म्यूचुअल फंड कंपनी CEO बोलीं-हफ्ते में 100 घंटे काम किया:प्रोडक्टिव नहीं थी, बाथरूम में रोती थी; आनंद महिंद्रा बोले- क्वालिटी जरूरी, क्वांटिटी नहीं
कर्मचारियों के वर्कऑवर बढ़ाने की बहस के बीच एडलवाइस म्यूचुअल फंड की MD और CEO राधिका गुप्ता ने हफ्ते में 100 घंटे काम करने का अपना एक्सपीरियंस शेयर किया है। उन्होंने X पर लिखा- मैंने अपनी पहली नौकरी के दौरान अपने पहले प्रोजेक्ट पर लगातार चार महीनों तक हर हफ्ते 100 घंटे काम किया। एक दिन की छुट्टी के साथ हर दिन 18 घंटे काम किया। तब रविवार के बजाय सोमवार को छुट्टी मिलती थी, क्योंकि मुझे रविवार को क्लाइंट साइट पर होना था। उन्होंने बताया तब मैं 90% समय दुखी रहती थी। मैं ऑफिस के बाथरूम में जाकर रोती थी। एक बार रात में 2 बजे रूम सर्विस से चॉकलेट केक खाया और 2 बार हॉस्पिटल में भी भर्ती हुई। खास बात यह है कि भले ही मैं 100 घंटे काम पर थी, लेकिन मैं प्रोडक्टिव नहीं थी। यही कहानी मेरे साथ ग्रेजुएट होने वाले कई क्लासमेट्स की भी है, जो बैंकिंग और कंसल्टेंसी सहित अन्य काम कर रहे थे। दरअसल, लार्सन एंड टुब्रो (LT) के चेयरमैन SN सुब्रह्मण्यन ने हाल ही में अपने एम्प्लॉइज के साथ ऑनलाइन बातचीत के दौरान एक हफ्ते में 90 घंटे काम करने की सलाह दी थी। उन्होंने कहा कि अगर संभव हुआ तो कंपनी आपसे रविवार को भी काम करवाएगी। इसी के बाद राधिका गुप्ता ने अपने एक्सपीरियंस शेयर किए। राधिका भारत की किसी म्यूचुअल फंड कंपनी की भारत में पहली महिला CEO हैं। महिंद्रा बोले- काम के घंटे बढ़ाना गलत हालांकि महिंद्रा एंड महिंद्रा कंपनी के चेयरमैन आनंद महिंद्रा ने लंबे समय तक काम करने को गलत बताया है। दिल्ली में विकसित भारत यंग लीडर्स डायलॉग 2025 को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा- काम में क्वालिटी जरूरी है, उसकी क्वांटिटी नहीं। इसलिए यह 48, 40 घंटे, 70 घंटे या 90 घंटे की बात नहीं है। यह काम के आउटपुट पर निर्भर करता है। अगर 10 घंटे भी काम करते हैं तो आप क्या आउटपुट दे रहे हैं? क्या आप 10 घंटे में दुनिया बदल सकते हैं? उन्होंने कहा कि काम के घंटों को बढ़ाने की बहस गलत है। मैं इन्फोसिस के संस्थापक नारायण मूर्ति और अन्य लोगों का बहुत सम्मान करता हूं। इसलिए मुझे गलत ना समझा जाए। मुझे लगता है कि काम के घंटे बढ़ाना एक गलत बहस है। परिवार के साथ समय बिताना जरूरी महिंद्रा ने अपने ऑटो मैन्युफैक्चरिंग बिजनेस का उदाहरण देते हुए कहा कि परिवार के लिए कार बनाने के लिए परिवार की जरूरतों को समझना चाहिए। चलिए हमारे व्यवसाय को लेते हैं, आप एक कार बनाते हैं। हमें यह तय करना होता है कि ग्राहक कार में क्या चाहता है। अगर हम हर समय सिर्फ दफ्तर में ही रहेंगे, तो हम अपने परिवार के साथ नहीं होंगे, हम दूसरे परिवारों के साथ नहीं होंगे। हम कैसे समझ पाएंगे कि लोग क्या खरीदना चाहते हैं? वे किस तरह की कार में बैठना चाहते हैं? राधिका बोलीं- हर कोई CEO और फाउंडर नहीं बनना चाहता राधिका गुप्ता ने कहा कि कड़ी मेहनत एक ऑप्शन है, एम्बिशन एक चॉइस है और इसके कई परिणाम होते हैं। हर किसी को CEO या फाउंडर बनने की ख्वाहिश नहीं होती है। मैं ऐसे कई लोगों को जानती हूं जिन्होंने अपनी फील्ड में कम डिमांड वाला करियर चुना है क्योंकि काम से छुट्टी उनके लिए मायने रखती है। कड़ी मेहनत काम किए गए घंटों के बराबर नहीं होती राधिका गुप्ता ने कहा - मैं एक दोस्त को जानती हूं, जिसने अपने बॉस को यह विश्वास दिलाने के लिए एक्सेल मॉडल के साथ एक स्क्रीनसेवर बनाया कि वे ऑफिस में हैं। कड़ी मेहनत काम किए गए घंटों के बराबर नहीं होती। कई विकसित देश 8 से 4 बजे तक काम करते हैं, लेकिन सुनिश्चित करते हैं कि वह उस समय प्रोडक्टिव हों। उन्होंने कहा कि टाइम पर आएं और काम में अपना बेस्ट दें। केवल जरूरी मीटिंग करें और इफेक्टिव होने के लिए टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल करें। ₹1 लाख करोड़ से ज्यादा का फंड मैनेज करती है कंपनी कंपनी की वेबसाइट के अनुसार, नवंबर 2023 में एडलवाइस म्यूचुअल फंड का एसेट अंडर मैनेजमेंट (AUM) ₹1 लाख करोड़ के पार हो गया है। पिछले 5 सालों में कंपनी का AUM 11 गुना बढ़ा है। कंपनी के पास अभी 84 म्यूचुअल फंड्स का पोर्टफोलियो है, जिसमें इक्विटी, डेट, हाइब्रिड और मनी मार्केट स्कीम्स शामिल हैं। रविवार को भी काम करवाना चाहते हैं सुब्रह्मण्यन SN सुब्रह्मण्यन से जब LT की इंटरनल मीटिंग में पूछा गया कि बिलियन डॉलर वाली ये कंपनी अपने एम्प्लॉइज को शनिवार को भी क्यों बुलाती है। जवाब में उन्होंने कहा, 'मुझे खेद है कि मैं आपसे रविवार को काम नहीं करवा पा रहा हूं। अगर मैं आपसे रविवार को भी काम करवा पाऊं, तो मुझे ज्यादा खुशी होगी, क्योंकि मैं रविवार को काम करता हूं।' सुब्रह्मण्यन के इस बयान के बाद वर्क-लाइफ बैलेंस पर चल रही बहस को बढ़ावा मिला। इंफोसिस के को-फाउंडर नारायण मूर्ति के हफ्ते में 70 घंटे काम करने के सुझाव के बाद यह बहस शुरू हुई थी। सुब्रह्मण्यन ने कर्मचारियों से पूछा, आप पत्नी को कितनी देर तक निहार सकते हैं सुब्रह्मण्यन ने वीकेंड के दौरान घर पर एम्प्लॉइज के समय बिताने की बात पर पूछा आप घर पर बैठकर क्या करते हैं? आप अपनी पत्नी को कितनी देर तक निहार सकते हैं? आपकी पत्नी आपको कितनी देर तक निहार सकती है? चलो, ऑफिस जाओ और काम शुरू करो। इस बात के सपोर्ट में सुब्रमण्यन ने चीन के एक व्यक्ति से हुई बातचीत भी शेयर की। उन्होंने कहा, 'उस व्यक्ति ने दावा किया कि चीन, अमेरिका से आगे निकल सकता है क्योंकि चीनी एम्प्लॉई हफ्ते में 90 घंटे काम करते हैं, जबकि अमेरिका में 50 घंटे काम करते हैं।' सुब्रह्मण्यन के बयान वाली लार्सन एंड टुब्रो की इंटरनल मीटिंग का वीडियो रेडिट पर शेयर किया गया है। कई यूजर्स ने उनके बयान पर असहमति व्यक्त की है। हालांकि यह इंटरनल मीटिंग का वीडियो कब का है, इसके बारे में कोई जानकारी नहीं है। अडाणी बोले थे - 8 घंटे घर रहने पर भी बीवी भाग जाएगी इससे पहले हाल ही में वर्क-लाइफ बैलेंस पर गौतम अडाणी ने कहा था, 'आपका वर्क-लाइफ बैलेंस मेरे ऊपर और मेरा आपके ऊपर थोपा नहीं जाना चाहिए। मान लीजिए, कोई व्यक्ति अपने परिवार के साथ चार घंटे बिताता है औ

म्यूचुअल फंड कंपनी CEO बोलीं-हफ्ते में 100 घंटे काम किया:प्रोडक्टिव नहीं थी, बाथरूम में रोती थी; आनंद महिंद्रा बोले- क्वालिटी जरूरी, क्वांटिटी नहीं
हाल ही में, एक म्यूचुअल फंड कंपनी की CEO ने अपनी कठिनाइयों को साझा किया। उन्होंने कहा कि वह हफ्ते में 100 घंटे काम करती थीं, लेकिन फिर भी वह प्रोडक्टिव नहीं थीं। इस तनावपूर्ण स्थिति में, उन्होंने बताया कि उन्हें कई बार बाथरूम में जाकर रोना पड़ा। यह उनकी मानसिक स्थिति को दर्शाता है और इस पर चर्चा करने की आवश्यकता है। वहीं, उद्योगपति आनंद महिंद्रा ने इन मुद्दों पर अपनी राय व्यक्त की। उन्होंने कहा कि गुणवत्ता (Quality) को प्राथमिकता देनी चाहिए, न कि मात्रा (Quantity) को।
काम के घंटे बनाम प्रोडक्टिविटी
इसी से जुड़ा सवाल यह है कि क्या अधिक घंटे काम करना वास्तव में प्रोडक्टिविटी को बढ़ाता है? या क्या यह सिर्फ तनाव और थकान का कारण बनता है? CEO के अनुभव और आनंद महिंद्रा के विचार इस चर्चा को और भी प्रासंगिक बनाते हैं। आज के प्रतिस्पर्धी व्यावसायिक माहौल में काम के घंटों के बजाय परिणामों पर ध्यान देना जरूरी है।
मानसिक स्वास्थ्य का महत्व
बाथरूम में रोने की बात एक बहुत महत्वपूर्ण बिंदु को उठाती है - मानसिक स्वास्थ्य। काम के दबाव के कारण कई पेशेवर मानसिक स्वास्थ्य समस्याओं का सामना कर रहे हैं। नियमित रूप से कार्य और आराम का संतुलन बनाए रखना सभी के लिए जरूरी है ताकि वे अपने पेशेवर जीवन को सफलतापूर्वक आगे बढ़ा सकें।
आनंद महिंद्रा का दृष्टिकोण
आनंद महिंद्रा ने इस विषय पर स्पष्टता दी कि काम में गुणवत्ता को प्रमुखता दी जानी चाहिए। उनके अनुसार, केवल घंटे बिताना ही सफलता की पहचान नहीं है। अपने काम के प्रति प्राथमिकता और गुणवत्ता सुनिश्चित करना चाहिए, यह लंबे समय में सफल होने का एक महत्वपूर्ण पहलू है।
इस चर्चा से प्रेरणा लेते हुए, पेशेवरों को चाहिए कि वे अपने कार्य जीवन में कुछ संतुलन स्थापित करें और मानसिक स्वास्थ्य के महत्व को समझें।
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