हजरत अली जयंती पर सिद्धार्थनगर में उमड़ी भीड़:मस्जिदों में महफिल-ए-मीलाद का आयोजन, जुलूस में श्रद्धालुओं ने किया प्रतिभाग
सिद्धार्थनगर में हजरत अली की जयंती पर धार्मिक उत्साह का विशेष माहौल देखने को मिला। शिया समुदाय के पहले इमाम और पैगंबर मोहम्मद के दामाद हजरत अली की जयंती पर मस्जिदों और मौला अली के रौजे को भव्य रूप से सजाया गया। सोमवार रात से शुरू हुए कार्यक्रम में हल्लौर स्थित जामा मस्जिद में जश्न-ए-अली का विशेष आयोजन किया गया। मौलाना शाहकार हुसैन जैदी की अध्यक्षता में आयोजित कार्यक्रम में मौलाना महबूब अलीग के संचालन में कारी ने कलाम पाक की तिलावत की। मंगलवार दोपहर 3 बजे अली डे का मुख्य कार्यक्रम आयोजित हुआ। दरगाह प्रांगण से निकला पैदल जुलूस बैदौला चौराहा होते हुए डुमरियागंज से वापस हल्लौर मुख्य मार्ग तक पहुंचा। इसके बाद मोटरसाइकिल रैली निकाली गई। जिसमें हसन जमाल, हानी और बशारत ने मौला की शान में कसीदे प्रस्तुत किए। मौलाना मो. हुसैन, मौलाना अली अब्बास और जाकिरे अहलेबैत ने अपने संबोधन में हजरत अली के जीवन और योगदान को याद किया। तिलगड़िया, वासा, जमौतिया, टड़वा, भटगवां, हटवा, नव्वा गांव और राम भारी सहित आसपास के क्षेत्रों में भी विशेष कार्यक्रम आयोजित किए गए। जिनमें बड़ी संख्या में श्रद्धालुओं ने हिस्सा लिया।

हजरत अली जयंती पर सिद्धार्थनगर में उमड़ी भीड़
हजरत अली जयंती के अवसर पर सिद्धार्थनगर में एक बड़ा उत्सव मनाया गया, जिसमें हजारों श्रद्धालुओं ने भाग लिया। इस अवसर पर स्थानीय मस्जिदों में महफिल-ए-मीलाद का आयोजन किया गया, जिसने बड़ी संख्या में लोगों को एकत्रित किया। यह जयंती मुसलमानों के लिए विशेष महत्व रखती है, और हर साल इसे धूमधाम से मनाया जाता है।
महफिल-ए-मीलाद का आयोजन
सिद्धार्थनगर में मस्जिदों में महफिल-ए-मीलाद का आयोजन किया गया। इस दौरान धार्मिक गाने, नातें और शायरी का प्रस्तुतिकरण किया गया, जो श्रद्धालुओं के दिलों को छू गया। महफिल में उपस्थित व्यक्तियों ने एक-दूसरे के साथ मिलकर धार्मिक भावना का अनुभव किया। कार्यक्रम में स्थानीय उलेमा ने हजरत अली की शिक्षाओं पर प्रकाश डाला, जिससे सभी उपस्थित लोग प्रेरित हुए।
जुलूस में श्रद्धालुओं ने किया प्रतिभाग
हजरत अली जयंती के उपलक्ष्य में निकाले गए जुलूस में श्रद्धालुओं की भारी भीड़ देखी गई। श्रद्धालुओं ने जुलूस में शामिल होकर अपने धार्मिक उत्साह का प्रदर्शन किया। जुलूस के दौरान शहर की प्रमुख सड़कों पर धार्मिक नारे लगाए गए और लोग एक-दूसरे को हजरत अली की जयंती की शुभकामनाएँ दे रहे थे। इसके अलावा, जुलूस में चल रहे लोगों ने अपने हाथों में झंडे और बैनर पकड़ रखे थे, जिन पर धार्मिक संदेश लिखे हुए थे।
समुदाय की एकता और सहयोग
इस धार्मिक अवसर पर सिद्धार्थनगर का मुस्लिम समुदाय एकजुट होकर उत्सव को मनाता है। जयंती का यह आयोजन न केवल धार्मिक बल्कि सामाजिक स्नेह और भाईचारे को भी दर्शाता है। लोग एक-दूसरे के साथ सहयोग करते हुए इस महोत्सव को सफल बनाने के लिए तत्पर होते हैं।
जिंदगी में हजरत अली के विचारों को अपनाने का संदेश देने के लिए इस प्रकार के आयोजन अत्यंत महत्वपूर्ण हैं। वे हमें सच्चाई, न्याय और समानता की शिक्षा देते हैं, जो कि आज के समय में भी अत्यंत प्रासंगिक है।
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