भारत-US परमाणु समझौते में आ रही परेशानी दूर करेगा अमेरिका:NSA जेक सुलिवन बोले- मनमोहन सिंह ने 20 साल पहले जो सोचा उसे हकीकत बनाएंगे

अमेरिका के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार जेक सुलिवन ने भारत-अमेरिका परमाणु समझौते में आ रही परेशानियों को दूर करने की बात कही है। उन्होंने कहा कि इसके लिए अमेरिकी सरकार जरूरी कदम उठा रही है। उन्होंने कहा कि अमेरिका लंबे समय से उन रुकावटों को हटाने में लगा हुआ है। सुलिवन ने कहा- लगभग 20 साल पहले पूर्व राष्ट्रपति बुश और भारत के पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने परमाणु समझौते की एक दूरदर्शी सोच की नींव रखी थी, जिसे हमें अब पूरी तरह हकीकत बनाना है। सुलिवन भारत दौरे पर आए हुए हैं। उन्होंने भारत के विदेश मंत्री एस जयशंकर से भी मुलाकात की। इस दौरान दोनों नेताओं ने द्विपक्षीय, क्षेत्रीय और वैश्विक सहयोग को बढ़ाने पर जोर दिया। AI तकनीक की मदद ले रहे हैं- जैक सुलिवान सुलिवन ने कहा कि दोनों देश प्रदूषण रहित ऊर्जा तकनीक पर काम कर रहे हैं। इसके लिए दोनों देश AI पर खासा जोर दे रहे हैं ताकि भारत-अमेरिका की एनर्जी कंपनियों को उनकी नई तकनीक के विस्तार में मदद कर सकें। उन्होंने कहा कि असैन्य परमाणु सहयोग के लिए अमेरिका निजी संस्थानों, वैज्ञानिकों और तकनीक के जानकारों की मदद ले रहा है। सुलिवान ने भारतीय एनएसए अजित डोभाल से मुलाकात के बाद उनकी तारीफ की। उन्होंने कहा अजित का वीजन था कि भविष्य की एडवांस टेकनोलॉजी अमेरिका-भारत संबंधों को मजबूत बनाएंगी। बीते चार साल से हम दोनों ने इस पर मिलकर काम किया है। सुलिवन ने कहा कि चार सालों में भारत-अमेरिका ने मिलकर कोरोना वैक्सीन बनाई। जिससे करोड़ों लोगों की जान बची। इसके साथ हमने मिलकर जेट इंजन, सेमीकंडक्टर और स्वच्छ ऊर्जा पर पहल शुरू की है। मनमोहन सरकार में हुआ था ऐतिहासिक समझौता जुलाई 2005 में मनमोहन सिंह ने अमेरिका का दौरा किया था। इस दौरान उन्होंने तत्कालीन अमेरिकी राष्ट्रपति जॉर्ज डब्ल्यू बुश को एक परमाणु करार पर सहमत कराया। हालांकि इसके लिए अमेरिका ने भारत से 2 शर्तें रखी थीं। पहली- भारत अपनी सैन्य और नागरिक परमाणु गतिविधियों को अलग-अलग रखेगा। दूसरी- परमाणु तकनीक और सामग्री दिए जाने के बाद भारत के परमाणु केंद्रों की निगरानी अंतर्राष्ट्रीय परमाणु ऊर्जा एजेंसी (IAEA) करेगा। भारत दोनों शर्तों से सहमत हो गया। इसके बाद मार्च 2006 में अमेरिकी राष्ट्रपति भारत दौरे पर आए। इसी दौरे में भारत और अमेरिका के बीच ऐतिहासिक समझौते पर हस्ताक्षर हुए। हालांकि विपक्षी पार्टियों ने इसका विरोध कर दिया था। लेफ्ट पार्टियों का कहना था कि इस समझौते का भारत की विदेश नीति पर असर पड़ेगा। लेफ्ट पार्टियों के समर्थन वापस लेने के बाद मनमोहन सिंह ने संसद में बहुमत साबित किया। इसके बाद 8 अक्टूबर 2008 को अमेरिकी राष्ट्रपति बुश ने इस समझौते पर दस्तखत कर आखिरी औपचारिकता पूरी कर दी। हालांकि इस डील के दौरान जो नए रिएक्टर लगाने को लेकर समझौते हुए थे, अब तक नहीं लग पाए हैं। हालांकि, इस डील का भारत को फायदा ये हुआ कि उसने लिए दुनियाभर का परमाणु बाजार खुल गया। -----------------

Jan 6, 2025 - 19:45
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भारत-US परमाणु समझौते में आ रही परेशानी दूर करेगा अमेरिका:NSA जेक सुलिवन बोले- मनमोहन सिंह ने 20 साल पहले जो सोचा उसे हकीकत बनाएंगे
अमेरिका के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार जेक सुलिवन ने भारत-अमेरिका परमाणु समझौते में आ रही परेशानि

भारत-US परमाणु समझौते में आ रही परेशानी दूर करेगा अमेरिका

NSA जेक सुलिवन का बयान

हाल ही में, अमेरिकी राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार जेक सुलिवन ने कहा कि अमेरिका भारत-US परमाणु समझौते में उत्पन्न हो रही समस्याओं का समाधान करेगा। उनका यह बयान उन चिंताओं के बीच आया है, जिन्होंने पिछले कुछ वर्षों में इस महत्वपूर्ण समझौते की गति को धीमा कर दिया है।

20 साल पहले मनमोहन सिंह ने जो सोचा, उसे हकीकत बनाएंगे

सुलिवन ने आगे कहा कि पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने दो दशक पहले जो दृष्टिकोण विकसित किया था, उसे अब लागू किया जाएगा। यह बयान सभी पक्षों की प्राथमिकताओं को समझते हुए बहुपरकारी दृष्टिकोण को दर्शाता है। यह भारत और अमेरिका के बीच रणनीतिक सहयोग को और मजबूत बनाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम हो सकता है।

भारत-US परमाणु सहयोग का महत्व

भारत और अमेरिका के बीच परमाणु सहयोग न केवल द्विपक्षीय संबंधों को बढ़ावा देता है, बल्कि यह वैश्विक सुरक्षा मामलों में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। इस समझौते के माध्यम से दोनों देश ऊर्जा सहयोग, सुरक्षा और रणनीतिक स्थिरता सुनिश्चित करने का प्रयास कर रहे हैं।

भविष्य की संभावनाएं

आगामी वर्षों में, यदि दोनों सरकारें इस समझौते की बाधाओं को दूर करने में सफल होती हैं, तो यह भारत को परमाणु ऊर्जा के क्षेत्र में एक नई दिशा प्रदान कर सकता है। अमेरिका का समर्थन इस क्षेत्र में तकनीकी विकास और निवेश को भी बढ़ावा दे सकता है।

अंत में, यह देखना दिलचस्प होगा कि क्या जेक सुलिवन का यह बयान वास्तव में भारत-US संबंधों को नई ऊंचाइयों तक पहुंचाने में समर्थ होगा।

News by indiatwoday.com

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