रिश्वत के बावजूद दिव्यांग को नहीं मिला आवास:पीलीभीत में प्रधान ने 10 हजार लिए, 2.5 साल बाद भी नहीं मिला मकान का लाभ

पीलीभीत के दोदपुर खल्लपुर गांव में एक दिव्यांग युवक को प्रधानमंत्री आवास योजना का लाभ नहीं मिल पाया। मिहीलाल नाम के इस युवक ने ग्राम प्रधान नंदराम को ढाई साल पहले 10 हजार रुपए दिए थे। मिहीलाल ने सोमवार को एसडीएम कार्यालय में शिकायती पत्र सौंपा। उन्होंने बताया कि वह 80 प्रतिशत दिव्यांग हैं। आवास योजना का लाभ तो नहीं मिला, शौचालय की सुविधा भी नहीं मिली। कई बार कर चुके शिकायत ग्राम पंचायत अधिकारी से शिकायत करने पर उन्होंने कहा कि बिना पैसे काम नहीं होता। मिहीलाल कई बार खंड विकास अधिकारी से भी मिलने गए, लेकिन वे कार्यालय में नहीं मिले। अब एसडीएम से शिकायत कर कार्रवाई की मांग की गई है। मामले में जब ग्राम पंचायत अधिकारी और प्रधान से संपर्क करने का प्रयास किया गया, तो पंचायत अधिकारी ने फोन नहीं उठाया और प्रधान का नंबर स्विच ऑफ मिला।

Mar 25, 2025 - 15:59
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रिश्वत के बावजूद दिव्यांग को नहीं मिला आवास:पीलीभीत में प्रधान ने 10 हजार लिए, 2.5 साल बाद भी नहीं मिला मकान का लाभ
पीलीभीत के दोदपुर खल्लपुर गांव में एक दिव्यांग युवक को प्रधानमंत्री आवास योजना का लाभ नहीं मिल प

रिश्वत के बावजूद दिव्यांग को नहीं मिला आवास: पीलीभीत में प्रधान ने 10 हजार लिए, 2.5 साल बाद भी नहीं मिला मकान का लाभ

News by indiatwoday.com

पीलीभीत में दिव्यांगों के लिए आवास योजनाएँ

उत्तर प्रदेश के पीलीभीत जिले में एक दिव्यांग व्यक्ति ने अपने हक के आवास को पाने के लिए बड़ी कोशिशें की हैं। लेकिन, उस व्यक्ति को न सिर्फ रिश्वत देने के बावजूद आवास नहीं मिला, बल्कि प्रधान पंचायत ने बिना किसी नज़रअंदाज़ के 10 हजार रुपये भी लिए। निर्धारित अवधि, जो कि 2.5 साल है, में अब तक उसे मकान का लाभ नहीं मिल पाया है। यह मामला गंभीर चिंता का विषय है और सरकार की योजनाओं की वास्तविकता को सामने लाता है।

न्याय की उम्मीद: दिव्यांग की कहानी

दिव्यांग व्यक्तियों को समाज में समानता और अधिकार प्रदान करने के लिए कई सरकारी योजनाएँ मौजूद हैं। हालांकि, जब इन योजनाओं को कागज पर चलाने वाले प्रशासनिक अधिकारी और पंचायत प्रतिनिधि भ्रष्टाचार के अंधेरे रास्ते पर जाते हैं, तब वास्तविकता का चेहरा बदल जाता है। इस खास मामले में, इस दिव्यांग व्यक्ति को पहले ही 10,000 रुपये का भुगतान करना पड़ा, जिसके बदले में उसे आवास का लाभ देने का वादा किया गया था। अब, 2.5 साल बीतने के बाद भी उसे कुछ हासिल नहीं हुआ है।

समाज की जिम्मेदारी

यह घटना केवल एक व्यक्ति की कहानी नहीं है, बल्कि यह एक चेतावनी है कि हमें मिलकर ऐसी स्थितियों का मुकाबला करना होगा। सरकार, स्थानीय प्रशासन और नागरिकों को इस दिशा में काम करना होगा ताकि अंततः यह सुनिश्चित किया जा सके कि कोई भी जरूरतमंद व्यक्ति सरकारी लाभ से वंचित न रह जाए।

आगे की कार्रवाई

दिव्यांग व्यक्तियों के अधिकारों के संरक्षण के लिए यह आवश्यक है कि हमारा समाज सतर्क रहे और ऐसे मामलों को उजागर करे। यदि आप भी किसी मामले के बारे में जानते हैं या ऐसी किसी घटना के गवाह हैं, तो इसे अपने स्थानीय प्रशासन के पास ले जाएँ।

निष्कर्ष

पीलीभीत में हुए इस मामले ने स्पष्ट किया है कि अभी भी बहुत कुछ करने की जरूरत है। सामाजिक न्याय और समानता के लिए निरंतर प्रयास करने की आवश्यकता है। इस तरह के मामलों का निवारण करना अत्यंत आवश्यक है ताकि दिव्यांग व्यक्ति अपने हक के आवास से वंचित न रहें। हमें एकत्र होकर इसकी सच्चाई को उजागर करना होगा।

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