मिट्टी के बर्तनों से संजोया महिला बंदियों का जीवन:दुबई को भाया मिट्टी का कुकर, राष्ट्रपति ने किया सम्मानित
कानपुर के NRI सिटी में रहने वाली डॉ बिंदु सिंह महिला बंदियों का मिट्टी के बर्तनों से जीवन संजो रही हैं। जेल से रिहा होने के बाद 200 महिलाएं उनके साथ जुड़ कर काम कर रही हैं। आज डॉ बिंदु के मिट्टी के बर्तनों का डंका देश में ही नहीं बल्कि विदेशो में भी बज रहा है। बिंदु का नाम देश की उन 75 महिला बंदियों की लिस्ट में शुमार है, जिन्होंने स्टार्टअप कर महिलाओं को आत्मनिर्भर बनाने का काम किया है। विदेशों में अपनी कला का प्रदर्शन करने वाली बिंदु को वर्ष 2023 में राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु ने पुरस्कृत किया था। 2001 में महिलाओं के उत्थान के लिए बनाई संस्था मोटिवेशनल स्पीकर डॉ बिंदु सिंह ने वर्ष 2001 से महिलाओं को उत्थान के लिए ऑल इंडिया वूमेन डेवलेपमेंट एंड ट्रेडिंग सोसाइटी नाम की संस्था बना कर काम कर रही हैं। वर्ष 2020 में कोरोना महामारी के दौरान मिट्टी के बर्तनों के प्रति लोगों को जागरूक करना शुरू किया। उन्होंने बताया कि प्राचीन समय से देश में मिट्टी के बर्तनों का प्रयोग हो रहा है। मिट्टी के बर्तनों में रहती 100 प्रतिशत न्यूट्रीशियन वैल्यू एल्मुनियम व स्टील के बर्तनों में खाना पकाने में पौष्टिक तत्व नष्ट हो जाते हैं, इसके साथ ही इन बर्तनों में खाना बनाने से कैंसर, यूरिक एसिड व गैस से संबंधित शिकायतें हो जाती है। वहीं मिट्टी के बर्तनों में खाने की न्यूट्रीशियन वैल्यू 100 प्रतिशत रहती है और खाना ज्यादा समय तक गर्म रहता है। जिसको देखते हुए उन्होंने लोगों को मिट्टी के बर्तनों का प्रयोग करने के लिए जागरूक करना शुरू किया। सड़क किनारे स्टॉल लगा की शुरूआत वर्ष 2020 में डॉ बिंदु ने 30 हजार रुपये के मिट्टी के बर्तन गुजरात से मंगवाए और सड़क किनारे स्टॉल लगा कर बेचने की शुरुआत की और लोगों को जागरूक करना शुरू किया कि मिट्टी के बर्तन जीवन में क्यों आवश्यक हैं। वर्ष 2021 में उन्होंने चौबेपुर में मिट्टी के बर्तनों की फैक्ट्री स्थापित की। जिसमें करीब 35 महिलाओं को रोजगार दिया। जेल से रिहा 200 महिलाएं साथ जुड़ी साथ ही महिला बंदियों को कच्चा माल उपलब्ध करा कर मिट्टी के बर्तनों को बनाना, पेंटिंग करना व मिट्टी का ज्वैलरी का निर्माण करना सिखाया। महिला बंदियों ने उत्साह के साथ काम में हिस्सा लिया और जेल से छूटने के बाद आज 200 महिलाएं उनके साथ जुड़ी हुई है। महिला बंदियों को आत्मनिर्भर बनाने के लिए वर्ष 2020 में डीजी कारगार की तरफ से उन्हें सम्मानित किया गया। वर्ष 2023 में लखनऊ में आयोजित ग्लोबल इनवेस्टर समिट में देश की 75 महिला उद्यमियों में डॉ बिंदु सिंह का नाम भी शामिल हुआ, जिस पर उन्हें राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु ने सम्मानित किया। समिट में दुबई से आए लोगों को उनके मिट्टी के कुकर इतने पसंद आए कि उन्हें 2000 कुकर का ऑर्डर मिला। मिट्टी से स्वालंबन की देती हैं शिक्षा बिंदु ने बताया कि आज उनकी कंपनी में 360 से भी ज्यादा मिट्टी के प्रोडक्ट तैयार होते है, जिनकी कीमत 20 रुपये से लेकर 1500 तक है। इसके साथ ही कनाडा, लंदन, जर्मनी, दुबई, यूके, यूएस जैसे देशों में उत्पादों की सप्लाई की जाती है। इसके साथ ही स्कूल, कॉलेजों में वह छात्राओं को मिट्टी से स्वालंबन व स्वास्थ्य पर शिक्षा भी उपलब्ध करातीं हैं।

मिट्टी के बर्तनों से संजोया महिला बंदियों का जीवन: दुबई को भाया मिट्टी का कुकर, राष्ट्रपति ने किया सम्मानित
समाज में बदलाव लाने के लिए महिला बंदियों ने मिट्टी के बर्तनों के माध्यम से न सिर्फ अपनी पहचान बनाई है, बल्कि दुबई में अपनी कला का लोहा भी मनवाया है। हाल ही में राष्ट्रपति ने इन महिलाओं के्र काम की सराहना करते हुए उन्हें सम्मानित किया। यह घटना न केवल उनके जीवन में बदलाव की कहानी है, बल्कि यह पृथ्वी और पारंपरिक हस्तशिल्प के महत्व को भी दर्शाती है। यह खबर उन सभी लोगों के लिए प्रेरणा का स्रोत है जो समाज में बदलाव लाने के लिए प्रयासरत हैं।
मिट्टी के बर्तनों का महत्व
मिट्टी के बर्तन भारत की सांस्कृतिक धरोहर का अभिन्न हिस्सा हैं। ये बर्तन न केवल घरेलू उपयोग के लिए होते हैं, बल्कि यह कला और शिल्प का भी एक अद्भुत उदाहरण हैं। महिला बंदियों ने इन्हें बनाने की कला को आत्मसात किया और इसका उपयोग कर अपने जीवन को संवारने का प्रयास किया। दुबई में उनका मिट्टी का कुकर ने सभी का ध्यान आकर्षित किया और उनकी मेहनत की सराहना की गई।
राष्ट्रपति द्वारा किए गए सम्मान
राष्ट्रपति द्वारा महिला बंदियों को मान्यता देना उनके कार्य की महत्ता को दर्शाता है। सम्मानित होने से न केवल उनकी आत्म-सम्मान में वृद्धि हुई है, बल्कि यह अन्य महिलाओं के लिए भी प्रेरणा स्रोत बन गया है। यह सम्मान दर्शाता है कि यदि आप अपने काम के प्रति समर्पित हैं तो समाज आपकी मेहनत को पहचानता है।
सामाजिक परिवर्तन की दिशा में एक कदम
यह पहल न केवल महिलाओं के लिए रोजगार के अवसर पैदा करती है, बल्कि यह उन्हें आत्मनिर्भर बनने का मार्ग भी प्रशस्त करती है। मिट्टी का कुकर और अन्य बर्तन बनाने में महिलाओं ने न केवल अपने कौशल का प्रदर्शन किया है, बल्कि समाज में सकारात्मक बदलाव लाने की कोशिश की है।
इस प्रकार, मिट्टी के बर्तनों की मदद से महिला बंदियों का जीवन संजोया जा रहा है, और साथ ही इस कला के प्रति समाज का ध्यान आकर्षित किया जा रहा है। महिलाएं अब अपनी प्रतिभा और मेहनत से एक नई दिशा में बढ़ रही हैं।
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