रामपुर में वेतन नहीं मिलने पर भड़के मजदूर:लुहरी हाइड्रो प्रोजेक्ट का काम किया बंद; बोले- सेफ्टी शूज भी नहीं दे रही कंपनी
शिमला के रामपुर में निर्माणाधीन लुहरी हाइड्रो इलेक्ट्रिक प्रोजेक्ट वर्कर्स यूनियन ने विरोध प्रदर्शन किया। उन्होंने कहा कि कंपनी ने पिछले 2 महीने का वेतन नहीं दिया है। उन्हें सेफ्टी शूज भी नहीं दिए। जिससे मजदूरों में भारी रोष है। जिसके चले उन्होंने काम बंद कर दिया। सीटू जिलाध्यक्ष कुलदीप, ज़िला सचिव अमित यूनियन अध्यक्ष राजपाल, सचिव दिनेश मेहता ने कहा कि SJVNL की लुहरी हाइड्रो 210mw की परियोजना में ठेकेदार पटेल कम्पनी के द्वारा श्रम कानूनों की खुली उल्लंघन किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि इसमें सतलुज जल विद्युत निगम मूक दर्शक बना हुआ है। वित्त वर्ष 2023-24 में 908 करोड़ का मुनाफा कमाने वाली नवरतन कम्पनी SJVNL ने मजदूरों को नवंबर और दिसम्बर माह के वेतन का भुगतान अभी तक नहीं किया। कंपनी ने नहीं दिए सेफ्टी शूज- मजदूर मजदूर नेताओं ने कहा कि मजदूरों की समस्या को लेकर मुख्य नियोक्ता SJVNL व पटेल का रवैया भी बिल्कुल अड़ियल है। मजदूरों को वर्ष 2023-24 का बोनस, वर्ष 2023 और वर्ष 2024 के छुट्टी के वेतन का भुगतान नहीं किया गया है। मजदूरों को सेफ्टी शूज नहीं दिए जा रहे हैं। यूनियन ने परियोजना प्रबंधन और पटेल कम्पनी से जल्द से जल्द मांगों को पुरा करने की मांग की है।

रामपुर में वेतन नहीं मिलने पर भड़के मजदूर
रामपुर में लुहरी हाइड्रो प्रोजेक्ट के श्रमिकों ने आज अपने वेतन ना मिलने की वजह से आंदोलन शुरू कर दिया है। मजदूरों ने काम करना बंद कर दिया और कंपनी के खिलाफ जमकर नारेबाजी की। यह प्रोजेक्ट राज्य की बिजली उत्पादन के बड़े प्रोजेक्ट्स में से एक है, लेकिन श्रमिकों के अनुसार कंपनी उनकी मूलभूत आवश्यकताओं की अनदेखी कर रही है।
मजदूरों की मांगें
मजदूरों का कहना है कि उन्हें पिछले तीन महीनों से वेतन नहीं मिला है, जिससे उनकी आर्थिक स्थिति बिगड़ गई है। इसके अलावा, उन्होंने यह भी बताया कि उन्हें सुरक्षा उपकरण, जैसे सेफ्टी शूज भी नहीं प्रदान किए जा रहे हैं। मजदूरों ने आरोप लगाया कि कंपनी उनके स्वास्थ्य और सुरक्षा को नजरअंदाज़ कर रही है, जिसके चलते उनकी जान को खतरा हो सकता है।
कंपनी की प्रतिक्रिया
इस मामले में कंपनी ने अभी तक कोई आधिकारिक प्रतिक्रिया नहीं दी है। हालांकि, मजदूरों ने इस आंदोलन को तब तक जारी रखने का निर्णय लिया है जब तक उनकी मांगें पूरी नहीं होतीं। स्थानीय अधिकारियों को भी मामले की जानकारी दी गई है और वे समाधान के लिए बातचीत कर रहे हैं।
अर्थव्यवस्था पर प्रभाव
इस प्रकार के हड़तालों का स्थानीय अर्थव्यवस्था पर नकारात्मक प्रभाव पड़ सकता है। अगर श्रमिकों का काम बंद रहता है, तो इससे निर्माण की गति धीमी हो जाएगी और परियोजनाओं की समय सीमा प्रभावित हो सकती है।
इस स्थिति को लेकर लोगों में काफी चिंता है। कई स्थानीय लोग आशा कर रहे हैं कि इस मुद्दे का समाधान जल्द ही हो जाएगा ताकि सभी को राहत मिल सके।
News by indiatwoday.com
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