बागपत में 65 फीट ऊंचा मंच कैसे गिरा:60 बल्लियां जमीन में गाड़ी ही नहीं, श्रद्धालुओं के पेट चीरते निकल गए बांस
बागपत के बड़ौत में जैन समुदाय के निर्वाण लाडू महोत्सव में मंच टूटने के पीछे बड़ी लापरवाही थी। 65 फीट ऊंचे मान स्तंभ तक जाने के लिए लकड़ियों की बल्लियों से मंच बना, सीढ़ियां भी तैयार की गईं। लेकिन जरूरी स्टैंडर्ड फॉलो नहीं किए गए। मंच टूटा तो 7 लोगों की मौत हुई। किसी के मुंह में बांस घुस गया, किसी के पेट को चीरती हुई बल्ली निकल गई। 60 से ज्यादा लोग गिरने और इन बल्लियों की चपेट में आने से घायल हो गए। इस हादसे के बाद दैनिक भास्कर एप टीम एक बार फिर बड़ौत के घटनास्थल पहुंची। बागपत जिला हेड क्वार्टर से 20Km दूर दिगंबर जैन कॉलेज है। इसके सामने की जमीन पर ही जैन समाज का मान स्तंभ है। जहां पूजा-अर्चना करने के लिए लोग इकट्ठा हुए थे। हमने देखा कि मान स्तंभ 65 फीट ऊंचा है। लोगों ने बताया कि 25 साल से मान स्तंभ पर हर साल श्री 1008 आदित्य भगवान के निर्वाण महोत्सव होता है। मंगलवार सुबह होने वाले 26वें निर्वाण लाडू महोत्सव की तैयारियां 4-5 दिन से चल रही थीं। स्तंभ में 65 फीट ऊपर पहुंचकर श्रद्धालु हर साल पूजा-अर्चना करते रहे हैं। इसके लिए मान स्तंभ से 50 मीटर दूर लकड़ी की बल्लियों की एक सीढ़ी तैयार की गई। देखा कि यह वैसे ही बनाई गई, जैसे मकान की सीढ़ियां होती हैं। मान स्तंभ पर अर्चना करने के बाद श्रद्धालुओं को उसके आगे से सीढ़ियों के जरिए ही नीचे उतारा जा रहा था। इसी दौरान सुबह 7.45 बजे अचानक से सीढ़ीनुमा मंच भरभरा कर ढह गया। ऊंचाई से गिरने के कारण 7 लोगों की मौत हो गई, 60 से ज्यादा लोग घायल हो गए। चश्मदीद, घायल और वहां मौजूद मजदूरों से बात करने के बाद 2 बड़ी लापरवाही समझ में आईं… पहली लापरवाही- 50% बल्लियां 6-7 इंच गाड़ी, बाकी जमीन पर टिकीं किसी भी स्ट्रक्चर को बनाने के लिए मजबूत बेस तैयार किया जाता है। मंच पर ऊपर पहुंचने के लिए लकड़ी की सीढ़ियां बनाई गईं। 100 से 120 बल्लियों का इस्तेमाल किया गया। इन बल्लियों को V आकार में जमीन पर रखकर रस्सियों से बांधते हुए सीढ़ियों का मंच बनाया गया। यहीं पर बड़ी चूक हुई। इन बल्लियों में से 50% को जमीन में 6-7 इंच तक गाड़ा गया। जबकि 50% बल्लियों को सिर्फ जमीन पर टिका दिया गया। ऐसे में जब 80 से 90 लोग मंच पर पहुंचकर मान स्थल पर आराधना कर रहे थे तो उनके मूवमेंट से लकड़ी की सीढ़ियां हिलने लगीं। चूंकि, आधी बल्लियां जमीन पर ऐसे ही टिकीं थी, ऐसे में लोगों के मूवमेंट से मान स्तंभ के नीचे वाली दो-तीन बल्लियां खिसक गईं। इसके बाद ऊपरी की बल्लियां टूटती चली गईं, जिससे आधी सीढ़ियां भरभराकर नीचे गिर गईं। लेबर बोले- डेढ़ फुट गड्ढा खोदकर बल्लियां गाड़नी चाहिए मैदान के पास मौजूद लेबर से हमने बात की। कैमरे पर वह कुछ बोलने को तैयार नहीं हुआ। लेकिन इतना जरूर कहा कि 65 फीट की ऊंचाई पर मंच तैयार करने के लिए बल्लियों को डेढ़ फुट गड्ढे में गाड़ा जाना चाहिए था। इसके बाद गड्ढे में एक फीट तक ईंट की रोड़ी डालनी चाहिए थी, जिससे कि बल्ली का बेस मजबूत हो सके। लेकिन ऐसा नहीं किया गया। लापरवाही 2. मंच से उतरने की व्यवस्था ठीक नहीं मान स्तंभ तक पहुंचने के लिए सीढ़ियों पर एंट्री और उतरने का रास्ता अलग-अलग था। एक श्रद्धालु ने बताया- जहां पर अर्चना हो रही थी, वहां से उतरने की व्यवस्था ठीक नहीं थी। इसके चलते एक ही जगह पर लोगों की भीड़ इकट्ठी हो गई। जिससे सीढ़ियों का मंच गिर गया। बड़ा सवाल : लोहे का स्ट्रक्चर क्यों नहीं? लोगों का कहना है कि 25 साल से यहां लगातार आयोजन हो रहे हैं। बाहर से भी श्रद्धालु आते हैं। हर साल लकड़ी का ही मंच क्यों बनाया जाता है। यहां पर बाकायदा लोहे की सीढ़ियां बनाई जा सकती थीं। अब चश्मदीद की बात 2 साल की बच्ची दबी, कई के शरीर में बल्लियां घुसीं हादसे के लापरवाही समझने के बाद दैनिक भास्कर एप की टीम ने घटना के चश्मदीद राजन जैन से बात की। उनका घर हादसे के स्पॉट के बगल में ही है। राजन कहते हैं- मैं दुकान पर जाने से पहले खाना खा रहा था। अचानक बल्लियों के चरमराने की आवाज सुनाई दी। लगा कि कुछ बड़ी चीज गिरी है। चीख-पुकार मच गई। मैं मान स्तंभ की तरफ दौड़कर पहुंचा। देखा कि लोग बल्लियों के ढांचे के नीचे दबे हुए थे। एक 2 साल की बच्ची मंच के ऊपर से गिरकर बल्लियों में फंसी चिल्ला रही थी। कई लोगों के मुंह और शरीर में बल्लियां घुसी थीं। खून में लथपथ लोग बुरी तरह से चीख रहे थे। बल्लियों में फंसे कई लोगों को मशक्कत के बाद बाहर निकाला गया। 8-10 पुलिस वाले, जिनकी वहां ड्यूटी थी, वह भी बुरी तरह से घायल थे। कई लोग तो 65 फीट की ऊंचाई से गिरने के कारण 8 से 10 फीट दूर छिटककर गिरे। जो उठने की कोशिश करते हुए गिर रहे थे, उन्हें देखकर लगा कि इनकी हड्डियां टूट गईं हैं। जो श्रद्धालु और आयोजक नीचे खड़े थे, वह सभी घायलों को बचाने के लिए दौड़ रहे थे। घटनास्थल मेन बाजार में था, ऐसे में एम्बुलेंस में थोड़ी देर लगनी ही थी। लोगों को जो भी साधन मिले, उसी में लेकर घायलों को अस्पताल पहुंचाया गया। अब घायल की बात सब अचानक हुआ, आंखों के सामने छाया अंधेरा बिजेंद्र बोले- अचानक स्ट्रक्चर हिला, फिर सब गिर पड़े भास्कर एप टीम एक निजी अस्पताल पहुंची। यहां ICU में भर्ती बिरेंद्र ने बताया- हम लोग मान स्तंभ के पास मंच पर थे। अचानक सीढ़ियां हिलने लगी। कुछ समझ पाते इससे पहले ही सब जमीन पर गिर गए। मेरी पैर और हाथ की हड्डियों में फ्रैक्चर हुआ है। बिजेंद्र अपनी पत्नी रीता और दो बेटियों के साथ निर्वाण महोत्सव में गए थे। चारों लोग घायल हो गए। हादसे के वक्त, वहां पर 100 से 150 बच्चे-महिलाएं थे। पत्नी के पूरे चेहरे और शरीर में कई जगह पर गंभीर चोट लगी है। दोनों बेटियां दूसरे अस्पताल में भर्ती हैं। हादसे के वक्त हर तरफ चीख-पुकार मच रही थी। घायल की भाभी बोलीं- हमें हॉस्पिटल से फोन आया घायल विपिन जैन की भाभी कविता जैन से मुलाकात हुई। उन्होंने बताया कि हॉस्पिटल से फोन आया। परिवार के लोग अस्पताल की तरफ दौड़ पड़े। विपिन काे एम्बुलेंस से अस्पताल लाया जा चुका था। परिवार के सभी लोग लाडू महोत्सव में

बागपत में 65 फीट ऊंचा मंच कैसे गिरा
हाल ही में बागपत में हुए एक दर्दनाक हादसे ने सभी को हैरान कर दिया। यहां 65 फीट ऊंचा मंच गिर गया, जिससे कई श्रद्धालुओं को गंभीर चोटें आईं। यह घटना तब घटी जब एक धार्मिक सभा का आयोजन किया जा रहा था। इस घटना ने सुरक्षा के मानकों पर सवाल उठाए हैं और प्रशासक को अपनी जिम्मेदारी निभाने का समय आ गया है।
70 श्रद्धालुओं की जान खतरे में
हादसा स्थल पर मौजूद गवाहों के अनुसार, 60 बल्लियां मंच को सहारा देने में असफल रहीं और एकाएक मंच गिर गया। कई श्रद्धालु मंच के नीचे आ गए। बताया गया है कि मंच गिरने के बाद बांस की छड़ें श्रद्धालुओं के पेट में से होते हुए निकल गईं, जिससे घायलों की संख्या बढ़ गई। इस घटना को लेकर स्थानीय प्रशासन ने जांच के आदेश दिए हैं।
हादसे के बाद की स्थिति
स्थानीय अस्पताल में घायलों की तुरंत मेडिकल सहायता की गई। घटनास्थल पर अफरा-तफरी मच गई, और लोग शोर मचाने लगे। घटना की सूचना मिलते ही पुलिस प्रशासन और बचाव दल तुरंत मौके पर पहुंचे। इस सच्चाई पर प्रकाश डालना आवश्यक है कि आयोजकों ने सुरक्षा प्रोटोकॉल का पालन नहीं किया, जिससे यह अनहोनी हुई।
सुरक्षा मानकों पर सवाल
इस दुखद घटना ने श्रद्धालुओं और उनके परिवारों में भय पैदा किया है। स्थानीय निवासियों ने सुरक्षा मानकों को लेकर चिंता व्यक्त की है। उन्हें आशंका है कि यदि ऐसे ही कार्यक्रमों का आयोजन किया जाता रहा, तो भविष्य में ऐसी घटनाएं फिर से हो सकती हैं।
निष्कर्ष
बागपत में हुए इस घटने से सभी को सीखने की ज़रूरत है कि भीड़-भाड़ वाले आयोजनों में सुरक्षा उपायों को गंभीरता से लेना चाहिए। इससे न केवल जान-माल की सुरक्षा सुनिश्चित होगी बल्कि तीर्थ यात्रियों में भी भरोसा बना रहेगा। आने वाले समय में आयोजकों को इस दिशा में ठोस कदम उठाने की आवश्यकता है।
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