मंडी में स्कूली बच्चों को पढ़ाएंगे कचरा प्रबंधन का पाठ:डीसी के निकायों को निर्देश, सेनेटरी वेस्ट अलग संग्रह पर जोर
हिमाचल प्रदेश के मंडी में कचरा प्रबंधन को लेकर एक महत्वपूर्ण पहल की गई है। उपायुक्त अपूर्व देवगन की अध्यक्षता में जिला स्तरीय टास्क फोर्स की बैठक आयोजित की गई। जिसमें राष्ट्रीय ग्रीन ट्रिब्यूनल और हिमाचल प्रदेश उच्च न्यायालय के आदेशों की अनुपालना की समीक्षा की गई। लोक निर्माण विभाग को सौंपा जाएगा प्लास्टिक कचरा बैठक में उपायुक्त ने सभी नगर निकायों को कचरा प्रबंधन को लेकर कड़े निर्देश दिए। विशेष रूप से डोर-टू-डोर कचरा संग्रह, प्लास्टिक कचरे का प्रबंधन और सेनेटरी वेस्ट के अलग संग्रह पर जोर दिया गया। उन्होंने निर्देश दिया कि एकत्रित प्लास्टिक कचरे को श्रेडर मशीन से प्रोसेस करने के बाद लोक निर्माण विभाग को सौंपा जाए। स्कूलों में कार्यक्रम होंगे आयोजित कचरा प्रबंधन के प्रति जागरूकता बढ़ाने के लिए स्कूलों में विशेष कार्यक्रम आयोजित किए जाएंगे। स्कूल अडाप्शन प्रोग्राम के तहत अधिकारी विद्यार्थियों को कचरा प्रबंधन की जानकारी देंगे। साथ ही डोर-टू-डोर कचरा एकत्र करने वाले कर्मचारियों को भी प्रशिक्षित किया जाएगा। अवैध डंपिंग पर रोक लगाने के लिए सीसीटीवी कैमरों से निगरानी की जाएगी। एक माह में काटे 40 हजार के चालान प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के क्षेत्रीय अधिकारी विनय कुमार ने बताया कि पिछले एक महीने में 40,500 रुपए के चालान काटे गए और 4200 किलो प्लास्टिक जब्त किया गया। बैठक में नगर निगम सहित करसोग, सुंदरनगर, नेरचौक, जोगिन्द्र नगर, सरकाघाट और रिवालसर के नगर पंचायतों के अधिकारी उपस्थित रहे। सभी नगर निकायों को घरेलू अपशिष्ट प्रबंधन, बायो-मेडिकल वेस्ट और सीवरेज कनेक्शन जैसे महत्वपूर्ण मुद्दों पर कार्य करने के निर्देश दिए गए।

मंडी में स्कूली बच्चों को पढ़ाएंगे कचरा प्रबंधन का पाठ
हरियाणा के मंडी जिले में, बच्चों को कचरा प्रबंधन के महत्व के बारे में जानकारी देने के लिए एक विशेष पहल की गई है। जिला आयुक्त (डीसी) द्वारा निकायों को निर्देश दिए गए हैं कि वे स्कूली विद्यार्थियों को कचरा प्रबंधन का पाठ पढ़ाएं। यह फैसला इसलिए लिया गया है ताकि युवा पीढ़ी को पर्यावरण के प्रति जागरूक किया जा सके और उन्हें सही व स्थायी तरीके से कचरा प्रबंधित करने की तकनीक सिखाई जा सके।
कचरा प्रबंधन की आवश्यकता
अधिकतर नगरपालिका क्षेत्रों में कचरा प्रबंधन के मुद्दे एक गंभीर समस्या बन गए हैं। जब तक बच्चों को सही जानकारी नहीं दी जाएगी, तब तक यह समस्या जस की तस बनी रहेगी। इस दिशा में डीसी की नई पहल न केवल स्कूली शिक्षा का हिस्सा बनेगी, बल्कि यह बच्चों में जिम्मेदारी और पर्यावरण संरक्षण की भावना को भी विकसित करेगी।
सेनेटरी वेस्ट का महत्व
जिला आयुक्त ने सेनिटरी वेस्ट के अलग संग्रह पर भी जोर दिया है। विद्यार्थियों को यह सिखाना आवश्यक है कि सही तरीके से सेनिटरी वेस्ट को कैसे मैनज करना है ताकि संक्रमण एवं अन्य स्वास्थ्य संबंधी समस्याएँ न arise हों। स्कूली कार्यक्रमों के तहत, बच्चे सिखेंगे कि किस तरह से प्लास्टिक, कागज, और जैविक कचरे का सही तरीके से प्रबंधन किया जाए।
आगे की योजना
इस पहल की शुरुआत विभिन्न सरकारी और निजी स्कूलों में की जाएगी। इसके अंतर्गत विशेष कार्यशालाएं और गतिविधियाँ आयोजित की जाएंगी, जहां बच्चे वयस्कों से प्राप्त जानकारी के बाद स्वयं कार्य करेंगे। इसके माध्यम से बच्चों को न केवल ज्ञान प्राप्त होगा, बल्कि वे अपने घरों में भी इस विचारधारा को फैलाने में सक्षम होंगे।
इस महत्वपूर्ण जानकारी का प्रसार बच्चे न केवल अपने सहपाठियों में करेंगे, बल्कि इससे उन्हें समाज में एक सकारात्मक बदलाव लाने के लिए भी प्रेरित किया जाएगा।
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