मंडी में टैक्स ना देने पर अड़े लोग:नगर निगम आयुक्त ने सुनी आपत्तियां, निगम से बाहर करने की रखी मांग
हिमाचल प्रदेश के नगर निगम मंडी में मंगलवार को गृह कर को लेकर लोगों की आपत्तियों को लेकर मंथन किया गया। इस मौके पर विभिन्न वार्डों और मर्ज एरिया के लोगों ने खुलकर अपनी आपत्तियां जताई और कहा कि कर तो वह नहीं देंगे, इसलिए उनको नगर निगम से ही बाहर कर दिया जाए। 54 लोगों ने जताई थी आपत्ति वहीं कुछ लोगों ने कहा कि उनसे कोई भी कर न लेने की शर्त पर ही वह नगर निगम में रह सकते हैं, अन्यथा उनको बाहर कर दिया जाए। नगर निगम के पास करीब 54 लोगों ने आपत्तियां जताई थी, जिनमें से अधिकतर ने उपस्थित होकर अपनी आपत्तियों को नगर निगम के सामने रखा और सभी की बारी बारी से यह आपत्तियां सुनी गई। पांच साल तक टैक्स नहीं लिया जाएगा तल्याहड़ वार्ड से तेज सिंह गुलेरिया ने कहा कि वार्ड के लोग नगर निगम में शामिल होने का विरोध शुरू से ही कर रहे थे। मगर उनकी पीठ पर राजनीतिक छुरा घोपा और कहा गया कि आपको जनसंख्या पूरी होने के बाद नगर निगम से बाहर कर देंगे। यह भी कहा कि पांच साल तक टैक्स नहीं लिया जाएगा, मगर अब लिया जा रहा है। हम बेरोजगार होने के कारण नहीं दे सकते। इसलिए हमें निगम से पूरी तरह से बाहर कर दिया जाए। निगम से बाहर करने की रखी मांग वार्ड नंबर छह के लोहार सभा समिति प्रधान अरविंद ने कहा कि हम किसी भी सूरत में टैक्स नहीं दे सकते। दो समय का खाना कमाने वाले हम कोई भी टैक्स देने में असमर्थ हैं। उन्होंने नगर निगम से आग्रह किया कि या तो हमसे कभी भी टैक्स न लें, नहीं तो हमें निगम से बाहर कर दिया जाए। सरकार को भेजी जाएंगी आपत्तियां : आयुक्त लोगों की आपत्तियों को सुनने के बाद नगर निगम के आयुक्त एचएस राणा ने कहा कि लोगों ने खुली जमीन पर कर न लगाने, जोन बढ़ाने, नेशनल हाईवे की प्रॉपर्टी पर टैक्स लगाने पर बहुत सी आपत्तियां जताई है। कहा कि हम इन आपत्तियों पर पूरी तरह से विचार करके यह सरकार को भेजेंगे।

मंडी में टैक्स ना देने पर अड़े लोग
नगर निगम आयुक्त की सुनवाई नगरपालिका की समस्याओं को समझने और हल करने के लिए एक महत्वपूर्ण कदम है। हाल ही में, मंडी में टैक्स ना देने को लेकर लोगों ने अपने विचार प्रस्तुत किए। लोगों ने आयुक्त के सामने अपनी आपत्तियां उठाईं और निगम से उनके खिलाफ कार्रवाई करने का अनुरोध किया। यह स्थिति न केवल वित्तीय समस्याओं को दर्शाती है, बल्कि स्थानीय प्रशासन की नीतियों पर भी सवाल उठाती है।
नगर निगम आयुक्त ने सुनी आपत्तियां
नगर निगम आयुक्त ने नागरिकों के मुद्दों को ध्यान से सुना। यह सुनवाई उन लोगों के लिए एक मंच प्रदान करती है जो अपनी समस्याओं को प्रभावी तरीके से प्रस्तुत करना चाहते हैं। शहरवासी अपने-अपने मुद्दों के साथ आगे आए और अपनी चिंताओं को साझा किया, जिससे यह स्पष्ट हुआ कि वे अपने अधिकारों के प्रति सचेत हैं।
निगम से बाहर करने की रखी मांग
एक महत्वपूर्ण मुद्दा जो उभरा, वह था टैक्स ना देने वाले लोगों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की आवश्यकता। कई निवासियों ने मांग की कि निगम उन चार्जेस का पालन न करने वालों को निगम से बाहर करे। इससे यह संदेश जाएगा कि प्रशासन अपने नियमों को लागू करने में गंभीर है। यह स्थिति सभी नागरिकों के लिए एक चेतावनी हो सकती है, जिससे वे अपने दायित्वों के प्रति जागरूक रहें।
अवश्यम्भावी प्रभाव
इस स्थिति का लंबे समय तक स्थानीय वित्त और विकास पर गंभीर प्रभाव पड़ सकता है। टैक्स संग्रह में कमी का सीधा असर शहर के विकास पर पड़ता है। इसलिए, यह आवश्यक है कि सभी नागरिक अपने करों का दायित्व निभाएं। नगर निगम को विशेषज्ञों की सहायता से कड़ी नीतियां बनानी चाहिए ताकि सभी सदस्यों को समान रूप से लिया जा सके।
अंत में, यह समझना जरूरी है कि टैक्स अनुशासन केवल प्रशासन के लिए नहीं, बल्कि समाज के समुचित विकास के लिए भी आवश्यक है। नगर निगम की यह पहल निश्चित रूप से शहर के नागरिकों के हित में होगी।
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