मंडी में बीबीएमबी के पूर्व श्रमिकों ने निकाली रैली:सरकार को दी चेतावनी, मुआवजा बढ़ाने और नौकरी की मांग
हिमाचल प्रदेश में बीबीएमबी(भाखड़ा ब्यास मैनेजमेंट बोर्ड) से छंटनी किए सैकड़ों मजदूरों ने शनिवार को मंडी शहर में एकजुट होकर विशाल रैली निकाली। मजदूरों का कहना है कि बीएसएल प्रोजेक्ट के निर्माण में उन्होंने अपनी जवानी लगा दी, कई साथी काम के दौरान शहीद हुए और कई दिव्यांग हो गए। 50 हजार मुआवजा देने के आदेश हाल ही में श्रम कोर्ट चंडीगढ़ ने एक महत्वपूर्ण फैसला सुनाया है, जिसमें 1-5 साल तक काम करने वाले मजदूरों को 25 हजार रुपए और 5 साल से अधिक सेवा देने वालों को 50 हजार रुपए का मुआवजा (ब्याज सहित) देने का आदेश दिया है। मजदूर संगठनों का कहना है कि यह राशि बेहद कम है। मांगे नहीं मानी, तो आंदोलन करेंगे तेज रैली को सीटू सचिव राजेश शर्मा, परस राम और जीतराम ने संबोधित किया। मजदूर नेताओं ने चेतावनी दी है कि यदि बीबीएमबी और सरकार ने उनकी मांगें नहीं मानीं, तो वे आंदोलन को और तेज करेंगे। उल्लेखनीय है कि मजदूरों ने 6 तारीख को राज्य और केंद्र सरकार को इस संबंध में ज्ञापन भी सौंपा है।

मंडी में बीबीएमबी के पूर्व श्रमिकों ने निकाली रैली: सरकार को दी चेतावनी, मुआवजा बढ़ाने और नौकरी की मांग
मंडी के पूर्व श्रमिकों ने बीबीएमबी के खिलाफ एक विशाल रैली का आयोजन किया, जिसमें उन्होंने सरकार को मुआवजा बढ़ाने और नौकरी की स्थायी सुरक्षा की मांग को लेकर चेतावनी दी। उनकी यह रैली न केवल मजदूरों के अधिकारों के प्रति जागरूकता बढ़ाने के लिए थी, बल्कि यह भी एक संकेत था कि वे अपने मुद्दों को नजरअंदाज नहीं होने देंगे।
सरकार की अनदेखी का आरोप
रैली में शामिल श्रमिकों ने आरोप लगाया कि सरकार पिछले कई वर्षों में उनकी बातों को अनसुना कर रही है। बीबीएमबी में काम करने वाले श्रमिकों का कहना है कि उनका मुआवजा बढ़ने की बजाय स्थिर रहा है, जबकि महंगाई लगातार बढ़ती जा रही है। श्रमिकों ने अपने मुद्दों के लिए एकजुट होकर आवाज उठाई है ताकि उनकी समस्याओं का समाधान हो सके।
मौजूदा आर्थिक हालात और श्रमिकों की स्थिति
मौजूदा आर्थिक परिस्थितियों ने श्रमिकों की स्थिति को और कठिन बना दिया है। बढ़ती महंगाई और सैलरी में वृद्धि न होने की वजह से श्रमिकों का जीवन स्तर गिर रहा है। इस रैली के जरिए पूर्व श्रमिकों ने सरकार से स्पष्ट मांग की कि मुआवजा तुरंत बढ़ाया जाए और नई नौकरियों की व्यवस्था की जाए ताकि इस क्षेत्र के श्रमिक सुरक्षित रह सकें।
इस प्रदर्शन का उद्देश्य न केवल श्रमिकों की समस्याओं को उठाना है, बल्कि यह भी सुनिश्चित करना है कि सरकार उनकी आवाज सुने और उचित कदम उठाए। पूर्व श्रमिकों का कहना है कि यदि उनकी मांगों पर ध्यान नहीं दिया गया, तो वे और अधिक तीव्र आंदोलन करने के लिए मजबूर होंगे।
News by indiatwoday.com
संभव समाधानों की चर्चा
यह रैली कई सवालों को जन्म देती है कि क्या सरकार श्रमिकों की समस्याओं के प्रति संवेदनशील है। इसके समाधान के लिए श्रमिकों को योजना बनानी होगी कि वे किस प्रकार से अपने हक की लड़ाई लड़ सकते हैं। उनकी आवाज को सुनने और उचित नीतियों का निर्माण करने के लिए यह आवश्यक होगा कि सरकार उनकी बातों पर ध्यान दे।
आगे का रास्ता
प्रदर्शन के माध्यम से श्रमिकों ने यह सिद्ध किया है कि वे हताश नहीं हैं और अपने हक के लिए लड़ेंगे। अब यह देखना होगा कि क्या सरकार उनके मुद्दों को गंभीरता से लेती है और सुधार की दिशा में कदम उठाती है।
इसके बाद, श्रमिकों का उत्साह और संघर्ष उन्हें वांछित परिणाम दिला सकता है। यह रैली एक संकेत है कि मंडी में काम कर रहे श्रमिक अपने अधिकारों के लिए हर संभव प्रयास करेंगे।
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