रुपया रिकॉर्ड ऑल टाइम लो पर आया:डॉलर के मुकाबले 27 पैसे गिरकर 86.31 पर बंद हुआ, विदेशी वस्तुएं महंगी होंगी

रुपया आज यानी 13 जनवरी को अपने रिकॉर्ड ऑल टाइम लो पर आ गया है। इसमें अमेरिकी डॉलर के मुकाबले 27 पैसे की गिरावट देखने को मिली और यह 86.31 रुपए प्रति डॉलर के अब तक के सबसे निचले स्तर पर है। इससे पहले 11 जनवरी को डॉलर के मुकाबले रुपया 86.12 पर बंद हुआ था। एक्सपर्ट्स के मुताबिक, रुपए में इस गिरावट की वजह हाल ही में भारतीय शेयर मार्केट में विदेशी निवेशकों के जरिए की जा रही बिकवाली है। इसके अलावा जिओ पॉलिटिकल टेंशन्स कारण भी रुपए पर नेगेटिव असर पड़ा है। इंपोर्ट करना होगा महंगा रुपए में गिरावट का मतलब है कि भारत के लिए चीजों का इंपोर्ट महंगा होना है। इसके अलावा विदेश में घूमना और पढ़ना भी महंगा हो गया है। मान लीजिए कि जब डॉलर के मुकाबले रुपए की वैल्यू 50 थी तब अमेरिका में भारतीय छात्रों को 50 रुपए में 1 डॉलर मिल जाते थे। अब 1 डॉलर के लिए छात्रों को 86.31 रुपए खर्च करने पड़ेंगे। इससे फीस से लेकर रहना और खाना और अन्य चीजें महंगी हो जाएंगी। करेंसी की कीमत कैसे तय होती है? डॉलर की तुलना में किसी भी अन्य करेंसी की वैल्यू घटे तो उसे मुद्रा का गिरना, टूटना, कमजोर होना कहते हैं। अंग्रेजी में करेंसी डेप्रिशिएशन। हर देश के पास फॉरेन करेंसी रिजर्व होता है, जिससे वह इंटरनेशनल ट्रांजैक्शन करता है। फॉरेन रिजर्व के घटने और बढ़ने का असर करेंसी की कीमत पर दिखता है। अगर भारत के फॉरेन रिजर्व में डॉलर, अमेरिका के रुपयों के भंडार के बराबर होगा तो रुपए की कीमत स्थिर रहेगी। हमारे पास डॉलर घटे तो रुपया कमजोर होगा, बढ़े तो रुपया मजबूत होगा। इसे फ्लोटिंग रेट सिस्टम कहते हैं।

Jan 13, 2025 - 10:15
 49  501825
रुपया रिकॉर्ड ऑल टाइम लो पर आया:डॉलर के मुकाबले 27 पैसे गिरकर 86.31 पर बंद हुआ, विदेशी वस्तुएं महंगी होंगी
रुपया आज यानी 13 जनवरी को अपने रिकॉर्ड ऑल टाइम लो पर आ गया है। इसमें अमेरिकी डॉलर के मुकाबले 27 पैसे क
रुपया रिकॉर्ड ऑल टाइम लो पर आया: डॉलर के मुकाबले 27 पैसे गिरकर 86.31 पर बंद हुआ, विदेशी वस्तुएं महंगी होंगी Keywords: रुपया की कीमत, डॉलर के मुकाबले रुपये की गिरावट, विदेशी वस्तुओं की महंगाई, रुपये की स्थिति, वित्तीय समाचार, रुपये का रिकॉर्ड लो, भारतीय अर्थव्यवस्था, महंगाई के प्रभाव News by indiatwoday.com भारतीय रुपया ने एक नया रिकॉर्ड बनाया है, जो डॉलर के मुकाबले 27 पैसे गिरकर 86.31 पर बंद हुआ। यह गिरावट केवल एक दिन में हुई है और यह भारतीय आर्थिक स्थिति के लिए एक संभावित चिंतन का विषय बन गया है। जब रुपये की कीमत इस स्तर तक पहुंचती है, तो इसका सीधा असर न केवल व्यापारियों पर, बल्कि आम जनता पर भी पड़ता है।

रुपये की गिरावट के कारण

रुपया इस स्तर तक पहुंचने के कई कारण हैं। पहले, वैश्विक बाजारों में बढ़ती अस्थिरता का असर रुपये पर पड़ा है। इसके अलावा, घरेलू आर्थिक संकेतकों में कमजोर प्रदर्शन, बढ़ती महंगाई और टैक्स में बदलाव भी रुपये के मूल्य को प्रभावित कर रहे हैं। डॉलर की मजबूती और अन्य विदेशी मुद्राओं के मुकाबले रुपये की स्थिति ने इसे और भी कठिन बना दिया है। यह सभी कारक एक साथ मिलकर रुपये की इस ऐतिहासिक गिरावट का कारण बने हैं।

महंगाई और विदेशी वस्तुओं का असर

रुपये की गिरावट से विदेशी वस्तुओं की कीमतें बढ़ जाएंगी, जिससे खाद्य पदार्थ, तकनीकी सामान और अन्य आयातित वस्तुओं की लागत में वृद्धि देखने को मिलेगी। इससे ना केवल आम जनता को बल्क में खरीदारी करने में कठिनाई होगी बल्कि यह भारतीय उद्योगों पर भी एक बोझ डाल सकता है। महंगाई दर में बढ़ोतरी आने वाले समय में आर्थिक दबाव बढ़ा सकती है, जिससे आरबीआई को नीतिगत निर्णय लेने में चुनौती का सामना करना पड़ सकता है।

आर्थिक विशेषज्ञों की राय

आर्थिक विशेषज्ञों का मानना है कि इस गिरावट से निपटने के लिए सरकार और आरबीआई को त्वरित और प्रभावी कदम उठाने की आवश्यकता है। रुपये की स्थिरता के लिए नीतिगत बदलाव लागू करने और निवेशकों के विश्वास को पुनर्स्थापित करने की दिशा में काम करना होगा। यदि ये कदम उठाए जाते हैं, तो रुपये की स्थिति में सुधार संभव है, जिससे अर्थव्यवस्था पर सकारात्मक प्रभाव पड़ेगा।

निष्कर्ष

भारतीय रुपया की गिरावट निश्चित रूप से चिंता का विषय है। यह आर्थिक स्थिति की रूपरेखा और विदेशी बाजारों पर निर्भरता को उजागर करता है। इसके चलते, सभी को एक ठोस योजना बनानी होगी ताकि इस स्थिति से निपटा जा सके। भविष्य में रुपये की स्थिति पर नज़र रखना आवश्यक है। अधिक जानकारी और अपडेट के लिए indiatwoday.com पर जाएं।

What's Your Reaction?

like

dislike

love

funny

angry

sad

wow