लखनऊ में बैन के बावजूद अस्पताल भर्ती कर रहा मरीज:स्टार हॉस्पिटल से जुड़ा मामला, नवंबर में CMO ऑफिस ने संचालन में लगाई थी रोक
लखनऊ में निजी अस्पताल निरंकुश हो चुके है। हालात इस कदर बिगड़े हैं कि जिन अस्पतालों के संचालन पर रोक लगी है, वो भी धड़ल्ले से मरीजों को भर्ती कर रहे है। ताजा मामला, राजधानी के ठाकुरगंज के बालागंज स्थित स्टार अस्पताल का संचालन स्वास्थ्य विभाग ने दो महीने में फिर शुरू करा दिया। बिना नवीनीकरण व बेसमेंट में संचालित होने पर बीते साल अस्पताल संचालन पर रोक लगाई गई थी। स्वास्थ्य विभाग की सह पर अस्पताल संचालक ने संचालन शुरू कर दिया है। अफसरों का कहना है मामले की जांच कराई जाएगी। जांच में अस्पताल संचालन मिला तो सील कराया जाएगा। नवंबर में लगाई थी रोक इससे पहले 15 नवंबर को नर्सिंग होम के नोडल अधिकारी डॉ.एपी सिंह और डिप्टी सीएमओ डॉ.केडी मिश्रा की टीम ने बालागंज के स्टार हॉस्पिटल, द यूनिक, बालागंज अस्पताल, मेडलाइफ व ऑक्सीजन अस्पताल में छापा मारा था। स्टार अस्पताल में फुल टाइम डॉक्टर नहीं थे। बॉयो मेडिकल वेस्ट का निस्तारण ठीक नहीं था। अस्पताल का इस साल पंजीकरण नहीं मिला था। अस्पताल बेसमेंट में चल रहा था। अस्पताल संचालक को नोटिस देकर जवाब मांगा गया। जवाब न मिलने अस्पताल संचालन पर रोक लगा दी गई थी। खुलेआम चल रहा सेटिंग का खेल अस्पताल संचालक ने स्वास्थ्य विभाग से सांठगांठ करके अस्पताल का संचालन फिर से शुरू करा दिया है। वहां पर कई मरीज भर्ती हैं। उनके तीमारदार अस्पताल के दूसरे गेट पास शुक्रवार को बैठे मिले। महिला तीमारदार ने बताया उनका मरीज अखिलेश यहां पर भर्ती हैं। बताया तीन दिन पहले एक एंबुलेंस वाला यहां पर बेहतर इलाज का झांसा देकर भर्ती कराया था। स्वास्थ्य विभाग को नही है कोई जानकारी नर्सिंग होम के नोडल अफसर डॉ. एपी सिंह ने बताया अस्पताल संचालन होने के बारे में जानकारी नहीं है। बताया टीम भेजकर जांच कराकर आगे की कार्रवाई होगी।

लखनऊ में बैन के बावजूद अस्पताल भर्ती कर रहा मरीज
लखनऊ में एक बार फिर से अस्पतालों की कार्यप्रणाली पर सवाल उठ रहे हैं, जहाँ हाल ही में एक अस्पताल ने बैन के बावजूद मरीजों को भर्ती करना जारी रखा है। यह मामला स्टार हॉस्पिटल से जुड़ा हुआ है, जहाँ स्वास्थ्य विभाग द्वारा नवंबर में संचालक को कार्य करने से रोक दिया गया था।
सीएमओ ऑफिस की रोक के बावजूद अस्पताल की गतिविधियाँ
सीएमओ ऑफिस ने पिछले साल यह कदम उठाया था जब अस्पताल को कई अनियमितताओं के चलते बंद किया गया था। लेकिन अस्पताल की प्रबंधन टीम ने इस रोक को अनदेखा किया है, जिससे स्थानीय जनता और स्वास्थ्य विभाग में आक्रोश उत्पन्न हो गया है। मरीजों के स्वास्थ्य की सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए, यह अत्यंत आवश्यक है कि ऐसी गंभीर परिस्थितियों का समाधान किया जाए।
स्थानीय नागरिकों की चिंता
स्थानीय निवासियों का कहना है कि उन्हें सुनिश्चित नहीं है कि क्या अस्पताल में इलाज करने वाले डॉक्टरों और स्टाफ की गुणवत्ता मानक पर खरी उतरती है। इसके अलावा, भर्ती की प्रक्रिया और मरीजों की सुरक्षा को लेकर भी चिंताएं बढ़ गई हैं।
स्वास्थ्य विभाग की जवाबदेही
स्वास्थ्य विभाग को अब इस मामले पर कड़ी कार्रवाई करनी चाहिए। यह आवश्यक है कि जो अस्पताल नियमों का पालन नहीं कर रहे हैं, उन्हें तुरंत बंद कर दिया जाए। मेडिकल सेवाओं की गुणवत्ता और मरीजों की भलाई को सर्वोच्च प्राथमिकता दी जानी चाहिए।
समाज के सभी वर्गों को यह सुनिश्चित करने की आवश्यकता है कि उनके अधिकार सुरक्षित हैं और अस्पतालों द्वारा गलत तरीके से होने वाली गतिविधियों को रोका जाए।
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