भटिंडा जेल से वीडियो कॉन्फ्रेंस के जरिए पेशी:कैराना कोर्ट में खालिस्तानी आतंकी की सुनवाई, कोर्ट परिसर में कड़ी सुरक्षा

कैराना के सिविल जज जूनियर डिवीजन की अदालत में आज खालिस्तानी आतंकी परमिंदर पैंदा की सुनवाई हुई। सुरक्षा कारणों से उसकी पेशी भटिंडा जेल से वीडियो कॉन्फ्रेंस के माध्यम से कराई गई। परमिंदर पैंदा खालिस्तान आतंकी संगठन का सक्रिय सदस्य है। वह वर्तमान में पंजाब की भटिंडा जेल में बंद है। कैराना पुलिस ने उसे 2016 में गिरफ्तार किया था। नाभा जेल से फरार होने के बाद वह कैराना-देहरादून मार्ग पर फॉर्च्यूनर कार में सवार था। पुलिस ने उसके पास से 3 एसएलआर राइफल और हजारों कारतूस बरामद किए। साथ ही कई फर्जी दस्तावेज भी मिले थे। शामली पुलिस ने सुरक्षा को देखते हुए कोर्ट परिसर में विशेष इंतजाम किए। न्यायाधीश के समक्ष वीडियो कॉन्फ्रेंस के जरिए उसकी पेशी सफलतापूर्वक संपन्न हुई।

Mar 19, 2025 - 14:00
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भटिंडा जेल से वीडियो कॉन्फ्रेंस के जरिए पेशी: कैराना कोर्ट में खालिस्तानी आतंकी की सुनवाई, कोर्ट परिसर में कड़ी सुरक्षा

News by indiatwoday.com

भटिंडा जेल से पेशी का संक्षिप्त विवरण

भारतीय न्याय व्यवस्था में एक नया अध्याय जुड़ गया है, जब खालिस्तानी आतंकी को भटिंडा जेल से वीडियो कॉन्फ्रेंस के जरिए कैराना कोर्ट में पेश किया गया। यह अदालती कार्यवाही एक बड़ी घटना है जो सुरक्षा उपायों के साथ संपन्न हुई है। वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग का उपयोग विधिक प्रणाली में अत्याधुनिक तकनीकी समावेश का प्रतीक है, जिससे समय की बचत होती है और सुरक्षा बढ़ती है।

कैराना कोर्ट में सुनवाई की प्रक्रिया

कैराना कोर्ट में खालिस्तानी आतंकी की सुनवाई के दौरान अदालत ने सभी संवेदनशील मामलों पर गौर किया। अदालत परिसर में कड़ी सुरक्षा व्यवस्था की गई थी, जिसमें सुरक्षा बलों की तैनाती की गई थी। यह सुनिश्चित करने के लिए कि सुनवाई निर्बाध और सुरक्षित हो, सुरक्षाबलों ने परिसर में गहन जांच की।

सुरक्षा की विशेष तैयारियां

इस सुनवाई के संदर्भ में, सुरक्षा एजेंसियों ने कई विशेष तैयारियां कीं। सभी आने-जाने वाले व्यक्तियों की जांच की गई, और परिसर में सीसीटीवी कैमरे लगाए गए थे। इसके साथ ही, विशेष सुरक्षा बल भी तैनात किए गए थे ताकि कोई अप्रिय घटना न हो सके।

सामाजिक और राजनीतिक प्रतिक्रियाएँ

इस वीडियो कॉन्फ्रेंस पेशी पर विभिन्न राजनीतिक और सामाजिक संगठनों की प्रतिक्रियाएँ भी आ रही हैं। कुछ संगठनों ने इसे भारतीय न्याय प्रणाली की ताकत के रूप में देखा है, जबकि अन्य ने इसे विचाराधीन व्यक्ति के अधिकारों का उल्लंघन बताया। इस विषय पर विवाद बढ़ता जा रहा है, जिससे समाज में चर्चा का विषय बना हुआ है।

कुल मिलाकर, यह सुनवाई भारतीय न्याय प्रणाली की नई दिशा को प्रदर्शित करती है और तकनीकी समावेश के माध्यम से न्याय की प्रक्रियाओं को सरल बनाती है। अदालत की इस प्रक्रिया से यह पता चलता है कि सुरक्षा और न्याय दोनों को समान प्राथमिकता दी जा रही है।

भविष्य में, इस तरह की वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग सुनवाई अन्य मामलों में भी देखी जा सकती है, जिससे न्याय प्रणाली में गति आ सकती है।

समापन विचार

जैसे-जैसे तकनीकी प्रगति होती है, न्याय प्रणाली में सुधार की गुंजाइश भी बढ़ती है। इस तरह की पहल से अदालतों में सुनवाई की प्रक्रिया अधिक प्रभावी और सुरक्षित बनाई जा सकती है।

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