मार्क कार्नी कनाडा के अगले प्रधानमंत्री बनेंगे, 85.9% वोट मिले:जस्टिन ट्रूडो की जगह लेंगे; रेस में शामिल 3 लोगों को पछाड़ा

मार्क कार्नी कनाडा के अगले प्रधानमंत्री होंगे। वे जस्टिन ट्रूडो की जगह लेंगे। लिबरल पार्टी ने सोमवार देर रात (भारतीय समय अनुसार) उन्हें अपना नेता चुनाव। कार्नी को 85.9% वोट मिले। कार्नी ने पीएम पद की रेस में शामिल पूर्व वित्त मंत्री क्रिस्टिया फ्रीलैंड, पूर्व सरकारी सदन नेता करीना गोल्ड और पूर्व संसद सदस्य फ्रैंक बेलिस को पछाड़ा। वे बिना किसी विधायी या कैबिनेट अनुभव के पहले कनाडाई प्रधानमंत्री होंगे। इसके पहले निवर्तमान पीएम जस्टिन ट्रूडो ने पार्टी और अपने समर्थकों को संबोधित किया। उन्होंने कहा- मुझे गलत मत समझिए, पिछले 10 सालों में हमने जो कुछ किया है, उस पर मुझे बहुत गर्व है। लेकिन आज की रात एक पार्टी के रूप में, एक देश के रूप में हमारे भविष्य के बारे में है। उन्होंने अपने समर्थकों से कहा कि सक्रिय बने रहें। आपके देश को आपकी जरूरत पहले से कहीं ज्यादा है। लिबरल इस पल का सामना करेंगे। ये वक्त नेशन डिफाइनिंग मूमेंट है। लोकतंत्र और स्वतंत्रता के लिए निरंतर प्रयास की आवश्यकता होती है। इसके लिए साहस, बलिदान, उम्मीद और कड़ी मेहनत की जरूरत होती है। ट्रू़डो ने कहा- हमें पिछले 10 सालों में हासिल की गई सभी महान चीजों पर ध्यान नहीं देना चाहिए। इसके बजाय हमें अगले 10 सालों और आने वाले दशकों में और भी अधिक हासिल करने के लिए प्रेरित होना चाहिए। बैंकर और इकोनॉमिस्टक हैं मार्क कार्नी मार्क कार्नी इकोनॉमिस्ट और पूर्व केंद्रीय बैंकर हैं। कार्नी को 2008 में बैंक ऑफ कनाडा का गवर्नर चुना गया था। कनाडा को मंदी से बाहर निकालने के लिए उन्होंने जो कदम उठाए, उसकी वजह से 2013 में बैंक ऑफ इंग्लैंड ने उन्हें गवर्नर बनने का प्रस्ताव दिया। बैंक ऑफ इंग्लैंड के 300 साल के इतिहास में वे पहले ऐसे गैर ब्रिटिश नागरिक थे, जिन्हें यह जिम्मेदारी मिली। वे 2020 तक इससे जुड़े रहे। ब्रेक्जिट के दौरान उनके फैसलों ने उन्हें ब्रिटेन में मशहूर बना दिया। ट्रम्प के विरोधी हैं कार्नी, लेकिन बयान देने से बचते हैं कई वोटर्स को लगता है कि कार्नी की आर्थिक योग्यता और उनका संतुलित स्वभाव ट्रम्प को साधने में मदद करेगा। दरअसल, कार्नी लिबरल पार्टी में ट्रम्प के विरोधी हैं। उन्होंने देश की इस हालत का जिम्मेदार ट्रम्प को बताया है। उन्होंने पिछले मंगलवार को एक बहस के दौरान कहा कि ट्रम्प की धमकियों से पहले ही देश की हालत खराब है। बहुत से कनाडाई बदतर जीवन जी रहे हैं। अप्रवासियों की संख्या बढ़ने से देश की हालत और खराब हो गई है। कार्नी अपने विरोधियों की तुलना में अपने कैंपेनिंग को लेकर ज्यादा सतर्क रहे हैं। पीएम पद का उम्मीदवार बनने के बाद से अभी तक उन्होंने एक भी इंटरव्यू नहीं दिया है। वे ट्रम्प विरोधी हैं लेकिन, कनाडा को अमेरिका का 51वां राज्य बनाने और देश पर टैरिफ लगाने वाले ट्रम्प के बयान को लेकर कुछ भी कहने से बचते रहे हैं। हालांकि, हाल ही में ट्रम्प की तरफ से कनाडा पर 25% टैरिफ लगाने का ऐलान करने के बाद उन्होंने एक बयान दिया था, कनाडा किसी दबंग के आगे नहीं झुकेगा। हम चुप नहीं बैठेंगे हमें एक मजबूत रणनीति बनानी होगी, जिससे निवेश बढ़े और हमारे कनाडाई कामगारों को इस मुश्किल समय में सहायता मिले। लोकप्रिय हैं, लेकिन ज्यादा दिन PM रहने की संभावना कम पिछले साल जुलाई में एक पोलिंग फर्म ने जस्टिन ट्रूडो की जगह लेने वाले संभावित उम्मीदवारों को लेकर सर्वे किया था। तब 2000 में से सिर्फ 140 लोग यानी 7% लोग ही मार्क कार्नी को पहचान पाए थे। जनवरी में जस्टिन ट्रूडो के इस्तीफे के बाद उन्होंने खुद को लिबरल पार्टी के उम्मीदवार के तौर पर पेश किया। इसके बाद उन्होंने लिबरल पार्टी के कई कैबिनेट मंत्रियों और सांसदों का समर्थन हासिल किया, जिससे उनकी दावेदारी मजबूत हुई है। हाल ही में मेनस्ट्रीट सर्वे के मुताबिक कार्नी को 43%, वहीं पूर्व वित्तमंत्री क्रिस्टिया फ्रीलैंड को 31% वोटर्स का समर्थन मिला है। हालांकि यह कहा नहीं जा सकता है कि कार्नी कितने समय तक प्रधानमंत्री बने रहेंगे। दरअसल, लिबरल पार्टी के पास संसद में बहुमत नहीं है। प्रधानमंत्री बनने के बाद कार्नी को अक्टूबर से पहले देश में चुनाव कराने होंगे। फिलहाल वे संसद के भी मेंबर नहीं हैं, ऐसे में वे जल्द ही चुनाव करा सकते हैं। भारत-कनाडा के रिश्तों को बेहतर बनाना चाहते हैं कार्नी कार्नी भारत और कनाडा के रिश्तों में आए तनाव को खत्म करना चाहते हैं। वे भारत से अच्छे रिश्तों को हिमायती रहे हैं। उन्होंने हाल ही में कहा था कि अगर वो कनाडा के प्रधानमंत्री बनते हैं तो भारत के साथ व्यापारिक रिश्तों को फिर से बहाल करेंगे। उन्होंने कहा- कनाडा समान विचारधारा वाले देशों के साथ अपने व्यापारिक संबंधों में विविधता लाना चाहता है और भारत के साथ संबंधों को फिर से बनाना चाहता है। हालांकि, दोनों देशों के बीच विवाद की सबसे बड़ी वजह- खालिस्तानी आतंकियों के मुद्दे पर मार्क कार्नी ने अभी तक कोई सार्वजनिक बयान नहीं दिया है। भारत और कनाडा के बीच विवाद की वजह क्यों है खालिस्तान खालिस्तानियों के मुद्दे पर भारत और कनाडा के बीच पिछले कुछ साल से राजनीतिक विवाद चल रहे हैं। कनाडाई पीएम ट्रूडो कई बार भारत विरोधी खालिस्तान आतंकियों के लिए नर्म रुख दिखा चुके हैं। इसके अलावा भारत ने उन पर देश के आंतरिक मसलों में भी दखल देने का आरोप लगाया है। कुछ उदाहरण देखिए... कनाडा में आज कैसे चुना जाएगा प्रधानमंत्री कनाडा की लिबरल पार्टी ने पिछले नेशनल इलेक्शन में सरकार बनाई थी, इसलिए प्रधानमंत्री चुनने के लिए लिबरल पार्टी के रजिस्टर्ड वोटर्स वोटिंग करेंगे। 30 जनवरी तक 4 लाख लोगों ने वोटिंग के लिए रजिस्ट्रेशन कराया था। कनाडा की कुल आबादी लगभग 4.1 करोड़ है, यानी लगभग 1% आबादी इस चुनाव में भाग लेगी। वोटिंग का प्रोसेस ----------------------------------- कनाडा से जुड़ी यह खबर भी पढ़ें... कनाडा के PM ट्रूडो का इस्तीफा: कहा- मैं अगले चुनाव के लिए अच्छा विकल्प नहीं; पार्टी सांसदों की तरफ से पद

Mar 10, 2025 - 05:00
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मार्क कार्नी कनाडा के अगले प्रधानमंत्री बनेंगे, 85.9% वोट मिले:जस्टिन ट्रूडो की जगह लेंगे; रेस में शामिल 3 लोगों को पछाड़ा
मार्क कार्नी कनाडा के अगले प्रधानमंत्री होंगे। वे जस्टिन ट्रूडो की जगह लेंगे। लिबरल पार्टी ने स

मार्क कार्नी कनाडा के अगले प्रधानमंत्री बनेंगे, 85.9% वोट मिले

हाल ही में हुए एक ऐतिहासिक मतदान में, मार्क कार्नी ने कनाडा के अगले प्रधानमंत्री के रूप में 85.9% वोट हासिल किए हैं। इस जीत के साथ ही वह जस्टिन ट्रूडो की जगह लेंगे, जिन्होंने पिछले कुछ वर्षों में देश की राजनीतिक दिशा को प्रभावित किया है। यह चुनाव परिणाम न केवल कार्नी के लिए, बल्कि कनाडा के राजनीति पर महत्वपूर्ण प्रभाव डालने वाला है।

मार्क कार्नी की पृष्ठभूमि

मार्क कार्नी एक प्रसिद्ध अर्थशास्त्री और प्रमुख व्यापारी रहे हैं, जिन्होंने पहले बैंक ऑफ कनाडा और बैंक ऑफ इंग्लैंड के गवर्नर के रूप में कार्य किया है। उनके पास वित्तीय क्षेत्र में व्यापक अनुभव है, जो उन्हें इस महत्वपूर्ण पद के लिए एक उपयुक्त उम्मीदवार बनाता है। कार्नी के चुनावी अभियान ने लोगों का ध्यान आकर्षित किया, खासकर उनकी विकासात्मक नीतियों और सस्टेनेबल डेवलपमेंट पर ध्यान केंद्रित करने के कारण।

चुनाव के नतीजे और विपक्षी उम्मीदवार

चुनाव में कार्नी ने अन्य तीन मुख्य उम्मीदवारों को पीछे छोड़ दिया। इन उम्मीदवारों में सीनियर राजनीतिक व्यक्ति भी शामिल थे, लेकिन कार्नी की नीति और दृष्टिकोण ने उन्हें चुनाव में विजयी बना दिया। जस्टिन ट्रूडो की सरकार के खिलाफ जनता की बढ़ती असंतोषता का भी इस चुनाव में महत्वपूर्ण योगदान रहा। इससे यह स्पष्ट होता है कि कनाडाई लोग नए नेतृत्व का समर्थन कर रहे हैं।

आगे की चुनौतियां

कार्नी के सामने कई चुनौतियाँ हैं, जिनमें अर्थव्यवस्था को सुधारना, जलवायु परिवर्तन से निपटना और सामाजिक मुद्दों पर ध्यान केंद्रित करना शामिल है। उनकी नीतियों को लागू करने के लिए एक मजबूत और सहयोगी सरकार की आवश्यकता होगी। इसके लिए उन्हें अन्य राजनीतिक दलों और राज्य स्तर पर नेतृत्व के साथ मिलकर काम करना होगा।

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उत्सव और प्रतिक्रिया

मार्क कार्नी की जीत का जश्न मनाया जा रहा है, और उनके समर्थक उनकी नीतियों को सकारात्मक दिशा में देखने के लिए उत्सुक हैं। उनके इस चुनाव में आने से कनाडा में एक नई ऊर्जा का संचार हुआ है, और लोग उम्मीद करते हैं कि वह बेहतर भविष्य की दिशा में कदम बढ़ाएंगे।

समापन विचार

कनाडा के राजनीति में मार्क कार्नी का आगमन एक महत्वपूर्ण मोड़ है। उनकी नेतृत्व क्षमताएँ, अनुभव और पारदर्शिता से उम्मीद की जा रही है कि वह देश को एक नया दिशा देंगे। आने वाले समय में यह देखना दिलचस्प होगा कि उनका नेतृत्व किस तरह की नीतियों और विकास को जन्म देगा। Keywords: मार्क कार्नी, कनाडा प्रधानमंत्री चुनाव 2023, जस्टिन ट्रूडो का स्थान, कनाडाई राजनीति, चुनाव परिणाम 2023, वोटिंग प्रतिशत, आर्थिक नीति, मार्क कार्नी की पृष्ठभूमि, नागरिक समर्थन, चुनावी नीतियाँ

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