महात्मा गांधी की पुण्यतिथि पर वामपंथी नेताओं का प्रतीक उपवास:भदोही में गांधी की प्रतिमा पर माल्यार्पण, धर्मनिरपेक्षता और एकता का दिया संदेश
भदोही में राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की 76वीं पुण्यतिथि पर वामपंथी दलों ने संयुक्त मोर्चा के तहत प्रतीक उपवास रखा। माकपा, भाकपा, भाकपा (माले) और फारवर्ड ब्लॉक के कार्यकर्ताओं ने इंदिरा मिल चौराहे पर स्थित गांधीजी की प्रतिमा पर माल्यार्पण कर श्रद्धांजलि अर्पित की। कार्यक्रम में वामपंथी नेता इंद्रदेव पाल ने कहा कि महात्मा गांधी हिंदू-मुस्लिम एकता के प्रबल समर्थक थे और हिंदू राष्ट्र की अवधारणा के विरोधी थे। उन्होंने स्मरण किया कि 30 जनवरी 1948 को इसी विचारधारा के कारण नाथूराम गोडसे ने उनकी हत्या कर दी थी। उन्होंने वर्तमान परिस्थितियों पर चिंता व्यक्त करते हुए कहा कि आज की सरकार संविधान के धर्मनिरपेक्ष स्वरूप को बदलने का प्रयास कर रही है। राष्ट्र की एकता और मजबूती के लिए सभी धर्मों के लोगों का साथ आवश्यक है नेताओं ने कहा कि राष्ट्र की एकता और मजबूती के लिए सभी धर्मों के लोगों का साथ आवश्यक है। उन्होंने आरोप लगाया कि वर्तमान सरकार धार्मिक समूहों में विभाजन करके देश की आम जनता को आर्थिक रूप से कमजोर कर रही है और कॉरपोरेट हितों को बढ़ावा दे रही है। कार्यक्रम में जगन्नाथ मौर्य, रामचंद्र पटेल, अमृतलाल मौर्य, श्रीराम बिंद, भूलाल पाल, रामजीत यादव, केशव प्रसाद, उमाशंकर यादव, रामखेलावन और ज्ञान प्रकाश प्रजापति सहित कई वामपंथी नेता मौजूद रहे।

महात्मा गांधी की पुण्यतिथि पर वामपंथी नेताओं का प्रतीक उपवास
महात्मा गांधी की पुण्यतिथि के अवसर पर, भदोही में वामपंथी नेताओं ने प्रतीक उपवास किया। इस अवसर पर उन्होंने गांधी की प्रतिमा पर माल्यार्पण करते हुए धर्मनिरपेक्षता और एकता का महत्वपूर्ण संदेश दिया। इस कार्यक्रम का आयोजन गांधी जी के आदर्शों को जीवित रखने और समाज में भाईचारा बढ़ाने के लिए किया गया।
धर्मनिरपेक्षता का महत्व
आज के समय में धर्मनिरपेक्षता एक महत्वपूर्ण मुद्दा बन गया है। वामपंथी नेताओं ने गांधी के विचारों को याद करते हुए कहा कि सभी धर्मों के प्रति सम्मान होना चाहिए। इस प्रतीक उपवास के माध्यम से उन्होंने समाज को यह संदेश दिया कि हर व्यक्ति को अपने मूल अधिकारों के साथ-साथ एक-दूसरे के धर्मों का भी सम्मान करना चाहिए।
एकता का संदेश
भदोही की इस घटना ने एकता का एक जोशपूर्ण संदेश फैलाया। नेताओं ने बताया कि महात्मा गांधी ने हमेशा एकता और अहिंसा का पालन किया। इस पहल का उद्देश्य समाज में नफरत और विभाजन के खिलाफ खड़े होना है। इस उपवास ने समाज को एकजुट करने के लिए एक प्रेरणा का काम किया।
वामपंथी नेताओं की भूमिका
वामपंथी नेताओं ने इस उपवास के दौरान गांधी के प्रति अपनी श्रद्धांजलि अर्पित करते हुए, उनके आदर्शों को आगे बढ़ाने का संकल्प लिया। उन्होंने कहा कि प्रत्येक नागरिक का दायित्व है कि वे समाज में सामंजस्य बनाएं और एक-दूसरे के प्रति समझदारी दिखाएं।
समापन में, यह उपवास सिर्फ एक प्रतीक था, लेकिन इसके पीछे का संदेश अत्यंत महत्वपूर्ण था। इस तरह की गतिविधियों के माध्यम से लोग गांधी के विचारों को आत्मसात कर सकते हैं और एक सशक्त समाज का निर्माण कर सकते हैं। ये कार्यक्रम हमारे समाज के लिए एक नई चेतना का संचार करते हैं।
इस घटना ने हमें यह सिखाया कि महात्मा गांधी का संदेश आज भी प्रासंगिक है और हमें इसे अपने जीवन में अपनाना चाहिए।
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