भ्रष्टाचार आरोपी सचिव ने शिकायत कर्ता को दिया प्रलोभन:एक लाख देकर केस वापस लेने का दबाव, 2 माह से टल रही जांच रिपोर्ट
भदैया ब्लॉक के तेरये गाँव में विकास कार्यों में व्यापक भ्रष्टाचार का मामला सामने आया है। ग्राम प्रधान और सचिव पर लगे भ्रष्टाचार के आरोपों की जांच रिपोर्ट दो माह से लंबित है, जबकि आरोपी सचिव मामले को रफा-दफा करने के लिए शिकायतकर्ता को एक लाख रुपये का प्रलोभन दे रहा है। मामला तब शुरू हुआ जब गांव में महज 15 फीट इंटरलॉकिंग सड़क के निर्माण के लिए प्रधान और सचिव ने मिलकर 3 लाख 14 हजार 534 रुपये का भुगतान करा लिया। इसके अलावा पंचायत भवन की बाउंड्रीवॉल, अतिरिक्त कक्ष और आरआरसी सेंटर के निर्माण में भी अनियमितताएं पाई गईं। स्थानीय निवासी सत्यम जायसवाल ने 16 अक्टूबर को जिलाधिकारी को शपथ पत्र के माध्यम से शिकायत की। डीएम के निर्देश पर डीपीआरओ अभिषेक शुक्ला ने स्थलीय निरीक्षण किया और अनियमितताएं पाई गईं। इसके बाद 12 नवंबर को जिला अर्थ एवं सांख्यिकी अधिकारी दद्दन कुमार को 30 दिन में जांच पूरी करने का निर्देश दिया गया, लेकिन दो माह बीत जाने के बाद भी रिपोर्ट प्रस्तुत नहीं की गई। मामले में एक और मोड़ तब आया जब आरोपी सचिव ने शिकायतकर्ता के खिलाफ एससी/एसटी एक्ट के तहत झूठा मुकदमा दर्ज करा दिया। हालांकि, सीसीटीवी फुटेज की मदद से सच्चाई सामने आ गई और सीओ ने शिकायतकर्ता को क्लीन चिट दे दी। अब आरोपी सचिव मामले को दबाने के लिए एक लाख रुपये का प्रलोभन दे रहा है और शिकायतकर्ता को झूठे मुकदमों में फंसाने की धमकी भी दी जा रही है।

भ्रष्टाचार आरोपी सचिव ने शिकायत कर्ता को दिया प्रलोभन
भ्रष्टाचार से जुड़ी कई घटनाएं हमारे समाज में सुनने को मिलती हैं, और जब इनमें उच्च पदस्थ व्यक्ति शामिल होते हैं तो स्थिति और भी गंभीर हो जाती है। हाल ही में एक मामला सामने आया है जिसमें एक सचिव पर आरोप है कि उन्होंने शिकायतकर्ता को प्रलोभन देने का प्रयास किया। इस मामले में, सचिव ने शिकायतकर्ता से एक लाख रुपये की डिमांड की ताकि वह अपना केस वापस ले सके।
शिकायतकर्ता को दी गई धमकियां
शिकायतकर्ता का कहना है कि सचिव ने बार-बार उन्हें केस वापस लेने के लिए दबाव बनाया है। यह मामला पिछले दो महीनों से सुर्खियों में है, लेकिन जांच रिपोर्ट अब तक नहीं आई है। सचिव द्वारा दिए गए प्रलोभन और धमकियों के कारण, शिकायतकर्ता काफी तनाव में हैं, और उनके मन में यह डर बना हुआ है कि कहीं उनकी जान को भी खतरा न हो।
जांच की स्थिति
इस मामले की जांच पुलिस और स्थानीय प्रशासन द्वारा की जा रही है, लेकिन जांच रिपोर्ट में बार-बार देरी हो रही है। स्थानीय अधिकारियों का मानना है कि उचित सबूतों की कमी के कारण ही यह प्रक्रिया धीमी हो रही है। हालांकि, कई लोगों का मानना है कि भ्रष्टाचार के इस मामले को दबाने के कोशिशें की जा रही हैं।
समाज में भ्रष्टाचार का प्रभाव
भ्रष्टाचार यदि उच्च पदों पर बैठे लोगों में व्याप्त हो जाए, तो यह समाज के लिए एक बड़े खतरे का संकेत है। ऐसे मामलों में अक्सर यह देखा गया है कि सच्चाई और न्याय की आवाज़ों को दबाया जाता है। यह मामले यह दर्शाता है कि यदि हम इस समस्या को गंभीरता से नहीं लेंगे तो स्थिति और भी गंभीर हो सकती है।
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निष्कर्ष
भ्रष्टाचार के मामलों को समाप्त करने के लिए समाज को जागरूक होना बेहद जरूरी है। केवल शिकायतकर्ता के साहस के बल पर ही ऐसे मामलों का सामना किया जा सकता है। हम सबको मिलकर इस तरह के भष्टाचार के खिलाफ खड़ा होना होगा। Keywords: भ्रष्टाचार, सचिव प्रलोभन, शिकायतकर्ता, केस वापस लेना, जांच रिपोर्ट टल गई, भ्रष्टाचार के खिलाफ, भारतीय कानून, भ्रष्टाचार की परिभाषा, दवाब में शिकायत, सुरक्षा के उपाय, जांच प्रक्रिया, सरकारी अधिकारी की भूमिका, नागरिक अधिकार, राजनीतिक प्रभाव.
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