मिर्जापुर में पत्रकारों का उत्पीड़न के खिलाफ प्रदर्शन:राजगढ़ थाना प्रभारी और चिकित्सा अधिकारी पर कार्रवाई की मांग, सौंपा ज्ञापन
मिर्जापुर में ग्रामीण पत्रकार एसोसिएशन ने पत्रकारों के उत्पीड़न के विरोध में मंडलायुक्त कार्यालय पर प्रदर्शन किया। एसोसिएशन के जिलाध्यक्ष अजय ओझा के नेतृत्व में पत्रकारों ने अपर आयुक्त प्रशासन को ज्ञापन सौंपा। जिलाध्यक्ष ओझा ने कहा कि जनपद में निष्पक्ष समाचार प्रकाशित करना मुश्किल हो रहा है। उन्होंने बताया कि कुछ दिन पहले सीएमओ कार्यालय पर भी प्रदर्शन किया गया था। राजगढ़ के प्रभारी चिकित्साधिकारी की शिकायत पर बिना जांच के एक पत्रकार पर मुकदमा दर्ज कर दिया गया। पत्रकारों ने राजगढ़ थाना प्रभारी पर अपराधियों को संरक्षण देने का आरोप लगाया। उन्होंने कहा कि राजगढ़ अस्पताल में दवाएं उपलब्ध होने के बावजूद बाहर की दवाएं लिखी जाती हैं। डॉक्टर दोपहर 12 बजे के बाद ही अस्पताल पहुंचते हैं। अनट्रेंड कर्मचारियों से मरीजों का इलाज कराया जा रहा है। पत्रकारों का आरोप है कि पुलिस उन्हें थानों में बुलाकर अपमानित करती है। राजगढ़ थाने में एक पत्रकार के साथ ऐसा ही व्यवहार किया गया, जिसके विरोध में पत्रकारों को देर रात तक धरना देना पड़ा। प्रदर्शन में राजेश अग्रहरी, संजय दुबे, सुभाष मिश्रा समेत कई पत्रकार मौजूद रहे। सभी ने दोषी अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई की मांग की है।

मिर्जापुर में पत्रकारों का उत्पीड़न के खिलाफ प्रदर्शन
मिर्जापुर जिले में हाल ही में पत्रकारों ने अपने अधिकारों की रक्षा के लिए एक बड़ा प्रदर्शन किया। यह प्रदर्शन राजगढ़ थाना प्रभारी और चिकित्सा अधिकारी पर कार्रवाई की मांग को लेकर किया गया। पत्रकारों का कहना है कि उन्हें काम करने के दौरान उत्पीड़न का सामना करना पड़ रहा है, जो कि पत्रकारिता की स्वतंत्रता के लिए खतरा है।
प्रदर्शन का उद्देश्य
इस प्रदर्शन का मुख्य उद्देश्य राजगढ़ थाना प्रभारी और चिकित्सा अधिकारी के खिलाफ कार्रवाई की मांग करना था, जिन्होंने पत्रकारों को डराने-धमकाने का काम किया है। उपस्थित पत्रकारों ने राज्य सरकार से यह सुनिश्चित करने की अपील की कि पत्रकारों की सुरक्षा को प्राथमिकता दी जाए और ऐसे अतिक्रमणों के खिलाफ ठोस कदम उठाए जाएं।
ज्ञापन का प्रेषण
पत्रकारों ने एक ज्ञापन भी राजगढ़ थाना प्रभारी को सौंपा, जिसमें उनकी मांगों और समस्याओं का जिक्र किया गया। ज्ञापन में यह साफ तौर पर कहा गया कि पत्रकारिता के क्षेत्र में उत्पीड़न बिल्कुल अस्वीकार्य है। पत्रकारों ने इस मुद्दे पर उचित जांच की भी मांग की है।
समर्थन में आवाजें
इस प्रदर्शन में ना सिर्फ स्थानीय पत्रकार बल्कि कई सामाजिक कार्यकर्ता और नागरिक भी शामिल हुए। उन्होंने पत्रकारों के उत्पीड़न के खिलाफ एकजुटता दिखाई और इस मुद्दे को लेकर प्रशासन में जागरूकता फैलाने का संकल्प लिया।
संभावित परिणाम
मिर्जापुर में यह प्रदर्शन यह दर्शाता है कि पत्रकार अपने अधिकारों के लिए संघर्ष करने को तैयार हैं। अगर प्रशासन इस मुद्दे पर गंभीरता से कार्रवाई नहीं करता है, तो यह अन्य क्षेत्रों में भी समाचार रिपोर्टिंग के माहौल को प्रभावित कर सकता है।
हालांकि, उम्मीद की जा रही है कि इस तरह के प्रदर्शनों से प्रशासन को जागरूक किया जा सकेगा और पत्रकारों के खिलाफ होने वाले उत्पीड़न को रोकने के लिए ठोस कदम उठाए जाएंगे।
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