लखनऊ में मुनाल संस्था द्वारा दो दिवसीय लोक कला उत्सव:गढ़वाली लोक नृत्य ने बांधी समां; अर्द्धनारीश्वर नृत्य ने बटोरी वाहवाही

लखनऊ गोमती नगर स्थित संगीत नाटक अकादमी में मुनाल संस्था द्वारा दो दिवसीय लोक कला उत्सव का आयोजन किया गया। यह आयोजन उत्तर मध्य क्षेत्र सांस्कृतिक केंद्र और संस्कृति मंत्रालय भारत सरकार के सहयोग से गंगा-जमुनी तहजीब पर आधारित था। कार्यक्रम का उद्घाटन साहित्यकार कौस्तुभनंद चंदोला और मुनाल संस्था के संस्थापक मुनालश्री विक्रम बिष्ट ने दीप प्रज्वलित करके किया। इस आयोजन में लुप्त होती लोक संस्कृति को बचाने के लिए प्रयासरत महिला कलाकारों को सम्मानित किया गया। सम्मान पाने वालों में विनोद रावत, पुष्पा वैष्णव, दमयंती नेगी, सरिता सिंह, मंदाकिनी बहुगुणा, नेहा शर्मा, रंजना शर्मा और राधा बोरा प्रमुख रहीं। इन्हें अंगवस्त्र, प्रमाण पत्र और प्रतीक चिन्ह देकर सम्मानित किया गया। लोक नृत्य और सांस्कृतिक प्रस्तुतियों ने मोहामन 20 दिवसीय कार्यशाला में प्रशिक्षित मुनाल के कलाकारों ने विनोद रावत के निर्देशन में गढ़वाली लोक नृत्य थड़िया, चौफुला और घसियारी प्रस्तुत किए। इस मंच ने नई प्रतिभाओं को भी अवसर दिया। अर्द्धनारीश्वर नृत्य बना आकर्षण का केंद्र नूपुर संस्था द्वारा विभा नौटियाल के निर्देशन में अर्द्धनारीश्वर नृत्य नाटिका प्रस्तुत की गई। इसमें विभा नौटियाल, विनीता पांडे, रित शर्मा, मलिका गुप्ता और अन्य कलाकारों ने भाग लिया। वैष्णवी डांस इंस्टीट्यूट की नेहा वर्मा और उनकी टीम ने राधा-कृष्ण रासलीला और गंगा तोरी लहरिया डांस कर दर्शकों को मंत्रमुग्ध किया। वहीं, मंदाकिनी बहुगुणा के निर्देशन में हॉट एंड सोल के कलाकारों ने भी शानदार प्रस्तुति दी। शिव स्तुति ने दर्शकों को भाव विभोर कर दिया कथक नृत्यांगना रंजना शर्मा के निर्देशन में शिव स्तुति और कालबेलिया नृत्य किए गया। उड़ान संस्था के कलाकारों ने सरिता सिंह के निर्देशन में राजस्थानी घूमर और युगल डांस पेश किया। यश भारती सम्मानित ऋचा जोशी ने गढ़वाली, अवधी, भोजपुरी और उत्तराखंड के लोकगीत गाकर समां बांध दिया। कार्यक्रम का संचालन मानसी बिष्ट ने किया। इस अवसर पर गढ़वाली समाज के राष्ट्रीय महासचिव आर.एस चौहान सहित कई गणमान्य व्यक्ति उपस्थित रहे।

Jan 7, 2025 - 12:05
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लखनऊ में मुनाल संस्था द्वारा दो दिवसीय लोक कला उत्सव:गढ़वाली लोक नृत्य ने बांधी समां; अर्द्धनारीश्वर नृत्य ने बटोरी वाहवाही
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लखनऊ में मुनाल संस्था द्वारा दो दिवसीय लोक कला उत्सव

लखनऊ की सांस्कृतिक धरोहर को और भी समृद्ध बनाने के लिए मुनाल संस्था ने हाल ही में एक शानदार दो दिवसीय लोक कला उत्सव का आयोजन किया। इस उत्सव में गढ़वाली लोक नृत्य ने उपस्थित दर्शकों को मंत्रमुग्ध कर दिया, जबकि अर्द्धनारीश्वर नृत्य ने अपनी विशेषताओं से सबकी वाहवाही पाई।

गढ़वाली लोक नृत्य का जादू

गढ़वाली लोक नृत्य, अपने जीवंत रंगों और रिदम के लिए प्रसिद्ध है, ने उत्सव के पहले दिन अफसोस करने वालों को अपनी खूबसूरती में डुबो दिया। यह नृत्य परंपरा पहाड़ी सभ्यता की गहरी जड़ों से जुड़ी है, जो न केवल मनोरंजन का साधन है, बल्कि यह हमारे सांस्कृतिक मूल्यों को भी दर्शाता है।

अर्द्धनारीश्वर नृत्य की खासियत

दूसरे दिन, अर्द्धनारीश्वर नृत्य ने सभी का ध्यान आकर्षित किया। यह नृत्य केवल कला का प्रदर्शन नहीं है, बल्कि यह पुरुष और महिला के सामंजस्य का प्रतीक है। इसकी जटिल मुद्राओं और तालों ने दर्शकों को मंत्रमुग्ध कर दिया, और उसकी प्रस्तुति पर तालियों की गड़गड़ाहट के बीच सभी ने आनंद लिया।

संस्थान का योगदान

मुनाल संस्था ने इस प्रकार के आयोजन के माध्यम से न केवल लोक कला को बढ़ावा दिया है, बल्कि नई पीढ़ी को अपनी संस्कृति से जोड़ने का एक अनूठा प्रयास भी किया है। ऐसे आयोजनों से युवा कलाकारों को प्लेटफार्म मिलता है, जिससे वे अपनी प्रतिभा को प्रस्तुत कर सकते हैं।

उत्सव का महत्व

यह लोक कला उत्सव लखनऊ में सांस्कृतिक विविधता को प्रोत्साहित करने और कला के प्रति लोगों की रुचि को जागृत करने का एक महत्वपूर्ण माध्यम है। इस तरह के आयोजनों से हमारी सांस्कृतिक पहचान को संजोए रखने में मदद मिलती है।

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