मनमानी पर हाईकोर्ट ने बीएचयू से मांगा जवाब:बीएचयू आयुर्वेद संकाय में पीजी पाठ्यक्रम में आंतरिक संस्थागत कोटा को खत्म करनें का मामला

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने बीएचयू और आयुष प्रवेश केंद्रीय परामर्श समिति से जवाब मांगा है। मामला प्रवेश प्रक्रिया में मनमानी का है। हाईकोर्ट ने बनारस हिंदू विश्वविद्यालय (बीएचयू) और आयुष प्रवेश केंद्रीय परामर्श समिति आयुष मंत्रालय, भारत सरकार द्वारा आयुर्वेद संकाय, बीएचयू में पीजी पाठ्यक्रमों में प्रवेश प्रक्रिया से संबंधित मनमानी नीतियों को चुनौती देने वाली याचिका पर सुनवाई करते हुए जवाबी हलफनामा दाखिल करने को कहा है। कोर्ट ने इसके लिए दो सप्ताह का समय दिया है। याचिका पर अगली सुनवाई 24 मार्च को होगी। यह आदेश न्यायमूर्ति शेखर बी सर्राफ और न्यायमूर्ति विपिन चंद्र दीक्षित की खंडपीठ ने कृष्ण लाल गुप्ता व पांच अन्य की याचिका पर सुनवाई करते हुए दिया है। याचिका में आयुर्वेद संकाय बीएचयू से अध्ययनरत बीएएमएस ( आयुर्वेद का ग्रेजुएशन कोर्स) के छात्रों ने पीजी पाठ्यक्रम के आंतरिक संस्थागत कोटा सीटों को अखिल भारतीय कोटा में बदलने और बीएचयू आयुष पीजी पाठ्यक्रमों में आंतरिक कोटा सीटों के लिए आवेदन करने के लिए केवल एक ही अवसर दिए जाने को चुनौती दी गई है। याचिकाकर्ताओं की ओर से तर्क दिया गया कि याचिका दाखिल करने के बाद आयुष मंत्रालय ने आयुष पीजी कोर्स में आंतरिक कोटे के तौर पर 25 आरक्षित सीटों को अखिल भारतीय कोटा (ओपेन कैटेगरी) में बदल दिया गया जो सीधे तौर पर विधि विरुद्ध है। कहा कि देश में किसी अन्य संस्थान में इस प्रकार का प्रतिबंध नहीं है कि आंतरिक कोटे में पीजी प्रवेश में सिर्फ एक अवसर दिया जाएगा। यहां तक कि बीएचयू के अन्य विभागों में भी आंतरिक कोटा सीटों के लिए न्यूनतम दो अवसर प्रदान किए जाते है। कोर्ट ने याचियों का पक्ष सुनने के बाद जवाब दाखिल करने को कहा है।

Feb 8, 2025 - 02:00
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मनमानी पर हाईकोर्ट ने बीएचयू से मांगा जवाब:बीएचयू आयुर्वेद संकाय में पीजी पाठ्यक्रम में आंतरिक संस्थागत कोटा को खत्म करनें का मामला
इलाहाबाद हाईकोर्ट ने बीएचयू और आयुष प्रवेश केंद्रीय परामर्श समिति से जवाब मांगा है। मामला प्रवे

मनमानी पर हाईकोर्ट ने बीएचयू से मांगा जवाब

हाल ही में, वाराणसी स्थित बनारस हिंदू विश्वविद्यालय (बीएचयू) का आंतरिक संस्थागत कोटा खत्म करने का मामला हाईकोर्ट में पहुंचा है। छात्रों और अभिभावकों की चिंताओं को ध्यान में रखते हुए, हाईकोर्ट ने इस मुद्दे पर बीएचयू से जवाब मांगा है। यह मामला बीएचयू आयुर्वेद संकाय में पीजी पाठ्यक्रम से संबंधित है, जहां इस कोटा को समाप्त करने के निर्णय ने बड़ा विवाद खड़ा किया है।

बीएचयू आयुर्वेद संकाय का आंतरिक कोटा

आंतरिक संस्थागत कोटा वह व्यवस्था है, जिसके तहत विश्वविद्यालय अपने छात्रों को पहले की पढ़ाई के आधार पर एक निश्चित संख्या में सीटें प्रदान करता है। बीएचयू के आयुर्वेद संकाय में यह कोटा लंबे समय से लागू था, लेकिन हाल ही में इसे खत्म करने का निर्णय लिया गया। यह निर्णय विश्वविद्यालय प्रशासन के खिलाफ छात्रों में असंतोष का कारण बना है, क्योंकि इससे कई छात्रों की भविष्य निधि पर असर पड़ सकता है।

हाईकोर्ट और छात्रों की चिंताएं

छात्रों और उनके अभिभावकों ने बीएचयू की इस कार्यप्रणाली को मनमानी बताते हुए हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया है। उन्होंने तर्क दिया है कि यह निर्णय न केवल असंवेदनशील है, बल्कि यह उनके भविष्य के लिए भी खतरा बन गया है। हाईकोर्ट ने इस मामले को गंभीरता से लेते हुए बीएचयू को इस पर स्पष्ट जवाब देने के लिए कहा है।

आने वाले समय में क्या हो सकता है?

आने वाले दिनों में हाईकोर्ट के आदेश के बाद बीएचयू को इस मुद्दे पर उचित और यथासंभव तर्कसंगत उत्तर पेश करना होगा। छात्रों की सुरक्षा और उनके हकों की रक्षा के लिए यह जरूरी होगा कि विश्वविद्यालय प्रशासन इस विवाद का समाधान निकाले। इस प्रश्न का समाधान न केवल बीएचयू के लिए, बल्कि सभी छात्रों के भविष्य के लिए महत्वपूर्ण है।

इस स्थिति को देखते हुए, सभी संबंधित पक्षों को अपने तर्क रखने का अवसर मिलना चाहिए और सभी की चिंताओं को समझा जाना चाहिए। छात्रों का भविष्य सुनिश्चित करने के लिए उचित निर्णय लिया जाना अत्यंत आवश्यक है।

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