बाल कल्याण समिति ने किशोरी की रोकी शादी:बुआ-फूफा कर रहे थे शादी की तैयारी, 16 जनवरी को आने वाली थी बारात
बुंदेलखंड के जालौन जिले में एक अनाथ किशोरी का बाल विवाह रोका गया। रामपुरा थाना क्षेत्र के गांधी नगर में रहने वाली किशोरी की बुआ देवी और फूफा चंद्रप्रकाश बाल्मिीकी ने उसकी शादी लहार में तय की थी, जो 16 जनवरी को होनी थी। किसी परिचित व्यक्ति की सूचना पर बाल कल्याण विभाग की टीम पुलिस के साथ मौके पर पहुंची। टीम ने किशोरी के आयु संबंधी दस्तावेज मांगे, लेकिन परिवार आधार कार्ड या कोई अन्य प्रमाण पत्र प्रस्तुत नहीं कर सका। इसके बाद टीम किशोरी को मेडिकल परीक्षण के लिए उरई ले गई। जांच में पता चला कि किशोरी के माता-पिता रामस्वरूप और उनकी पत्नी, जो मध्य प्रदेश के भिंड के निवासी थे, उनका कई साल पहले निधन हो गया था। तब से किशोरी की देखभाल उसकी बुआ देवी और फूफा चंद्रप्रकाश कर रहे हैं। चंद्रप्रकाश दिल्ली में मजदूरी करता है और विशेष रूप से भतीजी की शादी के लिए रामपुरा आया था। थाना प्रभारी संजीव कटियार ने पुष्टि की कि शिकायत मिलने के बाद पुलिस ने बाल कल्याण विभाग की टीम के साथ कार्रवाई की और किशोरी को सुरक्षित बचा लिया। विभाग अब मामले की जांच कर रहा है।

बाल कल्याण समिति ने किशोरी की रोकी शादी
किसी भी समाज में बाल विवाह एक गंभीर समस्या है, और इसी समस्या का सामना करते हुए एक किशोरी की शादी को बाल कल्याण समिति ने रोक दिया। शादी की सभी तैयारियां पूरी हो चुकी थीं, और बारात 16 जनवरी को आने वाली थी। किशोरी के बुआ-फूफा इस शादी के आयोजन में जुटे हुए थे, लेकिन बाल कल्याण समिति ने समय रहते हस्तक्षेप किया।
बाल कल्याण समिति की भूमिका
बाल कल्याण समिति ने बताया कि किशोरी के विवाह की योजना उसके भविष्य के लिए हानिकारक साबित हो सकती थी। ऐसे में समिति ने तुरंत कार्रवाई करते हुए शादी को रोक दिया। यह कदम समाज में जागरूकता फैलाने और बच्चों के अधिकारों की रक्षा के लिए उठाया गया।
किशोरी के अधिकार
भारत में किशोरियों के लिए शिक्षा और स्वास्थ, दोनों ही आवश्यक हैं। बाल विवाह न केवल उनकी शिक्षा को प्रभावित करता है, बल्कि बच्चों के जीवन को भी कठिन बना देता है। ऐसे मामलों में बाल कल्याण समिति का हस्तक्षेप अत्यंत आवश्यक है।
समाज में जन जागरूकता की आवश्यकता
इस घटना के माध्यम से यह स्पष्ट होता है कि बाल विवाह की प्रवृत्ति को समाप्त करने के लिए समाज में जागरूकता फैलाना आवश्यक है। माता-पिता और परिवारों को इस बारे में शिक्षित करने की आवश्यकता है ताकि वे अपने बच्चों के बेहतर भविष्य के लिए सही निर्णय ले सकें।
इसके अलावा, बाल कल्याण समिति जैसी संस्थाओं का समाज में महत्वपूर्ण योगदान है। इनकी मदद से कई परिवार अनुचित प्रथा से बच सकते हैं और अपने बच्चों को एक सुरक्षित और स्वास्थ्यप्रद वातावरण दे सकते हैं।
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