद पंडितों से पूजा अर्चना करवाई। गंगा घाटों पर श्रद्धालुओं ने रेत पर शिवलिंग तैयार किए। मकर संक्रांति के साथ ही एक माह से रुके शादी–समारोह जैसे मांगलिक कार्यक्रमों की शुरुआत हो जाएगी। स्नान के बाद घाट पर आयोजित किए जा रहे यज्ञ अनुष्ठान में फेरे लगा कर आहुतियां दी। बाद में तिल, गुड़, खिचड़ी का दान किया। इस दौरान घाटों पर पुलिस व पीएसी की तैनाती की गई थी। जल पुलिस गंगा में गश्त करने के साथ निर्धारित स्थान से आगे न जाने की अपील कर रही थी।

हर–हर गंगे के साथ गंगा में लगाई आस्था की डुबकी
मकर संक्रांति का पर्व भारत के विभिन्न हिस्सों में बड़े धूमधाम से मनाया जाता है। इस अवसर पर लाखों श्रद्धालुओं ने गंगा नदी में स्नान करके अपनी आस्था को प्रकट किया। हर–हर गंगे के उद्घोष के साथ श्रद्धालुओं ने गंगा तट पर एकत्र होकर तिल और गुड़ का दान किया। यह पर्व केवल धार्मिक अनुष्ठान नहीं, बल्कि एक सामाजिक एकता का प्रतीक भी है।
श्रद्धालुओं की उमड़ी भीड़
मकर संक्रांति पर गंगा के तट पर श्रद्धालुओं का सैलाब उमड़ पड़ा। लोग पवित्र नदी में स्नान करने आए और अपने परिवार के साथ एकत्रित होकर भव्य धार्मिक अनुष्ठान किया। इस दौरान श्रद्धालुओं ने मंत्रोच्चारण कर और तिल, गुड़ का दान देकर पुण्य अर्जित किया। गंगा के तट पर भव्य मेले का आयोजन भी किया गया, जिससे और भी अधिक लोग आकर्षित हुए।
तिल-गुड़ का महत्व
मकर संक्रांति पर तिल और गुड़ का दान करने की विशेष परंपरा है। इसे स्वास्थ्य और समृद्धि का प्रतीक माना जाता है। दान का यह कार्य न केवल व्यक्तिगत कल्याण के लिए है, बल्कि समाज में एकता और सहयोग की भावना को भी बढ़ावा देता है। श्रद्धालुओं ने एक-दूसरे के साथ तिल और गुड़ का आदान-प्रदान कर इस पर्व का आनंद लिया।
सामाजिक समरसता का संदेश
मकर संक्रांति का पर्व इस बात की याद दिलाता है कि भले ही हम विभिन्न धर्मों, समुदायों और क्षेत्रों से आते हैं, लेकिन हमारी सांस्कृतिक धरोहर एकता में है। गंगा के तट पर एकत्रित होकर, लोगों ने एक-दूसरे के साथ मिलकर इस पर्व को मनाया, जो सामाजिक समरसता का एक उत्कृष्ट उदाहरण है।
छोटे शहरों से लेकर बड़े महानगरों तक, मकर संक्रांति का पर्व सभी के लिए आनंद का स्रोत बनती है। इस दिन के महत्व को देखते हुए, यह आवश्यक है कि हम धार्मिक आस्था को साझा करें और इसे एक-दूसरे के साथ बांटें।
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